अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप और रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन अलास्का के एंकोरेज में मिलने वाले हैं। दोनों नेता यूक्रेन में युद्ध पर चर्चा के लिए मिलेंगे। बैठक से पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बार-बार जमीन की अदला-बदली की बात की है, जिसके बारे में उनका कहना है कि इससे लड़ाई खत्म करने में मदद मिलेगी। ट्रंप ने कुछ दिन पहले पत्रकारों से कहा था कि भूमि अदला-बदली की प्रक्रिया हो सकती है।
रूस वर्तमान में यूक्रेनी जमीन के लगभग 20 फीसदी हिस्से पर कब्जा किए हुए है। वहीं यूक्रेन के पास रूसी जमीन लगभग न के बराबर है। तो संभावित जमीन अदला-बदली में क्या शामिल हो सकता है?
युद्ध की स्थिति क्या है?
युद्ध के साढ़े तीन साल बाद, यूक्रेन पूरी तरह से डिफेंसिव स्थिति में है। रॉयटर्स के अनुसार रूस वर्तमान में यूक्रेन के 1,14,500 वर्ग किलोमीटर (19% से अधिक) क्षेत्र पर नियंत्रण रखता है, जिसमें क्रीमिया और पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन का एक बड़ा भूभाग शामिल है। कुछ अनुमानों के अनुसार यह संख्या और भी अधिक है। दूसरी ओर यूक्रेन के पास रूसी भूमि लगभग न के बराबर है। पिछले अगस्त-सितंबर में कुर्स्क में महत्वपूर्ण बढ़त हासिल करने के बाद इस साल मार्च तक यूक्रेनी सेना को रूसी जमीन से खदेड़ दिया गया था।
मौजूदा स्थिति में युद्ध में रूस का ही दबदबा है। यूक्रेन के पास सामने मोर्चे पर भेजने के लिए सैनिक कम पड़ रहे हैं, फिर भी रूसी सेना लगातार आगे बढ़ रही है। अगर लड़ाई इसी गति से जारी रही, तो विशेषज्ञों का कहना है कि रूस पूर्वी और दक्षिण-पूर्वी यूक्रेन के चारों प्रांतों, लुहान्स्क, डोनेट्स्क, जापोरिज्जिया और खेरसॉन पर कब्जा कर लेगा। रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार फिलहाल रूस के पास लुहान्स्क का लगभग पूरा इलाका और डोनेट्स्क, जापोरिज्जिया और खेरसॉन का लगभग तीन-चौथाई हिस्सा है।
पुतिन ने क्या कहा था?
युद्ध शुरू होने के कुछ समय बाद ही पुतिन ने 2022 में आधिकारिक तौर पर चारों प्रांतों को रूसी क्षेत्र में शामिल कर लिया। रूस यूक्रेन के उत्तरी खार्किव, सूमी, मायकोलाइव और निप्रोपेत्रोव्स्क क्षेत्रों में ज़मीन के छोटे-छोटे हिस्सों पर भी नियंत्रण रखता है। रूस ने कहा है कि वह कुर्स्क को भविष्य में यूक्रेनी हमले से बचाने के लिए सूमी में एक बफर जोन बना रहा है।
रूस ने 2014 से क्रीमिया पर कब्जा कर रखा है। जबकि यूक्रेन सार्वजनिक रूप से कहता रहा है कि क्रीमिया यूक्रेनी क्षेत्र है। हालांकि निजी तौर पर यूक्रेनी अधिकारी लंबे समय से स्वीकार करते रहे हैं कि इस समय क्रीमिया को बलपूर्वक वापस पाना लगभग असंभव होगा।
जमीन अदला-बदली या सरेंडर?
