संयुक्त राष्ट्र संघ में यूक्रेन पर हमले को लेकर रूस के खिलाफ प्रस्ताव पास हो गया है। दुनिया के 143 देशों ने रूस के राष्ट्रपति पुतिन का विरोध किया। भारत एक बार फिर मतदान से दूर रहा। पांच देशों ने प्रस्ताव के पक्ष में वोट दिया। यह प्रस्ताव रूस द्वारा सुरक्षा परिषद में इसी तरह के एक अन्य प्रस्ताव को वीटो करने के कुछ दिनों बाद आया है। भारत उसमें भी भाग नहीं लिया था।

रूस-यूक्रेन में चल रही लड़ाई के बीच यूक्रेन के चार इलाकों को जनमत संग्रह के माध्यम से अपने कब्जे में लेने के रूस की कोशिशों की संयुक्त राष्ट्र महासभा ने निंदा की है। यूएन महासभा में लाये गये इस प्रस्ताव में कहा गया है कि जनमत संग्रह के माध्यम से इस अवैध कब्जे का हम विरोध करते है। इस प्रस्ताव में रूस के खिलाफ 143 देशों ने मतदान किया, जबकि सिर्फ पांच देशों ने रूस का समर्थन किया। भारत समेत 35 देश मतदान से बाहर रहे।

मॉस्को ने सितंबर में यूक्रेन में चार आंशिक रूप से कब्जे वाले क्षेत्रों – डोनेट्स्क, लुहान्स्क, खेरसॉन और ज़ापोरिज्जिया को अपने देश में मिलाने की घोषणा की थी – उसने इसे जनमत संग्रह कहा है। यूक्रेन और सहयोगियों ने जनमत को अवैध और जबरदस्ती करार दिया है। यूक्रेन के कुछ हिस्सों में बुधवार को तीसरे दिन हवाई हमले के सायरन बजाए गए। यूक्रेन के पूर्वी दोनेत्स्क क्षेत्र के गवर्नर ने कहा कि सीमावर्ती शहर अवदिवका के भीड़भाड़ वाले बाजार में रूसी हमले में कम से कम सात लोग मारे गए और आठ घायल हो गए। कुछ अन्य स्थानों पर भी गोलाबारी की खबरें हैं।

भारत ने कहा कि उसका मतदान में भाग नहीं लेने का फैसला ‘‘अच्छी तरह से सोच विचार के बाद अपनाए गए राष्ट्रीय रुख’’ के ‘‘अनुरूप’’ है और देश बातचीत और कूटनीति के माध्यम से शांतिपूर्ण समाधान के महत्व को रेखांकित करते हुए तनाव कम करने के उद्देश्य से सभी प्रयासों का समर्थन करने के लिए तैयार है। कुल 193 सदस्यीय महासभा ने ‘‘अंतरराष्ट्रीय स्तर पर यूक्रेन की मान्यता प्राप्त सीमाओं के भीतर के क्षेत्रों में अवैध तथाकथित जनमत संग्रह और यूक्रेन के दोनेत्स्क, खेरसॉन, लुहान्स्क और जापोरिज्जिया क्षेत्रों पर अवैध कब्जे के प्रयास की निंदा करने के’’ समर्थन में मतदान किया।

बेलारूस, उत्तर कोरिया, सीरिया और निकारागुआ रूस के साथ रहे

143 देशों ने “यूक्रेन की क्षेत्रीय अखंडता: संयुक्त राष्ट्र चार्टर के सिद्धांतों का बचाव” प्रस्ताव के पक्ष में मतदान किया, जबकि रूस, बेलारूस, उत्तर कोरिया, सीरिया और निकारागुआ ने इसके खिलाफ मतदान किया। भारत समेत 35 देश इस मतदान में शामिल नहीं हुए। प्रस्ताव पारित होने के बाद यूएनजीए में सभी ने तालियां बजाकर इस कदम का स्वागत किया।