दूसरे देशों में आतंकवादी भेजने वाले पाकिस्तान को भी अब आर्थिक विकास की चिंता सताने लगी है। पड़ोसी देश के आतंरिक और योजना मामलों के मंत्री अहसान इकबाल के बयान से कुछ ऐसा ही लगता है। इकबाल ने कहा कि 90 के दशक में भारत के तत्कालीन वित्त मंत्री मनमोहन सिंह ने अपने पाकिस्तानी समकक्ष सरताज अजीज की आर्थिक नीतियों की नकल कर उसे अपने देश में सफलतापूर्वक लागू किया और हमसे आगे निकल गए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की आर्थिक रणनीति को बांग्लादेश ने भी अपनाया और उसे जमीन पर उतारा। बकौल इकबाल, पाकिस्तान ने राजनीतिक अस्थिरता के कारण 90 का पूरा दशक गंवा दिया। पाकिस्तानी मंत्री साइबर सिक्योरिटी विषय पर आयोजित एक कार्यक्रम को संबोधित कर रहे थे। साथ ही उन्होंने कहा कि सिर्फ टैंक और मिसाइल के बूते देश को नहीं बचाया जा सकता है। बता दें कि रक्षा क्षेत्र में भारत से मुकाबला करने के लिए पाकिस्तान अपने ज्यादातर संसाधन का अस्त्र-शस्त्र के आयात या उसके विकास में ही खर्च कर देता है। पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति जहां खस्ताहाल है, वहीं भारत विश्व की प्रमुख अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो चुका है। भारत आर्थिक प्रगति के बूते करोड़ों लोगों को गरीबी रेखा से ऊपर उठाने में सफल रहा।
अहसान इकबाल ने पाकिस्तान के आर्थिक विकास को लेकर उम्मीद भी जताई। उन्होंने कहा, ‘पाकिस्तानी अर्थव्यवस्था के लिए पहला मौका 60 के दशक में आया था। दूसरा अवसर 90 के दशक में सामने आया था और तीसरा मौका पाकिस्तान का दरवाजा खटखटा रहा है। इसे अस्थायित्व के कारण किसी भी हाल में नहीं खोना चाहिए जैसा कि अतीत में हुआ, क्योंकि हद की भी हद होती है। शांति, स्थायित्व और निरंतरता आर्थिक प्रगति के लिए बेहद जरूरी हैं।’ पाकिस्तान को विकास के मामले में दुनिया के कई अन्य देशों के मुकाबले पिछड़ने का भी मलाल है।
इकबाल ने कहा, ‘हमें यह सोचना पड़ेगा कि हमसे पीछे रहे देश हमसे बहुत आगे कैसे निकल गए? चीन की प्रति व्यक्ति आय पाकिस्तान की तुलना में कम थी, लेकिन आज कहीं ज्यादा है। इसी तरह, बांग्लादेश का विदेशी मुद्रा भंडार 33 अरब डॉलर तक पहुंच गया है, जबकि पाकिस्तान का महज 18 अरब डॉलर ही है। हमलोग कब तक दूसरे देशों को खुद से आगे निकलते देखते रहेंगे?’ पाकिस्तानी मंत्री ने इस मौके पर सेना की शहादत की भी तारीफ की। उन्होंने कहा कि एक समय आतंकवादियों ने चारों तरफ से जकड़ लिया था, लेकिन सेना के बलिदान के कारण देश ने उनसे छुटकारा पा लिया है। ऐसे में यदि हमलोगों ने आर्थिक विकास के इस मौके को गंवाया तो आने वाली पीढ़ी हमें माफ नहीं करेगी।