कुछ दिन पहले ही ट्रंप ने कहा था कि रूस ने कुछ बेहद अहम इलाक़ों पर कब्ज़ा कर लिया है, और वह उसमें से कुछ इलाके वापस पाने की कोशिश करेंगे। चूंकि यूक्रेन के पास फिलहाल कोई रूसी ज़मीन नहीं है जिसका इस्तेमाल बातचीत में किया जा सके, इसलिए कई लोग सोच रहे हैं कि ट्रंप की ज़मीन अदला-बदली का क्या मतलब होगा।
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कई मीडिया रिपोर्ट्स में बताया गया है कि रूस चाहता है कि यूक्रेन रणनीतिक और आर्थिक रूप से अहम डोनबास क्षेत्र, जिसमें डोनेट्स्क और लुगांस्क प्रांत शामिल हैं, से एकतरफ़ा वापसी करे। अगर यूक्रेन इस बात पर राजी हो जाता है (हालांकि ऐसा होना लगभग नामुमकिन है) तो उसे यूक्रेनी सैनिकों को वापस बुलाना होगा और इस क्षेत्र में अब भी उसके कब्जे में मौजूद लगभग 6,600 वर्ग किलोमीटर ज़मीन छोड़नी होगी।
बदले में रूस ज़ापोरिज्जिया और खेरसॉन में सीमा को स्थिर करने, उत्तरी यूक्रेन में अपनी जमीन के छोटे-छोटे हिस्से वापस करने और संभवतः कुर्स्क में यूक्रेन के कब्जे वाले और भी छोटे-छोटे हिस्से को छोड़ने को तैयार होगा। यूक्रेन के कमांडर-इन-चीफ ओलेक्सांद्र सिर्स्की ने जून में कहा था कि रूस के विपरीत दावों के बावजूद यूक्रेनी सेना के पास अभी भी कुर्स्क में लगभग 90 वर्ग किलोमीटर रूसी क्षेत्र है।
अगर यह सच भी हो तो भी यूक्रेन के पास जो भी रूसी जमीन है, वह आकार और सामरिक महत्व में रूस के कब्के वाली यूक्रेनी ज़मीन से अतुलनीय है। यही कारण है कि जमीन की अदला-बदली की बात को यूक्रेन में सरेंडर के रूप में ज़्यादा देखा जा रहा है। यूक्रेन के राष्ट्रपति वोलोडिमिर जेलेंस्की ने स्थानीय मीडिया से कहा था, “हम डोनबास नहीं छोड़ेंगे। हम नहीं छोड़ सकते।”
यूक्रेन के पास क्या विकल्प?
चूंकि युद्ध के मैदान में यूक्रेन की कोई पकड़ नहीं है, इसलिए वह उम्मीद कर रहा होगा कि पश्चिमी प्रतिबंध रूस को इतना नुकसान पहुँचाएँगे कि पुतिन को कुछ रियायतें देने पर मजबूर होना पड़े। ऐसी उम्मीद पूरी तरह से बेबुनियाद नहीं है। नए प्रतिबंध रूस के बजट में भारी कमी ला सकते हैं और ट्रंप ने वादा किया है कि अगर रूस शांति समझौते के लिए राज़ी नहीं होता है, तो वे पुतिन पर और दबाव डालेंगे।
हालांकि रूसी अर्थव्यवस्था अब तक पश्चिमी दबाव के ख़िलाफ मजबूत रही है। भले ही अर्थव्यवस्था की हालत बहुत खराब हो, लेकिन सिर्फ़ यही रूस के आत्मसमर्पण की गारंटी नहीं है, जिसे मास्को अस्तित्व के खतरे से लड़ने की लड़ाई मानता है। विशेषज्ञों का कहना है कि इस समय यूक्रेन के लिए सबसे अच्छा यही होगा कि संघर्ष और युद्धक्षेत्र स्थिर हो जाए। इससे यूक्रेन को अपने जनशक्ति आधार और अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए कुछ जरूरी समय मिल जाएगा, जो इस समय दोनों ही खस्ताहाल हैं। साथ ही इससे रूस को उबरने और भविष्य में किसी और आक्रमण के लिए तैयार होने का भी समय मिल जाएगा। अल जज़ीरा के डिफेंस एडिटर एलेक्स गैटापोलोस के अनुसार यह यूक्रेन के लिए वाकई एक खतरनाक समय है।