दुनिया भर की सेनाओं से लेकर आतंकी संगठनों तक में अगर कोई एक राइफल सबसे ज्‍यादा मशहूर है तो वो शर्तिया तौर पर AK 47 है। जानें इस ऐतिहासिक फायरआर्म से जुड़ी दिलचस्‍प बातें

रूसी आर्मी जनरल ने किया आविष्‍कार
AK 47 राइफल के जन्‍म का साल 1947 है। इस साल इसे सोवियत आर्मी जनरल मिखाइल तिमोफयेविच क्‍लाशिनिकोव ने विकसित किया था। सोवियत आर्मी में इसका पहला मॉडल सन 1948 में शामिल किया गया। जल्‍द ही यह पूरी दुनिया की पहली पंसद बन गया। अब तक 10 करोड़ से ज्‍यादा एके 47 राइफल बिक चुकी हैं। 30 देशों में क्‍लाशिनिकोव और उससे लाइसेस प्राप्‍त कंपनियों ने इस राइफल के 200 से ज्‍यादा वैरिएंट तैयार किए हैं।

AK 47 की खासियत
>बंदूक की नली से गोली छूटने की रफ्तार 710 मीटर प्रति सेकंड है।
>रिलोडिंग में महज 2.5 सेकंड का वक्‍त लगता है। विजिबल रेंज 800 मीटर है।
>इसे चलाने के लिए किसी तरह की विशेष ट्रेनिंग की जरूरत नहीं है।
>4.8 किलो वजन वाले राइफल से प्रति मिनट 600 राउंड फायरिंग की जा सकती है।
>गन की परफॉर्मेंस पर मौसम का असर नहीं पड़ता। साफ-सफाई और मेंटेनेंस आसान है।

एके 47 का टेररिस्‍ट कनेक्‍शन
हाल फिलहाल में हुए कई आतंकी हमलों में इसका इस्‍तेमाल हुआ है।
>ब्रुसेल्‍स में मई 2014 में हुए आतंकी हमले में। 4 लोग मारे गए।
>पेरिस में जनवरी 2015 में हुए आतंकी हमले में। 17 लोग मारे गए।
>कोपेनहेगन में फरवरी 2015 में हुए हमले में। 2 लोग मारे गए।
>ट्यूनिस में मार्च 2015 में हुए आतंकी हमले में। 22 लोग मारे गए।
>यूरोस्‍टार ट्रेन में अगस्‍त 2015 में भी आतंकी इस हथियार के साथ पहुंचे। हालांकि, उनका यह हमला नाकाम हो गया।
>पेरिस में नवंबर 2015 में हुए आतंकी हमले में 130 लोग मारे गए।

जब क्‍लाशि‍निकोव कंपनी पर छाए संकट के बादल
2014 में रूस और यूक्रेन के बीच हुए संघर्ष की वजह से अमेरिका ने रूस पर कुछ प्रतिबंध लगाए। इसकी वजह से एके 47 बनाने वाली कंपनी के बिजनेस पर बुरा असर पड़ा। अगले दो सालों में क्‍लाशिनिकोव ने अपनी यहां नौकरियां में कटौती की और कुछ नए प्रोडक्‍ट उतारे। इस प्रतिबंध की वजह से कंपनी अमेरिका में अपने प्रसार की योजनाओं को पूरा नहीं कर सकी। 2013 में कंपनी की टोटल गन सेल्‍स का 40 फीसदी हिस्‍सा अमेरिका से ही था। क्‍लाशिनिकोव ने अब नई ब्रैंडिंग पॉलिसी के तहत इन गन को रेड और ब्‍लैक लोगों के साथ पेश किया। उन्‍होंने इस हथियार को नाम दिया-वेपन ऑफ पीस। रिब्रैंडिंग के तहत इसे रूस के लोकल बाजार में शिकारियों और शौकिया लोगों को बेचने का लक्ष्‍य बनाया गया। कंपनी 2016 के आखिर तक रूस में 60 रिटेल स्‍टोर खोलेगी। साथ ही मिलिट्री के स्‍टाइल के कपड़े और गन बेचेगी। क्‍लाशिनिकोव को उम्‍मीद है कि 2015 में उसका कुल मुनाफा 33 मिलियन डॉलर का होगा। अब क्‍लाशिनिकोव शॉटगन और राइफल की डिमांड इटली की बेरेटा, अमेरिका की विंचेस्‍टर और जर्मनी की सौएर गन से ज्‍यादा है।

क्या आपको पता है
>एके 47 की तस्‍वीर मोजांबिक के झंडे में नजर आती है। जिम्‍बाब्‍वे, बुर्किनो फासो और ईस्‍ट तिमोर की सेना के कोट आर्म्‍स में भी इसकी फोटो नजर आती है।
>1956 में हंग्री में हुए प्रदर्शन के दौरान जोजेफ तिबोर फेजस पहला विद्रोही था, जिसने सार्वजनिक तौर पर एके 47 राइफल लहराई।
>कुछ अफ्रीकी देशों में अभिभावक अपने बच्‍चों के नाम क्‍ल‍ाश रखते हैं।
>अमेरिकी सेना ने सद्दाम हुसैन के हथियारों के कलेक्‍शन में गोल्‍ड प्‍लेटेड एके 47 राइफल बरामद की थी।
>क्‍लाशिनिकोव शॉट एक कॉकटेल ड्रिंक भी है। इसे बनाने में वोडका का इस्‍तेमाल होता है।
>क्‍लाशिनिकोव नाम का एक वोडका ब्रांड भी है। इसे गन के शेप के ही बोतल में बेची जाती है।

भारत में उत्‍पादन की कोशिशें जारी
2015 से क्‍लाशिनिकोव और भारतीय कंपनियों के बीच भारत में ही इस हथियार के उत्‍पादन को लेकर बातचीत चल रही है। सालों पहले रूस आधिकारिक तौर पर भारत को AK 47 सप्‍लाई करना बंद कर चुका है।