इस्लामाबाद। कश्मीर मुद्दे का अंतरराष्ट्रीयकरण करने का अपना प्रयास जारी रखते हुए पाकिस्तान ने यह मुद्दा संयुक्त राष्ट्र प्रमुख के साथ उठाया है और कहा है कि यदि वैश्विक संगठन इसमें हस्तक्षेप करता है तो संकटपूर्ण स्थितियों के प्रबंधन से जुड़े मामलों में इसकी साख में वृद्धि होगी।
विदेश मंत्रालय ने आज जारी एक बयान में कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा और विदेशी मामलों में प्रधानमंत्री के सलाहाकार सरताज अजीज ने संयुक्त राष्ट्र प्रमुख बान की-मून से कल रात फोन पर बात की और नियंत्रण रेखा पर स्थिति के बारे में चर्चा की।
अजीज ने बान से कहा, ‘‘संयुक्तराष्ट्र के हस्तक्षेप से संकटपूर्ण स्थितियों से निपटने में इस संगठन की साख बढ़ेगी।’’ उन्होंने कहा कि संयुक्तराष्ट्र को एक पक्ष के असहयोग के चलते संकोची नहीं होना चाहिए।
बान को अजीज द्वारा किया गया यह फोन दरअसल कश्मीर मुद्दे को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाने के पाकिस्तान के प्रयासों का ही एक हिस्सा था।
11 अक्तूबर को अजीज ने बान को नियंत्रण रेखा एवं अंतरराष्ट्रीय सीमा की सुरक्षा स्थितियों के बारे में एक पत्र लिखकर इस मुद्दे को सुलझाने में वैश्विक संगठन के हस्तक्षेप की मांग की थी।
हालांकि कश्मीर मुद्दे पर हस्तक्षेप की मांग करने वाले पाकिस्तान की इस कोशिश को संयुक्त राष्ट्र ने नजरअंदाज कर दिया था और कहा था कि भारत एवं पाकिस्तान को विवाद का दीर्घकालीन हल निकालने के लिए अपने सभी मतभेदों को बातचीत के जरिए सुलझाना चाहिए।
बयान में कहा गया कि कल रात अपनी बातचीत में अजीज ने नियंत्रण रेखा एवं अंतरराष्ट्रीय सीमा पर शांति की जल्द बहाली की जरूरत पर जोर दिया।
अजीज ने बान को बताया, ‘‘पाकिस्तान किसी भी आक्रमण को विफल करने के लिए एकजुट एवं संकल्पबद्ध है और उसने भारत के उकसावों पर पूरे संयम एवं जिम्मेदारी के साथ प्रतिक्रियाएं दीं हैं। भारत को एक परिपक्व और तर्कसंगत रूख अपनाने की सलाह दी जानी चाहए और अपने सशस्त्र बलों का अतार्किक प्रयोग करने से रोकना चाहिए।’’
विदेश मंत्रालय ने कहा, ‘‘संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने एकबार फिर नियंत्रण रेखा पर हिंसा में वृद्धि पर चिंता जताई और वहां हुई मौतों पर अफसोस जताया। उन्होंने स्थिति पर नियंत्रण एवं सभी लंबित मुद्दों को समझौतों के जरिए सुलझाने के लिए दोनों पक्षों द्वारा जरूरी कदम उठाए जाने के महत्व पर जोर दिया।’’
अजीज ने कहा, ‘‘क्षेत्र में स्थायी शांति के लिए, जम्मू-कश्मीर के मूल मुद्दे समेत लंबित विवादों को सुलझाने का भी रास्ता होना चाहिए। संयुक्त राष्ट्र पर एक स्थायी जिम्मेदारी है कि वह जम्मू-कश्मीर के लोगों से किए गए स्वाधीनता के वादे वाले अपने संकल्पों को क्रियांवित करे।’’
विदेश मंत्रालय के अनुसार, उन्होंने कहा कि इस विवाद का शांतिपूर्ण हल संयुक्त राष्ट्र के चार्टर का एक प्रमुख सिद्धांत है और पाकिस्तान इसके लिए पूरी तरह प्रतिबद्ध है। हालांकि प्रगति दोनों ओर से होनी चाहिए। द्विपक्षीय वार्ता और अंतरराष्ट्रीय हस्तक्षेप से इंकार सहायक नहीं है और प्रतिकूल है।
भारत और पाकिस्तान में संयुक्तराष्ट्र सैन्य पर्यवेक्षक समूह के कार्यों की सराहना करते हुए अजीज ने कहा कि उसकी भूमिका को और अधिक मजबूत किया जाना चाहिए ताकि संघर्षविराम उल्लंघन की और अधिक प्रभावी निगरानी की जा सके और जानकारी दी जा सके।