Jaishankar In China: विदेश मंत्री एस जयशंकर गलवान हिंसा के 5 साल बाद चीनी धरती पर आए हैं, यहां पर वो एससीओ समिट में हिस्सा लेने जा रहे हैं। इसके अलावा चीनी उपराष्ट्रपति हान झेंग से भी उनकी एक अहम मुलाकात हुई है।

जयशंकर ने सबसे पहले किससे मुलाकात की?

उस मुलाकात को लेकर एस जयशंकर ने कहा कि वाइस प्रेसिडेंट से मिलकर काफी अच्छा लगा। भारत की तरफ से बता दिया गया है कि वो एससीओ समिट में चीन की प्रेसिडेंसी का समर्थन करता है। मैंने दोनों देशों के रिश्तों में सुधार भी महसूस किया है और इस बात पर विश्वास जताया है कि मेरे इस दौरे के बाद यह सकारात्मकता और ज्यादा आगे बढ़ेगी।

जयशंकर ने क्या संदेश दिया?

जयशंकर ने इस बात पर भी जोर दिया कि भारत और चीन के राजनयिक संबंध को पूरे 75 साल हो चुके हैं। ऐसे में जब से चीनी कैलाश मानसरोवर यात्रा को फिर बहाल किया है, पूरे भारत में इसकी खूब तारीफ की गई है। इससे समझ आता है कि दोनों ही देश को सामान्य संबंध होने से लाभ होता है।

भारत और चीन के सुधरते रिश्ते?

अब एक तरफ तो एस जयशंकर की चीनी उपराष्ट्रपति के साथ एक सार्थक मुलाकात हुई है, वहीं मंगलवार को एससीओ समिट में चीनी विदेश मंत्री से उनकी मुलाकात होने जा रही है। माना जा रहा है कि उस अहम बैठक के दौरान बॉर्डर पर तनाव कम करने से लेकर सीमा पर शांति कैसे बनाए रखी जाए, इसको लेकर चर्चा हो सकती है। वैसे इससे पहले इस साल फरवरी में भी चीनी विदेश मंत्री से एस जयशंकर की मुलाकात हो चुकी है। उस मुलाकात के दौरान भी आपसी संबंध सुधारने को लेकर मंथन हुआ था।

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राजनाथ सिंह भी जा चुके चीन

कुछ दिन पहले रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह भी चीन गए थे। उन्होंने भी चीन के साथ सुधरते रिश्तों पर फोकस किया था, एक जारी बयान में दोनों ही देशों ने यहां तक कहा था कि सीमा विवाद का परमानेंट सॉल्यूशन निकालने पर जोर दिया जाएगा। वहां पर परमानेंट शब्द का इस्तेमाल होना ही सभी को हैरान कर गया था, इसे एक बड़े बदलाव के रूप में देखा गया।

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