प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रूस दौरे के दौरान भारत की बड़ी कूटनीतिक जीत हुई है। राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन ने यूक्रेन के साथ जारी जंग के बीच उन भारतीय लोगों को वापस भेजने का ऐलान किया है जो उनकी सेना में शामिल थे। इसमें कुछ भारतीय छात्र भी शामिल थे। रूस ने बुधवार को कहा कि वह रूसी सेना में सहायक कर्मी के रूप में भर्ती किये गए भारतीयों की वापसी के भारत के आह्वान से संबंधित मुद्दे के शीघ्र समाधान की उम्मीद कर रहा है। उसने कहा कि उनकी भर्ती पूरी तरह से एक व्यावसायिक मामला है।

क्या है पूरा मामला?

रूस और यूक्रेन के बीच जारी जंग के बीच कुछ ऐसे मामले सामने आए थे जिसे में भारतीयों को नौकरी और पढ़ाई का झांसा देकर रूस भेजा गया था। रूस जाने के बाद इन भारतीयों को यूक्रेन के साथ जारी जंग में लगा दिया गया। इसके कुछ वीडियो भी सामने आए थे। जानकारी के मुताबिक 4 भारतीयों की इस जंग में अब तक मौत हो चुकी है, वहीं करीब 30 से 40 लोग अभी भी रूस में फंसे हुए हैं। भारत की ओर से पिछले दिनों इस मामले को रूस के सामने उठाया गया था। भारत में सीबीआई ने एक ऐसे गैंग के चार लोगों को गिरफ्तार भी किया था जो मानव तस्करी से जुड़े थे। गैंग के लोग अच्छी नौकरी और बड़ी यूनिवर्सिटी में एडमिशन दिलाने के नाम पर भारतीयों को विदेश ले जाते थे।

रूस दौरे पर उठाया था मामला

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के रूस दौरे पर इस मामले को पुतिन के सामने उठाया था। इस यात्रा के दौरान रूस ने ना सिर्फ इन भारतीय की रिहाई का आदेश दिया बल्कि पीएम मोदी को रूस का सर्वोच्च पुरस्कार भी दिया। इससे पहले विदेश सचिव विनय क्वात्रा ने एक मीडिया ब्रीफिंग में बताया कि भारत का अनुमान है कि उसके 30 से 40 नागरिक पहले से ही वहां सेवा दे रहे हैं। भारतीय नागरिकों की यथाशीघ्र वापसी के लिए सभी प्रयास किए गए हैं। 10 भारतीयों को पहले ही वापस लाया जा चुका है।

रूस बोला- इसे ना बनाएं राजनीतिक मुद्दा

रूसी सरकार की ओर से इस मुद्दे पर पहली टिप्पणी में, रूस के दूतावास प्रभारी रोमन बाबुश्किन ने कहा कि मॉस्को कभी नहीं चाहता था कि भारतीय उसकी सेना का हिस्सा बनें और संघर्ष के संदर्भ में उनकी संख्या नगण्य है। उन्होंने एक सवाल के जवाब में मीडियाकर्मियों से कहा, ‘हम इस मुद्दे पर भारत सरकार के साथ हैं। हमें उम्मीद है कि इस मुद्दे का जल्द समाधान होगा।’ प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के समक्ष इस मुद्दे को जोरदार तरीके से उठाया, जिसके बाद रूस ने रूसी सेना में सहायक कर्मियों के रूप में कार्यरत भारतीय नागरिकों की शीघ्र रिहाई और स्वदेश वापसी सुनिश्चित करने का वादा किया था और इसके एक दिन बाद बाबुश्किन का बयान आया।

इनपुट-एजेंसी