जी7 बैठक के लिए जापान के हिरोशिमा पहुंचे प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने यूक्रेन के राष्ट्रपति जेलेंस्की से मुलाकात की है। इसका ऐलान तो पहले ही कर दिया गया था, अब पीएम मोदी और जेलेंस्की की ये जरूरी मुलाकात भी हो गई है। ये मीटिंग इसलिए मायने रखती है क्योंकि इस समय रूस-यूक्रेन का युद्ध विस्फोटक रूप ले चुका है, एक बार फिर कई इलाकों में स्थिति तनावपूर्ण बन चुकी है।
पीएम मोदी ने क्या बोला?
बैठक से पहले शुक्रवार को पीएम मोदी ने जोर देकर कहा था कि भारत हमेशा से शांति का समर्थक रहा है और ये जो दौर चल रहा है, इसमें संघर्ष नहीं सहयोग की जरूरत है। अब उसी कड़ी में आज की इस बैठक को देखा जा रहा है। मुलाकात में पीएम मोदी ने कहा है कि हम यूक्रेन के राष्ट्रपति से फोन पर लगातार बात करते रहे थे। मैंने हर बार कहा है कि समधान के लिए जो भी किया जा सकेगा, वो हम करेंगे। मेरे लिए ये कोई राजनीति का विषय नहीं है, बल्कि मानवीय मूल्यों का मुद्दा है। पीएम ने इस बात पर भी जोर दिया कि इस युद्ध का असर पूरी दुनिया पर पड़ा है।
जानकारी के लिए बता दें कि इस युद्ध का असर यूक्रेन में फंसे भारतीय छात्रों पर भी पड़ा था। काफी मुश्किलों के बाद उन छात्रों की वतन वापसी हो पाई थी। मुलाकात के दौरान पीएम मोदी ने जेलेंस्की के सामने उस मुद्दे को भी उठाया। उन्होंने बताया कि उनकी तरफ से उन सभी भारतीय छात्रों से बात की गई थी, जो यूक्रेन से लौटकर आए थे।
युद्ध के बीच पहली मुलाकात
बड़ी बात ये भी है कि रूस-यूक्रेन का जो युद्ध चल रहा है, उस बीच ये पीएम मोदी और जेलेंस्की की पहली मुलाकात है। फोन पर तो पहले भी कई मौकों पर बात हो चुकी है, लेकिन आमने-सामने मिलने का ये सिलसिला पहली बार हुआ है। अभी तक भारत ने इस पूरे युद्ध के दौरान यूक्रेन के खिलाफ कोई स्टैंड नहीं लिया है, रूस को लेकर भी तल्खी नहीं दिखाई गई है।
भारत का क्या स्टैंड रहा?
अपने पुराने स्टैंड पर कायम रहते हुए भारत ने तटस्थ रहने का फैसला किया है, यानी कि न्यूट्रल। इसी वजह से दोनों रूस और यूक्रेन भारत को अपना दोस्त मानते हैं। कुछ देश तो ऐसे भी हैं जिनकी नजर में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ही रूस और यूक्रेन के बीच में मध्यस्थता करवा सकते हैं।