Qatar India Relations Trade News: कतर के अमीर शेख तमीम बिन हमद अल थानी भारत दौरे पर आए हैं, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने खुद उनका एयरपोर्ट पहुंच स्वागत किया। अब सभी के मन में सवाल है कि त्रिपुरा के क्षेत्रफल के बराबर वाला देश आखिर भारत के लिए इतना जरूरी क्यों है? ऐसे क्या कारण है जिस वजह से भारत हर कीमत पर कतर के साथ अच्छे रिश्ते चाहता है?
यहां पर समझने वाली बात यह है कतर की आबादी मात्र 29 लाख है, वहां भी 8 लाख 35 हजार तो भारतीय मौजूद है। अब कहने को कतर एक छोटा देश है, लेकिन भारत की ऊर्जा की जो भी ज़रूरतें रहती हैं, उसे काफी हद तक यह छोटा कतर ही पूरा कर रहा है।
भारत को कतर से क्या मिलता है?
आजतक की रिपोर्ट के मुताबिक भारत एलएनजी और एलपीजी गैस के लिए भी कतर पर काफी हद तक निर्भर रहता है। 2024 का ही इंटरनेशनल एनर्जी एजेंसी का आंकड़ा है जो कहता है कि भारत में वर्तमान में 65 अब घन मीटर गैस की खपत हो रही है। अगले 6 सालों में यह आंकड़ा 120 अरब घन मीटर तक पहुंच जाएगा। ऐसे में जब भारत की जरूरत जब इतनी ज्यादा बढ़ेगी तब एक ही भरोसेमंद साथी होगा और वो है कतर। 2022-23 की बात करें तो भारत ने कतर से 10.74 मिलियन मेट्रिक टन का LNG मंगवाया था। इसकी कीमत 8.32 अरब डॉलर देखी गई थी. अगर एलपीजी की बात करें तो यहां भी भारत का सबसे ज्यादा ट्रेड कतर के साथी चल रहा है। 2022-23 के आंकड़े कहते हैं कि भारत ने कतर से 5.33 मिलियन मेट्रिक टन एलपीजी मंगवाई थी, उसकी कीमत 4.04 अरब डॉलर थी।
यहां पर समझने वाली बात यह भी है कतर भारत पर काफी भरोसा करता है। कतर सबसे ज्यादा तीन देशों को अपना सामान भेज रहा है- पहले नंबर पर चीन है, दूसरे नंबर पर जापान और तीसरे पर भारत आता है। ऐसे में यह रिश्ता भरोसे का है, दोस्ती का है जो पिछले कई सालों से ऐसे ही चला आ रहा है। जानकार मानते हैं आने वाले सालों में भी यह रिश्ता और ज्यादा मजबूत होगा क्योंकि भारत और कतर का व्यापार इसी गति से बढ़ता रहेगा।
कतर क्यों भारत का अहसानमंद?
वैसे भारत ने भी कतर के साथ समय-समय पर अपनी दोस्ती निभाई है। साल 2017 कोई भूला नहीं है जब मिडल ईस्ट के कई देशों ने कतर का बायकॉट कर दिया था, उस पर आरोप लगा था कि वो आतंकवाद को बढ़ावा दे रहा है। उसकी धरती से IS जैसे संगठन ऑपरेट कर रहे हैं। उस समय सऊदी अरब ने बड़े मिशन के तहत कतर के विमानों की अपने देश में एंट्री तक बैन करवा दी थी।
लेकिन भारत ने उस समय समझदारी दिखाते हुए एसी कूटनीति का परिचय दिया जहां पर सिर्फ कुछ समय के लिए कतर के साथ व्यापार को स्थगित किया गया, लेकिन जैसे ही स्थिति सामान्य हुई, फुल स्पीड में फिर ट्रेड को आगे बढ़ाया गया। ऐसे संकट के समय भारत ने कतर को बायकॉट करने के बजाय सहारा देने का काम किया था। वैसे दोस्ती तो दोनों देशों की तभी देखने को मिल गई जब पीएम मोदी ने अमीर शेख तमीम का स्वागत किया था, और जानने के लिए यहां क्लिक करें