उरी हमले के बाद भारत की ओर से सिंधु जल संधि की समीक्षा किए जाने के बाद से पाकिस्तान बौखाला गया है। पाकिस्तान की ओर से इस मामले में इंटरनेशनल कोर्ट ऑफ जस्टिस जाने की धमकी दी गई है। पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ के विदेश मामलों के सलाहाकार सरताज अजीज ने दावा किया कि अगर भारत ने सिंधु जल संधि (Indus Water Treaty) का उल्लंघन किया तो इस मामले को लेकर पाकिस्तान अंतर्राष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) जाएगा। बता दें कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को सिंधु जल समझौते को लेकर अहम बैठक की थी, बैठक में समझौते के फायदे और नुकसान के बारे में पीएम मोदी को बताया गया।

नेशनल एसेंबली को संबोधित करते हुए सरताज अजीज ने कहा कि अंतर्राष्ट्रीय कानून के तहत भारत खुद को समझौते से अलग नहीं कर सकता है। अजीज ने दावा किया कि यह संधि कारगिल और सियाचिन युद्ध के दौरान भी रद्द नहीं हुई थी। इससे पहले पूर्व सिंधु जल कमिश्नर जमात अली शाह ने सोमवार को सिंधु नदी की धारा को रोके जाने की धमकी पर भारत पर निशाना साधा था।

गौरतलब है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की अध्यक्षता में नई दिल्ली में सोमवार को सिन्धु जल संधि की समीक्षा के लिए एक उच्चस्तरीय बैठक हुई। जिसके बाद कहा गया कि पाकिस्‍तान के साथ सिंधु जल संधि पर भारत सख्‍ती बरत सकता है। सूत्रों के अनुसार जल संसाधन मंत्रालय के अधिकारियों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री ने कहा कि खून और पानी एकसाथ नहीं बह सकते। बताया जा रहा है कि पाकिस्‍तान का पानी रोका जा सकता है। इसके साथ ही एक अन्‍य उपाय के रूप में उसको दिए जाने वाले पानी में कटौती की जा सकती है।

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सिंधु जल समझौते पर सितंबर 1960 में भारत के तत्कालीन प्रधानमंत्री जवाहर लाल नेहरू और पाकिस्तान के तत्कालीन राष्ट्रपति अयूब खान ने हस्ताक्षर किये थे। इस समझौते के तहत छह नदियों, व्यास, रावी, सतलज, सिंधु, चिनाब और झेलम के पानी को दोनों देशों के बीच बांटा गया था। पाकिस्तान की यह शिकायत रही है कि उसे पर्याप्त पानी नहीं मिल रहा और इसके लिए वह एक दो बार अन्तरराष्ट्रीय मध्यस्थता के लिए भी जा चुका है।

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