प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी 12 नवंबर (गुरुवार) को तीन दिन के ब्रिटेन दौरे पर पहुंचे। लंदन के हीथ्रो हवाईअड्डे पर उतरते ही वह जेम्‍स कोर्ट पहुंचे। वहां उन्‍होंने अपने समर्थकों से मुलाकात की। तीन दिन के दौरे में वह कई बड़े कारोबारियों से भी मुलाकात करेंगे। इस दौरान दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते होने की उम्मीद जताई जा रही है। मोदी का ब्रिटेन की महारानी के साथ लंच का भी कार्यक्रम है। वह ब्रिटिश संसद को भी संबोधित करेंगे। वे वेम्बले स्टेडियम में भारतीय मूल के लोगों को भी संबोधित करेंगे। दावा किया जा रहा है कि उन्‍हें सुनने के लिए करीब 60 हजार लोग पहुंचेंगे।

प्रधानमंत्री अपने ब्रिटिश समकक्ष डेविड कैमरन के साथ विस्तृत बातचीत करेंगे। दोनों पक्ष कई समझौतों पर हस्ताक्षर कर सकते हैं। इसके अलावा रक्षा, सुरक्षा तथा ऊर्जा क्षेत्र में साझेदारी पर अलग बयान जारी किए जाने की संभावना है। मोदी की इस यात्रा का मुख्य जोर व्यापार और निवेश को गति देने, रक्षा, सुरक्षा एवं ऊर्जा क्षेत्र में संबंधों को मजबूती प्रदान करने के अलावा आतंकवाद का मुकाबला करने में सहयोग पर होगा। मोदी की यह यात्रा ऐसे समय में हो रही है जब देश में असहिष्‍णुता बढ़ने का आरोप लगा कर साहित्‍यकार, फिल्‍मकार, इतिहासकार आदि विरोध कर रहे हैं और अपने पुरस्‍कार तक लौटा रहे हैं। यह मुद्दा ब्रिटेन में भी साहित्‍यकारों ने उठाया है। सलमान रुश्‍दी सहित 200 साहित्‍यकारों ने डेविड कैमरन को चिट्ठी लिख कर मोदी के सामने यह मुद्दा उठाने की मांग की है।  ब्रिटेन से मोदी तुर्की चले जाएंगे। वहां 15 और 16 नवंबर को जी-20 देशों का सम्‍मेलन है। इस सम्‍मेलन में शामिल होने वाले नेताओं में मोदी इकलौते होंगे जिन्‍होंने संगठन के बाकी 19 देशों की यात्रा की हुई है। इस विषय पर लॉर्ड मेघनाथ देसाई का ब्‍लॉग पढ़ें।