दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल को राजधानी सियोल के निकट एक हिरासत केंद्र में ले जाया गया। महाभियोग का सामना कर रहे राष्ट्रपति यून सुक योल को बुधवार सुबह दूसरे प्रयास में राष्ट्रपति परिसर से हिरासत में लिया गया। इससे पहले, उनसे पिछले महीने मार्शल लॉ लगाने के संबंध में कानून प्रवर्तन एजेंसियों के अधिकारियों ने पूछताछ की। यून को उनके राष्ट्रपति निवास पर हिरासत में लेने के बाद देश की भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी ने लगभग 10 घंटे तक पूछताछ की।
यून, जिन्होंने पहले आत्मसमर्पण करने से इनकार कर दिया था, उन्होंने कहा कि वह रक्तपात को रोकने के लिए अवैध जांच में सहयोग करने के लिए सहमत हो गए हैं।
भ्रष्टाचार जांच कार्यालय ने कहा कि यून को हिरासत में लेने के लिए सैकड़ों कानून प्रवर्तन अधिकारियों ने उनके आवासीय परिसर में प्रवेश किया और लगभग तीन घंटे बाद उन्हें हिरासत में लिया गया। यून ने भ्रष्टाचार निरोधक एजेंसी के मुख्यालय में ले जाए जाने से पहले रिकॉर्ड किए गए एक वीडियो संदेश में कहा, ‘‘इस देश में कानून का शासन पूरी तरह से ध्वस्त हो चुका है।” वह राजधानी सियोल में हन्नाम-डोंग आवास में कई सप्ताह तक छिपे रहे थे और उन्होंने सत्ता से उन्हें हटाने के प्रयासों के खिलाफ अंत तक लड़ने का संकल्प व्यक्त किया था।
राष्ट्रपति यून सुक योल ने दिसंबर 2024 को मार्शल लॉ की घोषणा की थी
राष्ट्रपति यून सुक योल ने 3 दिसंबर 2024 को मार्शल लॉ की घोषणा की थी। राष्ट्रपति के इस कदम ने पूरे देश को हैरत में डाल दिया था। हालांकि मार्शल लॉ कुछ ही घंटों से समाप्त हो गया था लेकिन इसके बाद देश में राष्ट्रपति के खिलाफ असंतोष की भावना फैल गई थी और विपक्षी दल उनके खिलाफ महाभियोग की कार्रवाई करने की मांग करने लगे थे। देश में विरोध प्रदर्शन हुए हैं, राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री पर महाभियोग चलाया गया और अंत में दो प्रयासों के बाद राष्ट्रपति को गिरफ्तार कर लिया गया।
महाभियोग झेल रहे साउथ कोरिया के राष्ट्रपति यून सुक योल गिरफ्तार
यून के खिलाफ़ देशद्रोह का मामला दर्ज होने के बाद जांच शुरू
इसके साथ ही, दक्षिण कोरिया की पुलिस ने यून के खिलाफ़ देशद्रोह का मामला दर्ज होने के बाद जांच शुरू कर दी है। दक्षिण कोरिया की मुख्य विपक्षी पार्टी डेमोक्रेटिक पार्टी ने यून के खिलाफ़ देशद्रोह की जांच के लिए एक स्थायी विशेष वकील नियुक्त करने का प्रस्ताव रखा है। 7 दिसंबर को यून सुक को अपने कामों के लिए माफ़ी मांगने के लिए मजबूर होना पड़ा। उन्होंने कहा कि मार्शल लॉ, राष्ट्रपति, राज्य के मामलों के लिए जिम्मेदार अंतिम अधिकारी के रूप में मेरे द्वारा लिया गया एक हताश निर्णय था और इसे दोहराया नहीं जाएगा।
दक्षिण कोरिया के राष्ट्रपति के खिलाफ दो बार लाया गया महाभियोग प्रस्ताव
7 दिसंबर को, पहला महाभियोग मतदान विफल हो गया क्योंकि जरूरी 200 में से 195 सांसद नेशनल असेंबली में उपस्थित थे और यून की पार्टी, पीपीपी से जुड़े और उसका समर्थन करने वाले सांसदों ने इस प्रयास का बहिष्कार किया था। दो दिन बाद दक्षिण कोरिया के न्याय मंत्रालय ने यून को विदेश यात्रा करने से रोक दिया।
14 दिसंबर को 204 सांसदों जिनमें पीपीपी के 12 सांसद शामिल थे उनके पक्ष में मतदान करने के बाद दूसरा महाभियोग प्रस्ताव पारित किया गया। कोरिया के संवैधानिक न्यायालय द्वारा अंतिम निर्णय आने तक, यून की शक्तियों और कर्तव्यों को अस्थायी रूप से प्रधान मंत्री हान डक-सू द्वारा संभाला गया था।
साउथ कोरिया के प्रधानमंत्री के खिलाफ भी महाभियोग
हालांकि, 27 दिसंबर को प्रधानमंत्री हान पर भी उन आरोपों के तहत महाभियोग लगाया गया जिनमें यून और उनकी पत्नी के खिलाफ जांच में बाधा डालना, मार्शल लॉ पर यून के साथ मिलीभगत करना और संवैधानिक न्यायालय में रिक्तियों को भरने के लिए न्यायाधीशों की नियुक्ति को रोकना शामिल था। दिसंबर 2024 से, यून भ्रष्टाचार जांच एजेंसी के सम्मन का पालन करने से इनकार कर रहे थे।
15 जनवरी को यून को विद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया
यून के खिलाफ पहला गिरफ्तारी वारंट 31 दिसंबर 2024 को जारी किया गया था जो सत्ता के दुरुपयोग और मार्शल लॉ संकट की साजिश रचने से संबंधित आरोपों पर था। उसके बाद जनवरी 2025 में दो सप्ताह के लिए यून सियोल में अपने आधिकारिक निवास में छुपे रहे, जिसके बाहर उनके सैकड़ों समर्थक एकत्र हुए और पुलिस और राजनीतिक विरोधियों के साथ झड़पें कीं। 3 जनवरी 2025 से यून की राष्ट्रपति सुरक्षा सेवा अधिकारियों को यून के खिलाफ गिरफ्तारी वारंट जारी करने से रोक रही थी।
आखिरकार 15 जनवरी को यून को विद्रोह के आरोप में गिरफ्तार कर लिया गया। उन्हें गिरफ्तार करने के लिए 3,000 से ज़्यादा पुलिस अधिकारी उनके घर तक पहुंचे थे।
दक्षिण कोरिया में आगे क्या होगा?
रॉयटर्स की रिपोर्ट के अनुसार, दक्षिण कोरिया के अधिकारियों के पास अब यून से पूछताछ करने के लिए 48 घंटे हैं, जिसके बाद उन्हें 20 दिनों तक हिरासत में रखने या रिहा करने के लिए वारंट लेना होगा । यून के वकीलों ने कहा है कि गिरफ्तारी वारंट अवैध है क्योंकि इसे गलत अधिकार क्षेत्र वाली अदालत ने जारी किया था और उसकी जांच करने के लिए गठित टीम के पास ऐसा करने का कोई कानूनी अधिकार नहीं था। पढ़ें देश-दुनिया की तमाम बड़ी खबरों का लेटेस्ट अपडेट