पाकिस्तान की एक अदालत ने 2007 में लाल मस्जिद के मौलवी अब्दुल रशीद गाज़ी की हत्या के मामले में अदालती कार्रवाई का सामना करने के लिए लगातार गैरहाजिर रहने के बाद पूर्व पाकिस्तानी राष्ट्रपति परवेज मुशर्रफ की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया है। गौरतलब है कि इस्लामाबाद स्थित लाल मस्जिद में 2007 में सैन्य कार्रवाई की गई थी, जिसमें अब्दुल रशीद गाज़ी की मौत हो गई थी। इस्लामाबाद की सत्र अदालत में 73 वर्षी्य पूर्व सैन्य शासक मुशर्रफ के खिलाफ लाल मस्जिद अभियान के दौरान मौलवी अब्दुल रशीद गाज़ी की हत्या के मामले में मुकदमा चला रहा है।
मुशर्रफ उपचार कराने के सिलसिले में फिलहाल दुबई में हैं। मरहूम मौलवी गाज़ी के वकील तारिक असद ने बताया कि स्थानीय सत्र अदालत के जज परवेज उल कादिर मेमन ने मुशर्रफ की संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया। असद ने कहा, ‘अदालत ने मुशर्रफ के इस मामले में हाजिर होने में लगातार असफल रहने के कारण उनकी संपत्ति जब्त करने का आदेश दिया है।’ अदालत ने परवेज मुशर्रफ के वकील अख्तर शाह की यह दलील खारिज कर दी जिसमें उन्होंने कहा था कि लाल मस्जिद अभियान के दौरान सेना नागरिक प्रशासन की सहायता कर रही थी। इस कारण सेना के किसी भी अधिकारी के खिलाफ कोई आपराधिक मामला दायर नहीं किया जा सकता।
मुशर्रफ मार्च से ही दुबई में हैं और इस मामले में अदालती कार्रवाई का सामना करने के लिए कोर्ट द्वारा कई बार समन भेजे जाने के बाद भी हाजिर नहीं हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट द्वारा मुशर्रफ के विदेश जाने पर लगी रोक हटाने के तुरंत बाद ही वे दुबई चले गए थे। यह भी माना जा रहा है कि मुशर्रफ अपने खिलाफ ऐसे आरोपों का सामना करने के लिए शायद ही कभी वापस लौटेंगे। इससे पहले कार्रवाई का सामना करने के लिए लगातार अनुपस्थित रहने के बाद अदालत ने मुशर्रफ को अपराधी घोषित कर दिया था और इस साल के लिए दो लाख रुपये का जमानत बांड जब्त कर लिया था। गौरतलब है कि गाज़ी की मौत के मामले में कथित भूमिका के लिए मुशर्रफ के खिलाफ 2013 में मामला दर्ज किया गया था। इस साल जनवरी में ही उन्हें बलूच विद्रोही नेता नवाब अकबर बुगती की 2006 में हुई हत्या के मामले में बरी किया गया था।
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