Reko diq mine location: बलूचिस्तान की बंजर सी लगने वाली धरती के नीचे एक ऐसा खजाना छुपा है, जो पाकिस्तान की डूबती अर्थव्यवस्था को तिनके का सहारा दे सकता है। रेको दिक (Reko Diq) में मौजूद सोने और तांबे का भंडार अरबों डॉलर का है। लेकिन जिस ज़मीन से ये दौलत निकल सकती है, वहां आज भी बारूद की गंध और बगावत की आवाज गूंजती है। पाकिस्तान इसे विदेशी निवेश का स्वर्ग बताकर अमेरिका, ब्रिटेन और कनाडा जैसे देशों को लुभाने में जुटा है। लेकिन ये आधी सच्चाई है। पूरी सच्चाई यह है कि रेको दिक का इलाका असल में लगातार विद्रोह और हिंसा से जूझ रहा है।
क्या झूठा सपना बेच रहा है पाकिस्तान?
हाल ही में प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ और अमेरिकी अधिकारी एरिक मेयर के बीच इस प्रोजेक्ट पर बात हुई। इससे पहले इस्लामाबाद में ‘मिनरल इन्वेस्टमेंट फोरम’ आयोजित किया गया, जहां अमेरिका, कनाडा, चीन, यूके और सऊदी अरब जैसे देशों के प्रतिनिधि आए। मंच पर खुद आर्मी चीफ असीम मुनीर मौजूद थे, जिन्होंने सुरक्षा की गारंटी दी। लेकिन सवाल यह है – क्या सिर्फ मंच से दिए वादे जमीन पर टिक सकते हैं? चीन के साथ पाकिस्तान का अनुभव कुछ और ही कहता है।
चीन का सबक: निवेश के बदले लाशें
चीन ने पाकिस्तान के सबसे भरोसेमंद दोस्त के रूप में अरबों डॉलर सीपेक में लगाए। सड़कें बनीं, पावर प्लांट बने, लेकिन बदले में उसे मिला – हमले, अपहरण और मरे हुए चीनी मजदूर। बलूच लिबरेशन आर्मी (BLA) ने दर्जनों बार चीनी ठिकानों को निशाना बनाया। नतीजतन, चीन ने साफ कह दिया – हमारी सेना को सुरक्षा का जिम्मा दो। लेकिन पाकिस्तान इसके लिए अब तक तैयार नहीं हुआ। अब अगर अमेरिका या यूके यहां निवेश करेंगे, तो क्या वो भी वही कीमत चुकाने को तैयार हैं?
बलूचों की ललकार: हमारी मिट्टी, हमारा हक
बलूचिस्तान पाकिस्तान का सबसे बड़ा, लेकिन सबसे उपेक्षित इलाका है। यहां के लोगों को पीने का साफ पानी तक नसीब नहीं, अस्पताल, स्कूल, रोजगार तो बहुत दूर की बात है। और अब बाहरी कंपनियों का आना, उन्हें लगता है, एक नई तरह की गुलामी है। स्थानीय युवाओं का मानना है कि रेको दिक से अरबों कमाए जाएंगे, लेकिन उनके हिस्से आएंगी सिर्फ बंदूकें और बेरोजगारी। इसी गुस्से ने BLA जैसे विद्रोही संगठनों को जन्म दिया, जो अब इन खनन परियोजनाओं को खुली चुनौती दे रहे हैं।
ट्रेन हाईजैक से दी चेतावनी
हाल ही में BLA ने एक बड़ा हमला किया – 400 यात्रियों से भरी ट्रेन को हाईजैक कर लिया। दर्जनों लोग मारे गए। यह सिर्फ एक वारदात नहीं, बल्कि एक संदेश था – बलूच अब चुप नहीं बैठेंगे।
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पाकिस्तान के आर्मी चीफ लाख दावा करें, लेकिन बलूचिस्तान की सच्चाई ये है कि वहां खुद सेना निशाने पर है। सितंबर 2024 में ही BLA के हमलों में 70 से ज्यादा लोग मारे गए, जिनमें से अधिकतर पंजाबी मजदूर थे। बलूचों का आरोप है कि बाहरी लोग उनकी जमीन से मुनाफा कमा रहे हैं और स्थानीय लोग हाशिए पर खड़े हैं।
सरकार कह रही है कि रेको दिक से पाकिस्तान की किस्मत बदलेगी, लेकिन जिनकी जमीन है, वो ही सबसे ज्यादा बेचैन हैं। सालों से सिर्फ वादे सुनने वालों को अब उम्मीद नहीं, बल्कि शक है। अगर कोई देश पाकिस्तान की बातों पर भरोसा कर यहां निवेश करता है, तो उसे पहले बलूचिस्तान की हकीकत जाननी होगी – जहां हर खदान के नीचे सोना है, और ऊपर बंदूकें।