मोहम्मद मुइज्जू जब से मालदीव के नए राष्ट्रपति बने हैं, तब से भारत के साथ इस देश के रिश्तों में काफी तनाव बढ़ गया है। उन्होंने आते ही ‘इंडिया आउट’ कैंपेन का मुद्दा जोरों-शोरों से उठाया। मुइज्जु ने कहा कि उन्हें किसी अन्य देश की मौजूदगी यहां पर नहीं चाहिए। अब भारत सरकार ने इस मामले में बड़ा फैसला लेते हुए मालदीव में मौजूद भारतीय सैनिकों की जगह अब भारत के टेक्निकल स्टाफ को लाया जाएगा।

विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जैसवाल ने आज कहा कि मालदीव को भारत की तरफ से मिलने वाली मदद जारी रहेगी और इसमें किसी भी प्रकार की कमी नहीं की जाएगी। भारत आज भी मालदीव के विकास में अहम साझेदार बना हुआ है। दोनों देश जल्द ही तीसरे दौर की वार्ता करेंगे। जैसवाल ने भारतीय सैनिकों की वापसी के मुद्दे पर कहा कि उनकी जगह अब टेक्निकल स्टाफ ले लेगा। हालांकि, उन्होंने सैनिक शब्द का इस्तेमाल नहीं किया है।

मालदीव ने सेना वापस बुलाने का किया आग्रह

मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने भारत सरकार से 15 मार्च से पहले सेना वापस बुलाने का आग्रह किया था। 2 फरवरी को दोनों देशों के बीच नई दिल्ली में कई मुद्दों पर बातचीत हुई थी। इस वार्ता में कहा गया कि भारतीय सैनिक अब 15 मार्च के बजाय 10 मई तक अपने वतन वापस लौट सकेंगे। इस समय डोर्नियर 228 एयरक्राफ्ट और दो एचएएल ध्रुव हेलीकॉप्टरों के साथ लगभग 70 भारतीय सैनिक मालदीव में तैनात हैं।

भारतीय सेना को हटाने पर क्यों तुला मालदीव

भारत कई वर्षों से इस देश की मदद करता रहा है। लेकिन नए राष्ट्रपति की सरकार इंडिया आउट कैंपेन पर तुली हुई है। इसकी सबसे बड़ी वजह चीन की पॉलिसी को माना जाता है। राष्ट्रपति मुइज्जू चीन के काफी करीबी माने जाते हैं। यह देश चीन का कर्जदार माना जाता है। ऐसे में चीन के दवाब की वजह से वह भारत के साथ रिश्ते खराब करता जा रहा है।