पाकिस्तान सरकार को झटका देते हुए सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश अनवर जहील जमाली ने शुक्रवार (13 मई) को पनामा पेपर लीक मामले में प्रधानमंत्री नवाज शरीफ और अन्य लोगों के खिलाफ जांच के लिए एक न्यायिक आयोग गठित करने से इनकार करते हुए कहा कि शक्तिहीन जांच आयोग से किसी उद्देश्य की पूर्ति नहीं होगी। शरीफ ने पिछले महीने औपचारिक रूप से जमाली को पत्र लिखकर उन लोगों के खिलाफ जांच के लिए आयोग का गठन करने और उसकी अगुवाई करने को कहा था, जिनके नाम पनामा लीक मामले में सामने आए हैं।
पनामा पेपर्स में शरीफ के बच्चों – मरियम, हसन और हुसैन के नाम ऑफशोर कंपनियों के मालिकों के तौर पर आए हैं। जमाली ने सरकार को अपने जवाब में कहा कि प्रस्तावित जांच आयोग का तब तक कोई उद्देश्य पूरा नहीं होगा जब तक उसके अधिकार स्पष्ट नहीं हों। उन्होंने सरकार से संसद में एक विशेष कानून लाने को कहा। जमाली ने कहा कि जब तक सरकार और विपक्षी दलों के बीच सेवा शर्तों (टीओआर) के मुद्दे का हल नहीं निकलता, तब तक न्यायिक आयोग का गठन नहीं किया जा सकता।
फिलहाल विपक्ष और सरकार ने जांच के लिए अलग अलग टीओआर तैयार किये हैं और इस बात की संभावना कम ही है कि दोनों पक्ष एक ही मसौदे पर सहमत हो जाएं। इस बीच शरीफ सोमवार (16 मई) को पनामा पेपर्स मामले और उसकी जांच पर संसद को संबोधित कर सकते हैं। पहली बार वह संसद में विपक्ष का सामना करेंगे। विपक्षी दलों ने इस सप्ताह संसद सत्र का बहिष्कार किया था और उनकी मांग थी कि शरीफ सदन में आकर औपचारिक बयान दें।