रूस और यूक्रेन युद्ध को दो साल पूरे हो चुके हैं, जमीन पर अभी भी स्थिति विस्फोटक बनी हुई है। उस स्थिति के बीच ऐसी खबर आई है कि 20 भारतीय भी वहां फंसे हुए हैं, हैरानी की बात ये है कि उन भारतीयों को नौकरी का झांसा देकर रूस भेजा गया और फिर जंग लड़ने पर मजबूर कर दिया गया। अब विदेश मंत्रालय ने इस मामले का संज्ञान लिया है और सभी भारतीयों के रेस्क्यू की बात भी कही है।

जारी बयान में कहा गया कि हमें पता है कि करीब 20 लोग फंसे हुए हैं। हम उनके शीघ्र डिस्चार्ज के लिए हरसंभव प्रयास कर रहे हैं। हमने दो वक्तव्य जारी किए हैं जो आपने देखे हैं। हमने लोगों से यह भी कहा है कि वे युद्ध क्षेत्र में न जाएं या ऐसी स्थितियों में न फंसें जो कठिन हों। हम यहां नई दिल्ली और मॉस्को दोनों जगह रूसी अधिकारियों के साथ नियमित संपर्क में हैं।

रूस-यूक्रेन युद्ध को लेकर भी एक जारी बयान में कहा गया है कि हमारी स्थिति सर्वविदित है। हमने विभिन्न स्तरों पर, उच्चतम स्तरों पर यह कहा है कि भारत चाहता है कि चर्चा हो, कूटनीति हो, निरंतर जुड़ाव हो ताकि दोनों पक्ष एक साथ आ सकें और शांति का समाधान ढूंढ सकें। इससे पहले भी भारत का यही स्टैंड रहा है और हर बार बातचीत के जरिए ही समाधान निकालने पर जोर दिया गया है।

पीएम मोदी ने तो खुद दोनों रूसी राष्ट्रपति और यूक्रेन के राष्ट्रपति से बात की है। हर बार कहा है कि कूटनीति के जरिए ही समाधान निकालने की जरूरत है, युद्ध से कुछ भी हासिल नहीं होने वाला है। इससे पहले जब भारतीयों का रेस्क्यू किया गया था, तब भी पीएम द्वारा कूटनीति का ही प्रदर्शन किया गया था।