रोमानिया में मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम को लेकर रूस और अमेरिका के बीच चल रहा विवाद थमने का नाम नहीं ले रहा है। इस मुद्दे पर तनातनी के बीच रूस के राष्‍ट्रपति व्‍लादिमिर पुतिन ने कहा है कि उनका देश ‘उभरते खतरों को बेअसर’ करेगा। उनका मानना है कि अमेरिका रोमानिया में जो सैन्‍य ठिकाना फिर से खोलने जा रहा है कि उसका मकसद रूस की परमाणु शक्ति को कमजोर करना है। इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा रूस की बढ़ती आक्रामक सैन्य गतिविधियों पर चिंता जता चुके हैं।

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वहीं पश्चिमी देशों के सैन्य संगठन नाटो का कहना है कि इस सैन्‍य ठिकाने का मकसद मध्य पूर्व की तरफ से होने वाले संभावित ख़तरों को रोकना है। गुरुवार को अमेरिका ने दक्षिणी रोमानिया के देवेसेलु में 80 करोड़ डॉलर की एक मिसाइल डिफेंस सिस्‍टम को सक्रिय किया है। मॉस्को में रूसी अधिकारियों से बात करते हुए पुतिन ने कहा, “यह कोई रक्षा तंत्र नहीं हैं बल्कि अमेरिका बाहरी इलाकों में परमाणु रणनीतिक संभावनाओं की तलाश में है।” उनका कहना था, “अब ये बैलिस्टिक रक्षा मिसाइलें लगाई जा रही हैं, ऐसे में हम यह सोचने के लिए बाध्य हैं कि रूस के लिए उभरते खतरों को कैसे बेअसर किया जाए।”

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दूसरी ओर स्वीडन, डेनमार्क, फिनलैंड, नॉर्वे और आइसलैंड के नेताओं के साथ व्हाइट हाउस में एक बैठक के बाद बराक ओबामा ने कहा, “बाल्टिक क्षेत्र में रूस की बढ़ती आक्रामक सैन्य गतिविधियों को लेकर चिंता है और इस मामले में हम एक साथ हैं।” ओबामा ने आगे कहा, “हम मौजूदा बातचीत को जारी रखेंगे और रूस से सहयोग की उम्मीद रखेंगे लेकिन हम यह भी सुनिश्चित करना चाहते हैं कि हम तैयार हैं। हम रूस को अंतरराष्ट्रीय ज़िम्मेदारियों के अनुरूप ही सैन्य गतिविधियों को बढ़ाने के लिए प्रोत्साहित करेंगे।”

पश्चिमी देशों और रूस के संबंधों में खटास तब से आई जब मॉस्को ने अंतरराष्ट्रीय स्तर पर अवैध माने गए जनमत संग्रह के बाद यूक्रेन के दक्षिणी प्रायद्वीप क्रीमिया को 2014 में अपने कब्ज़े में कर लिया था।

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