पोप फ्रांसिस ने इस्लाम को हिंसा के बराबर रखने से इनकार करते हुए कहा है कि कैथोलिक लोग भी इतने अधिक घातक हो सकते हैं। इसके साथ ही पोप ने यह चेतावनी दी कि यूरोप अपने युवाओं को आतंकवाद की ओर धकेल रहा है। पोलैंड से लौटते समय पोप ने पत्रकारों से कहा, ‘मुझे नहीं लगता कि इस्लाम की तुलना हिंसा से करना सही है।’ फ्रांसिस ने फ्रांस में जिहादी द्वारा एक कैथोलिक पादरी की क्रूर हत्या की निंदा करने के दौरान इस्लाम का नाम न लेने के अपने फैसले का बचाव करते हुए कहा, ‘लगभग हर धर्म में हमेशा चरमपंथियों का एक छोटा समूह रहता है। हमारे यहां भी है।’
उन्होंने कहा, ‘अगर मैं इस्लामी हिंसा की बात करता हूं तो मुझे इसाई हिंसा की भी बात करनी होगी। अखबारों में हर रोज मैं इटली में हिंसा देखता हूं। किसी ने अपनी प्रेमिका को मार दिया तो किसी ने अपनी सास को…और ये सब बपतिस्मा कैथोलिक (बापटाइज्ड कैथोलिक) हैं।’ पोप के इस बयान से पहले रविवार (31 जुलाई) को पूरे फ्रांस के गिरिजाघरों में मुस्लिम लोग पादरी की हत्या के बाद एकजुटता और दुख जताने के लिए एकजुट हुए थे। पादरी की गला रेत कर हत्या कर दी गई थी।
पोप ने कहा कि हिंसा के पीछे मुख्य कारक बल धर्म नहीं है। उन्होंने नस्लवाद और विदेशियों से डर को बढ़ावा देने वाले दलों के उदय की ओर इशारा देते हुए कहा, ‘आप चाकू के साथ-साथ जुबान से भी हमें मार सकते हैं।’ उन्होंने कहा कि यूरोप को अपने घर को करीब से देखना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद वहां पनपता है, जहां धन को ऊपर रखा जाता है और जहां अन्य कोई विकल्प नहीं होता।’ उन्होंने पूछा, ‘हमारे यूरोपीय युवाओं में से कितने लोग ऐसे हैं, जिन्हें हमने बिना किसी आदर्श के, बिना किसी काम के छोड़ दिया है, इसलिए वे नशीली दवाओं और शराब का रूख करते हैं और चरमपंथी समूहों से जुड़ जाते हैं।’

