यूक्रेन पर हमला रूस के लिए घाटे का सौदा बनता दिख रहा है। लंबी लड़ाई के बाद भी एक तरफ रूसी फौज कोई खास कामयाबी हासिल नहीं कर पा रही हैं, वहीं दूसरी तरफ अमेरिका और पश्चिमी देशों के प्रतिबंधों के चलते पुतिन की अर्थव्यवस्था डगमगाने लगी है। ऐसे में जनता का विश्वास भी अपनी सरकार पर पहले की तरह से कायम नहीं दिख रहा है।

फिलहाल रूस में चीनी को लेकर मारामारी मच रही है। सोशल मीडिया पर वायरल पोस्ट में साफ देखा जा रहा है कि चीनी के लिए रूसी लोग आपस में एक दूसरे से कैसे जद्दोजहद कर रहे हैं। शापिंग माल्स में छीनाझपटी और झड़प की तस्वीरें दिखाई दे रही हैं। बाजारों में जंग जैसे हालात साफ दिख रहे हैं।

चीनी के लिए होने वाली लड़ाई को देखकर रूसी दुकानदारों ने अपने हिसाब से नियम भी तय कर दिए हैं। कई जगहों पर अब लोगों को 10 किलो से ज्यादा चीनी नहीं खरीदने दी जा रही। एक रिपोर्ट के मुताबिक रूस में महंगाई सिर चढ़कर बोल रही है। ऐसे में चीनी के दाम भी आसमान पर जा पहुंचे हैं। चीनी की कमी को महसूस करके लोग भी पूरी कोशिश में हैं कि वो अपनी जरूरत को कैसे भी पूरा कर लें। यही कोशिश मारपीट और झड़पों में तब्दील होती दिख रही है। हर जगह ये आलम है।

हालांकि, प्रतिबंधों के चलते केवल चीनी के दाम ही आसमान को नहीं छू रहे बल्कि दूसरी चीजें भी लोगों की पहुंच से बाहर होती दिख रही हैं। विदेशों से आने वाले सामान की रूस में बेहद कमी हो रही है। रिपोर्ट के मुताबिक कारें, घरेलू जरूरत के सामान और टीवी जैसी चीजों की लगातार शार्टेज हो रही है, क्योंकि पश्चिमी देशों के कारोबारी रूस से निकलते जा रहे हैं।

उधर, रूसी सरकार का दावा है कि चीनी की उनके देश में कमी नहीं है। जमाखोरी की वजह से ये समस्या पैदा हुई है। लोग जरूरत से ज्यादा चीनी खरीदकर स्टोर कर रहे हैं। एंटी मोनोपॉली आर्गेनाइजेशन (FAS) के मुताबिक चीनी के कुछ कारोबारी भी दाम बढ़ाने के लिए जमाखोरी कर रहे हैं। फिलहाल सरकार ने समस्या को देख चीनी को देश से बाहर भेजने पर रोक लगा दी है। हालांकि करेंसी को गिरने से रोकने के लिए सरकार कई कदम उठा रही है पर इनका कोई असर होता नहीं दिख रहा। चीजों के दाम बेतहाशा बढ़ रहे हैं।