ईरान के राष्ट्रपति चुनाव में सुधारवादी उम्मीदवार मसूद पेजेश्कियान (Masoud Pezeshkian) ने जीत हासिल की। शनिवार को आए नतीजे में उन्होंने कट्टरपंथी सईद जलीली (Saeed Jalili) को हराया। उन्होंने अपने चुनाव प्रचार के दौरान लोगों से वादा किया था कि वह जीत के बदा अनिवार्य रूप से हेडस्कार्फ कानून को लागू करेंगे। यह कानून इस्लामिक गणराज्य पर कई वर्षों तक प्रतिबंध और विरोध प्रदर्शन के बाद बनाया गया था। पेजेश्कियान ने अपने अभियान में ईरान के शिया धर्मतंत्र में कोई आमूलचूल परिवर्तन नहीं करने का वादा किया था।
नए राष्ट्रपति ने सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को स्वीकारा
उन्होंने लंबे समय से देश के सभी मामलों के अंतिम मध्यस्थ के रूप में सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई को स्वीकार किया है। मतगणना में पेजेश्कियान को 16.3 मिलियन वोटों के साथ विजेता घोषित किया गया, जबकि जलीली को 13.5 मिलियन वोट मिले। चुनाव में 30 मिलियन लोगों ने मतदान किया। अधिकारियों ने शुक्रवार के चुनाव में 49.6% मतदान होने की बात कही, जो अब भी ईरानी राष्ट्रपति चुनाव के लिए ऐतिहासिक रूप से कम है।
हृदय शल्य चिकित्सक और लंबे समय से सांसद पेजेश्कियान के समर्थक, पूर्व परमाणु वार्ताकार जलीली पर उनकी बढ़त होने पर जश्न मनाने के लिए भोर से पहले तेहरान और अन्य शहरों की सड़कों पर निकल आए थे।
28 जून को मतदान के पहले दौर में 1979 की इस्लामी क्रांति के बाद से इस्लामी गणराज्य के इतिहास में सबसे कम मतदान हुआ। सरकारी अधिकारियों से लेकर सर्वोच्च नेता अयातुल्ला अली खामेनेई ने मतदान शुरू होने के साथ ही लोगों की भागीदारी दर बढ़ने का अनुमान लगाया था। हालांकि ऑनलाइन वीडियो में कुछ मतदान केंद्रों को खाली दिखाया गया, जबकि राजधानी तेहरान में कई दर्जन साइटों के सर्वेक्षण में सड़कों पर भारी सुरक्षा मौजूदगी के बीच हल्की ट्रैफिक देखी गई।
यह चुनाव क्षेत्रीय तनाव के बीच हुआ। अप्रैल में ईरान ने गाजा में युद्ध को लेकर इजरायल पर अपना पहला सीधा हमला किया, जबकि इस क्षेत्र में तेहरान से हथियार पाए मिलिशिया समूह लेबनानी हिजबुल्लाह और यमन के हौथी विद्रोही लड़ाई में लगे हुए हैं और उन्होंने अपने हमले बढ़ा दिए हैं।