पाकिस्तान सीनेट के एक पैनल ने भारतीय प्रधानमंत्री ‘नरेंद्र मोदी और राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ की हिंदुत्ववादी विचारधारा’ को निशाना बनाने की सलाह दी है। शनिवार को पाकिस्तानी अखबार द एक्सप्रेस ट्रिब्यून में छपी खबर के अनुसार पैनल ने, ‘किनारे किए गए’ धार्मिक व जातीय समूहों तथा नक्सली आंदोलन को उठाने को कहा है। रिपोर्ट के मुताबिक, सदन के नेता व पैनल के चेयरमैन रजा जफरुल हफ ने सीनेट को सात पन्नों की रिपोर्ट सौंपी है जिसमें 22 नीति गाइडलाइंस हैं। इसमें एक गाइडलाइन है- ‘मोदी और हिंदुत्व की उनकी आरएसएस विचारधारा को निशाना बनाया जाना चाहिए।’ इसके अलावा ”भारत की अपनी गलतियां उनके हाशिये पर गए मुस्लिमों, सिखों, ईसाइयों और दलितों के साथ बढ़ते हुई माओवादी अत्याचार में हैं, इसे हाईलाइट किया जाना चाहिए।” पैनल की रिपोर्ट में रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (रॉ) के कथित मुख्य ऑपरेटिव, कुलभूषण यादव का भी जिक्र है, जिसे इस साल पाकिस्तान के बलूचिस्तान राज्य के क्वेटा शहर से गिरफ्तार किया गया था। जहां भारत ने यादव के एक रिकॉर्डेड बयान को वैध मानने से इनकार कर दिया था जिसमें उसने बलूचिस्तान में आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की बात कही थीं, वहीं सीनेट पैनल ने कहा कि उसकी गिरफ्तारी को ‘भारत अधिकृत कश्मीर में मानवाधिकार उल्लघंन के साथ विभिन्न अंतर्राष्ट्रीय मंचों पर उठाया जाना चाहिए था और उठाया जाना चाहिए।”
पैनल ने ‘भारतीय जनमत के उन हिस्सों पर विस्तृत पहुंच बनाने की सलाह दी है जो मोदी के कट्टरवाद और उनकी पाकिस्तान-विरोधी नीतियों के विरोध में है। और अपने पड़ोसियों के बीच पाकिस्तान को अलग-थलग करने के भारत के कूटनीतिक प्रयासों जैसे सार्क और शंघाई कोऑपरेशन ऑर्गनाइजेशन में किया गया, को रोक सके।’ एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि पैनल ने ”द्विपक्षीय और जम्मू-कश्मीर से जुड़े विश्वास बढ़ाने वाले प्रयास फिर से शुरू करने की सलाह दी है।
READ ALSO: नेपाल की चुनाव आयुक्त के साथ शादी की खबर का एसवाई कुरैशी ने किया खंडन, कहा- हम केवल अच्छे दोस्त हैं
कश्मीर मसले पर पाक पीएम के विशेष दूत मुसाहिद हुसैन सैयद ने अमेरिका के मशहूर स्टिमसन सेंटर में उपस्थित लोगों को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के बलूचिस्तान पर दिए गए बयान का हवाला देते हुए कहा,’अगर भारत बलूचिस्तान का मुद्दा उठाना नहीं छोड़ेगा तो हम भी खालिस्तान, नगालैंड, त्रिपुरा, असम, सिक्किम और माओवाद पर जुड़े मामले को उठाना शुरू कर देंगे। हम ऐसा नहीं कर रहे हैं क्योंकि यह पड़ोसी देश के आतंरिक मामले में दखल होगा। लेकिन जब आप ही खेल के नियम बदलेंगे तो पाकिस्तान भी जैसे को तैसा जवाब देगा।’