यूक्रेन के सैनिक रूस के हमले का डटकर मुकाबला कर रहे हैं। उनकी बहादुरी के किस्से रोजाना सामने आ रहे हैं। ताजा मामले में एक वीडियो सामने आया है। इसमें देखा जा सकता है कि कैसे पूर्वी यूक्रेन के Luhansk क्षेत्र में एक रूसी चॉपर को यूक्रेन की मिसाइल ने निशाना बनाया। हमला इतना सटीक था कि MI28N चॉपर हवा में ही दो टुकड़ों में बंट गया।

रूसी चॉपर पर जिस मिसाइल से हमला किया गया वो ब्रिटेन ने बनाई है। Starstreak यूके का सबसे एडवांस पोर्टेबल मिसाइल सिस्टम है। ब्रिटेन के डिफेंस मिनिस्ट बेन वैलेस ने पिछले माह कहा था कि रूसी हमले का मुकाबला करने के लिए वो यूक्रोन को मिसाइल सप्लाई करेगा। ये मिसाइल ध्वनि की रफ्तार से तीन गुना ज्यादा तेज चलती है।

बुचा में मिले सैकड़ों शव, रूस पर नरसंहार के आरोप

रूस के अपने सैनिकों को पीछे हटाने के बाद यूक्रेन की राजधानी कीव की बाहरी सीमा पर मिले शव बर्बरता की तरफ इशारा कर रहे हैं। इनमें से कुछ के हाथ भी बंधे थे तो कुछ को नजदीक से गोली मारी गई थी। यूक्रेन के अधिकारियों ने बताया कि कीव क्षेत्र के कस्बों में 410 नागरिकों के शव मिले हैं।

यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोदिमीर जेलेंस्की ने कहा कि उनका देश अंतरराष्ट्रीय मदद से रूसी सैनिकों के अत्याचार की जांच करेगा। जेलेंस्की ने कहा कि दुनिया ने कई युद्ध अपराध देखे हैं। उन्होंने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मदद से रूसी अत्याचारों की जांच के लिए एक विशेष न्याय तंत्र बनाया जाएगा। हालांकि, रूस के रक्षा मंत्रालय ने सभी आरोपों को खारिज करते हुए इसे यूक्रेन के अधिकारियों की हरकत बताया है। उन्होंने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद से इस मामले पर बैठक बुलाने की अपील की है।

नाटो का अनुमान, 15 हजार रूसी अब तक मरे

नाटो का अनुमान है कि करीब दो महीने पहले शुरू हुई लड़ाई में 15,000 रूसी सैनिक मारे जा चुके हैं। यह आंकड़ा अफगानिस्तान में नौ साल में मारे गए सभी सोवियत सैनिकों के बराबर है। एक रिपोर्ट के मुताबिक रूसी सैनिकों का मनोबल अविश्वसनीय रूप से कम है। रूसी सेना के पलायन की प्रबल आशंका है। रूस न केवल यूक्रेनी लोगों के दिल और दिमाग को जीतने में विफल रहा है, बल्कि अब यह अपनी सेना के दिल और दिमाग को जीतने के लिए भी संघर्ष कर रहा है।

यूक्रेन युद्ध शुरू होने के बाद रूस में दवाओं की कमी

रूस में यूक्रेन पर युद्ध के कारण पश्चिम देशों द्वारा लगाए प्रतिबंधों से आपूर्ति बाधित होने से पहले अहम दवाओं का भंडार करने के संदेश सोशल मीडिया पर देखे जा रहे हैं। मॉस्को और अन्य शहरों में कुछ दवाएं मिलना मुश्किल हो गया है। हालांकि, रूस सरकार का कहना है कि दवाओं की कमी अस्थायी है। गौरतलब है कि प्रतिबंधों के चलते रूस को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है। दवाओं से पहले वहां चीनी की कमी की भी खबरें आ रही थीं। सोशल मीडिया पर वीडियो में देखा जा रहा था कि लोग चीनी खरीदने के लिए कैसे मशक्कत कर रहे थे।