प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के भारत और फलस्तीन के बीच संबंधों को बढ़ावा देने में योगदान को देखते हुए शनिवार (10 फरवरी) को फलस्तीन के राष्ट्रपति महमूद अब्बास ने उन्हें ‘ग्रैंड कॉलर ऑफ द स्टेट ऑफ फलस्तीन’ सम्मान से सम्मानित किया। दोनों नेताओं के बीच द्विपक्षीय बैठक के समापन के बाद फलस्तीन के राष्ट्रपति अब्बास ने प्रधानमंत्री को मोदी सम्मानित किया। मोदी फलस्तीन की आधिकारिक यात्रा करने वाले पहले भारतीय प्रधानमंत्री हैं। ‘ग्रैंड कॉलर’ विदेशी गणमान्यों- शाह, राष्ट्राध्यक्षों/शासनाध्यक्षों और समान पद के व्यक्तियों को दिया जाने वाला फलस्तीन का सर्वोच्च सम्मान है। इससे पहले यह सम्मान सऊदी अरब के शाह सलमान, बहरीन के शाह हमाद, चीन के राष्ट्रपति शी चिनफिंग और अन्य को दिया जा चुका है। प्रशस्ति पत्र में लिखा है, ‘‘यह उनके कुशल नेतृत्व एवं उनके उत्कृष्ट राष्ट्रीय एवं अंतरराष्ट्रीय कद को देखते हुए एवं फलस्तीन राष्ट्र तथा भारतीय गणतंत्र के बीच ऐतिहासिक संबंधों को बढ़ावा देने के उनके प्रयासों की सराहना तथा क्षेत्र में शांति बनाए रखने के लिए आजादी और हमारे लोगों के आजादी के हक को उनका समर्थन देने का सम्मान करते हैं।’’

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी अपनी ऐतिहासिक फलस्तीन यात्रा पर शनिवार को रामल्ला पहुंचे। मोदी जॉर्डन सेना के हेलीकॉप्टर पर सवार होकर अम्मान से सीधे रामल्ला पहुंचे जहां फलस्तीन के प्रधानमंत्री रामी हमदल्ला ने उनका स्वागत किया। मोदी तीन देशों की यात्रा पर हैं। फलस्तीन की धरती पर कदम रखने के बाद मोदी ने कहा, ‘‘यह ऐतिहासिक यात्रा है जो मजबूत द्विपक्षीय सहयोग की ओर ले जाएगी।’’ प्रधानमंत्री मोदी अपने समकक्ष हमदल्ला के साथ फलस्तीनी नेता यासर अराफात के मकबरे पर गए और पुष्पचक्र चढ़ाकर उन्हें श्रद्धांजलि दी। मकबरे को 10 नवंबर, 2007 को जनता के लिए खोला गया था और यह फलस्तीन के राष्ट्रपति आवास परिसर के पास स्थित है। अराफात को श्रद्धांजलि देने के बाद मोदी मकबरे के पास स्थित अराफात संग्रहालय में भी गए। बाद में राष्ट्रपति अब्बास ने औपचारिक वार्ता शुरू करने से पहले रामल्ला स्थित राष्ट्रपति कार्यालय पर प्रधानमंत्री मोदी का औपचारिक स्वागत किया। दोनों नेता गले मिले और दोनों देशों के राष्ट्रगान के सम्मान में खड़े रहे। उन्होंने सलामी गारद ली। उन्होंने फलस्तीनी और भारतीय अधिकारियों के साथ हाथ मिलाए। फिर दोनों नेता औपचारिक बातचीत के लिए राष्ट्रपति कार्यालय के भीतर गए।

इससे पहले भारत को ‘‘अंतरराष्ट्रीय परिदृष्य में बहुत सम्मानित देश’’ बताते हुए राष्ट्रपति अब्बास ने पीटीआई से कहा था, ‘‘हम हाल में हुई चीजों पर प्रधानमंत्री मोदी के साथ चर्चा करेंगे, हम शांति प्रक्रिया, द्विपक्षीय संबंधों और क्षेत्रीय स्थिति के संबंध में बात करेंगे। क्षेत्र में शांति को बढ़ावा देने के लिए भारत क्या संभावित भूमिका निभा सकता है, इस पर भी चर्चा होगी। इसके अलावा दोनों देशों के मौजूदा संबंधों से इतर विभिन्न आर्थिक पहलुओं पर भी चर्चा होगी।’’ फलस्तीन के 82 वर्षीय राष्ट्रपति ने कहा कि अंतिम समझौते तक पहुंचने के लिए फलस्तीनी और इस्राइलियों के बीच वार्ता के लिए बहुपक्षीय मंच तैयार करने में भारत बहुत महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है। अब्बास का कहना है कि मोदी की यह यात्रा क्षेत्र में शांति और स्थिरता का समर्थन करने वाले भारत के चिर-स्थाई रुख को दर्शाती है। इस्राइली मीडिया में इस यात्रा को प्रमुखता से जगह दी गई है। कई खबरों में इस पर नाखुशी जताई गई है। बहुत से इस्राइली अराफात को इस क्षेत्र में कई निर्दोष नागरिकों की हत्या और हिंसा भड़काने के लिए दोषी मानते हैं।

मोदी और अब्बास की यह चौथी मुलाकाता है। इससे पहले दोनों नेताओं ने 2015 में संयुक्त राष्ट्र महासभा से इतर मुलाकात की थी। इसी वर्ष बाद में पेरिस जलवायु सम्मेलन से इतर भी दोनों नेताओं ने मुलाकात की थी। पिछले वर्ष फलस्तीनी नेता के भारत दौरे के दौरान दोनों नेताओं के बीच तीसरी मुलाकात हुई थी। इस दौरे से भारत की विदेश नीति के उस रुख की पुष्टि होती है, जिसके तहत भारत का किसी देश के साथ संबंध किसी तीसरे देश के साथ संबंध से मुक्त होता है। मोदी के पश्चिम एशिया के तीन देशों के दौरे में फिलिस्तीन पहला पड़ाव है, जिसके बाद वह संयुक्त अरब अमीरात(यूएई) और ओमान जाएंगे।