अफगानिस्तान के पंजशीर में उत्तरी गठबंधन और तालिबान के बीच संघर्ष जारी है। अहमद मसूद का दावा है कि अब तक 350 तालिबानी लड़ाकों को मार गिराया गया है। बताया जा रहा है कि उत्तरी गठबंधन ने तालिबान से हथियार और गोला बारूद भी छीन लिया है। स्थानीय रिपोर्टों में कहा गया है कि तालिबान और उत्तरी गठबंधन के बीच पंजशीर प्रांत के कुछ हिस्सों में संघर्ष हो रहा है। तालिबान के एक प्रवक्ता के मुताबिक, पंजशीर पूरी तरह से घेरे में है। हालांकि, उत्तरी गठबंधन का दावा है कि पंजशीर में उसकी पकड़ मजबूत है।

मालूम हो कि पंजशीर अफगानिस्तान का एकमात्र प्रांत है जो तालिबान के अधीन नहीं है, दिवंगत सैन्य कमांडर अहमद शाह मसूद के बेटे अहमद मसूद ने तालिबान के खिलाफ प्रतिरोध का नेतृत्व किया है। अश्वका की समाचार रिपोर्ट के अनुसार, तालिबान ने मंगलवार रात 11:00 बजे हमला किया और हमला अभी भी जारी है। मरने वालों की संख्या स्पष्ट नहीं है क्योंकि दोनों पक्षों के आधिकारिक सूत्रों ने संघर्ष के बारे में मीडिया से बात नहीं की है। रॉयटर्स के अनुसार, तालिबान विद्रोहियों और उत्तरी गठबंधन के बीच सोमवार रात को भी झड़प हुई और रिपोर्ट के अनुसार, लड़ाई में आठ तालिबान विद्रोही मारे गए।

उत्तरी गठबंधन के प्रवक्ता फहीम दशती ने कहा कि अहमद मसूद के वफादार एक समूह ने तालिबान विद्रोहियों को घाटी के पश्चिमी प्रवेश द्वार पर घेर लिया। हमले में आठ तालिबान सदस्य मारे गए थे और इतनी ही संख्या में घायल हुए थे, जबकि उत्तरी गठबंधन बलों के दो सदस्य घायल हो गए थे।

मालूम हो कि मसूद ने खुद को पंजशीर घाटी में स्थानीय लड़ाकों और अफगान सेना और विशेष बल इकाइयों के कई सदस्यों के साथ स्थापित किया है, जो अफगानिस्तान के स्व-घोषित कार्यवाहक उप राष्ट्रपति अमरुल्ला सालेह के समर्थन से उत्तरी गठबंधन का समर्थन करते हैं।

हालांकि मसूद ने तालिबान के साथ बातचीत से समझौता करने का आह्वान किया है, उन्होंने कहा है कि अगर उनके प्रांत पर विद्रोहियों द्वारा हमला किया जाता है तो उनकी सेना विरोध करेगी।

इससे पहले, तालिबान ने पंजशीर में दूरसंचार सेवाओं को काट दिया था और निवासियों ने टोलो न्यूज को बताया था कि फोन और इंटरनेट नेटवर्क की कमी गंभीर चुनौतियों का कारण बन रही है।

इस बीच, सालेह ने शनिवार को दावा किया था कि अफगानिस्तान में तालिबान का शासन ज्यादा समय तक नहीं चलेगा। यूरोन्यूज के साथ एक साक्षात्कार में, उन्होंने कहा, “तालिबान का कानून इस्लामिक अमीरात है, अफगानिस्तान के लोगों के लिए अस्वीकार्य है और एक समूह द्वारा एक नेता का चुनाव अस्वीकार्य है। तालिबान के लिए अफगानिस्तान में लंबे समय तक शासन करना असंभव है।”