फ्रांसीसी व्यंग्य पत्रिका ‘शार्ली एब्दो’ पर बुधवार को हुए आतंकवादी हमले के विरोध में गुरुवार को जबरदस्त प्रतिक्रिया देखने को मिली। पेरिस की सड़कों पर हजारों लोगों ने उतरकर दुख और रोष का इजहार किया। कुछ स्थानों पर मस्जिदों पर हमले हुए। लेकिन कहीं से अप्रिय घटना की खबर नहीं है। फ्रांसीसी सुरक्षा दस्ते हमले के संदिग्ध दो भाइयों की तलाश कर रहे हैं। तीसरे कथित हमलावर हामिद ने खुद को पुलिस के हवाले कर दिया है। घटना पर पूरी दुनिया ने शोक जताया है और आतंकवाद से जंग के लिए एकजुटता दिखाई। इस बीच पेरिस पुलिस ने दो हमलावर भाइयों शेरिफ और सैद काउआची के चित्र जारी किए हैं।
इस जघन्य हमले में बुधवार को पत्रिका के संपादक और तीन कार्टूनिस्टों समेत 10 पत्रकार मारे गए थे। इस भयावह घटना को लेकर गुरुवार को फ्रांस के लोगों का गुस्सा देखा गया। लोगों ने मृतकों को श्रद्धांजलि दी। हमलावर की तलाश में लगी पेरिस पुलिस ने गुरुवार को कहा कि शेरिफ कोउआची (32) और उसके 34 वर्षीय भाई सैद के खिलाफ गिरफ्तारी के वारंट जारी कर दिए गए हैं। ये दोनों संभवतया हथियारों से लैस हैं और खतरनाक हैं। सूत्रों ने बताया, सोशल मीडिया पर अपना नाम प्रसारित होने के बाद एक अन्य संदिग्ध हामिद मुराद ने बुधवार रात 11 बजे खुद को पुलिस के हवाले कर दिया।
पुलिस ने इसकी पुष्टि करते हुए बताया कि उसे गिरफ्तार कर लिया गया है और हिरासत में ले लिया गया है। इस बीच हमले के बाद दुनिया के कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले। फ्रांस की सड़कों पर एक लाख से अधिक लोग घटना के प्रति विरोध प्रकट करने निकले। मॉस्को से वाशिंगटन तक लोग इस घटना से काफी स्तब्ध हैं और हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर देखे गए। मीडिया की आजादी और पत्रिका के समर्थन में इन लोगों ने अपने हाथ में तख्तियां ले रखी थीं जिन पर लिखा गया था ‘मैं शार्ली हूं।’
इस जघन्य घटना के बाद फ्रांस में कुछ घटनाएं हुईं हैं, हालांकि यह स्पष्ट नहीं है कि इन घटनाओं का पत्रिका के कार्यालय पर हमले से कोई ताल्लुक है। दक्षिणी पेरिस में एक बंदूकधारी ने अत्याधुनिक रायफल से गोलीबारी की, जिसमें एक महिला पुलिसकर्मी मारी गईं। पूर्वी फ्रांस में कबाब की एक दुकान पर विस्फोट हुआ जिसमें तत्काल किसी के हताहत होने की खबर नहीं है। मुसलिम चरमपंथियों के हमले में शामिल होने से गुस्साए लोगों ने दो मुस्लिम धार्मिक स्थलों को निशाना बनाया।
फ्रांसीसी राष्ट्रपति फ्रांस्वा ओलांद ने आज राष्ट्रीय शोक का एलान करते हुए इसे ‘असाधारण बर्बरता की घटना’ करार दिया और कहा कि ‘निस्संदेह यह एक आतंकी हमला’ है।
पुलिस ने जिस आतंकी शरीफ का चित्र जारी किया है उसे इस्लामी लड़ाकों की मदद करने के लिए 2008 में आतंक के आरोपों का दोषी करार दिया गया था। गृह मंत्री बर्नार्ड काजेनेवुए ने कहा कि दोनों आतंकी भाइयों की तलाश के लिए सात लोगों को हिरासत में लिया गया है और एक न्यायिक सूत्र ने संदिग्धों के निकट के इन पुरुषों और महिलाओं के नाम बताने से इनकार कर दिया।
प्रधानमंत्री मैनुयल वाल्स ने रेडियो से कहा कि खुफिया सेवाएं संदिग्धों के बारे में वाकिफ थीं और कल के हमले से पहले ‘निस्संदेह’ दोनों पर नजर रखी जा रही थी। राषट्रपति ओलोंद ने फ्रांस में राष्ट्रीय ध्वज को तीन दिनों तक आधा झुकाए रखने का आदेश दिया और कैबिनेट की आपात बैठक बुलाई।
इस जघन्यतम हमले की विश्व स्तर पर चौतरफा निंदा हो रही है। अमेरिकी राष्ट्रपति बराक ओबामा ने इसे कायराना करतूत करार दिया। पोप फ्रांसिस ने कहा कि इस जघन्य हमले को किसी भी सूरत में जायज नहीं ठहराया जा सकता। उधर, चीन की सरकार और उसके नागरिकों ने इस आतंकी करतूत को खारिज किया और पीड़ितों के लिए शोक व्यक्त किया। चीनी विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता होंग ली ने कहा, हम हमले को लेकर स्तब्ध हैं और इसकी कड़ी निंदा करते हैं।
हमले के बाद दुनिया के कई स्थानों पर विरोध प्रदर्शन देखने को मिले। मॉस्को से वाशिंगटन तक लोग इस घटना से काफी स्तब्ध हैं और हजारों की संख्या में लोग सड़कों पर देखे गए। मीडिया की आजादी और पत्रिका के समर्थन में इन लोगों ने अपने हाथ में तख्तियां ले रखी थीं जिन पर लिखा गया था ‘मैं शार्ली हूं।’ फ्रांस की इस पत्रिका ने पैगंबर मोहम्मद पर कार्टून प्रकाशित किए थे।
इस बीच संयुक्त राष्ट्र के महासचिव बान की-मून ने पत्रिका पर हुए ‘नृशंस’ और ‘अनुचित’ आतंकी हमले पर रोष व्यक्त किया है और सुरक्षा परिषद ने आतंकवाद के साजिशकर्ताओं को न्याय के कटघरे में लाने की जरूरत पर जोर दिया है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख और शक्तिशाली सुरक्षा परिषद के साथ-साथ संयुक्त राष्ट्र की अन्य संस्थाओं और महासभा के अध्यक्ष ने इस हमले की निंदा की है। संयुक्त राष्ट्र प्रमुख ने कहा, मैं आज फ्रेंच पत्रिका शार्ली एब्दो पर किए गए घृणित हमले पर अपना रोष व्यक्त करता हूं। यह एक अनुचित, भयावह और नृशंस अपराध है।
मून ने कहा, हिंसा के इस कृत्य को किसी भी तरीके से जायज नहीं ठहराया जा सकता। यह हमला लोकतंत्र के दो स्तंभों- अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और प्रेस की स्वतंत्रता के खिलाफ किया गया हमला है।