पाकिस्तान पर लंबे समय से आतंकवादी संगठनों से संबंध रखने का आरोप लगाते हुए अमेरिकी सांसदों और विशेषज्ञों ने उसके साथ किसी भी तरह के असैन्य परमाणु समझौते को आगे बढ़ाने के अमेरिकी कदम का विरोध किया और दावा किया कि यहां तक कि पाकिस्तानी वैज्ञानिकों ने एक समय परमाणु बम बनाने को लेकर ओसामा बिन लादेन तक से चर्चा की थी। सांसद टेड पोए ने कहा, पाकिस्तानी वैज्ञानिक वर्ष 1998 में परमाणु बम बनाने को लेकर चर्चा के लिए ओसामा बिन लादेन से मिले थे। पूरे नेटवर्क का (ए क्यू खान का) अवैध प्रसार अभी तक अज्ञात है क्योंकि पाकिस्तान बेदाग नहीं निकलेगा। परमाुण हथियारों के बारे में चर्चा से आतंकवादियों के साथ पाकिस्तान के संबंध खत्म नहीं हो जाते। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का आतंकवादी संगठनों को मदद करने का इतिहास रहा है। उन्होंने कहा, पाकिस्तान अफगान तालिबान के साथ नजदीकी संबंध बनाओ है, यहां तक कि वरिष्ठ नेताओं से सीधे मिल रहा है और हमलों को समन्वित कर रहा है।

आतंकवाद, परमाणु अप्रसार और व्यापार पर प्रतिनिधि सभा के विदेश मामलों की उपसमिति द्वारा ‘पाकिस्तान के साथ असैन्य परमाणु सहयोग (संभावनाएं और परिणाम) पर संसद में सुनवाई की अध्यक्षता करते हुए पोए ने कहा, किसी परमाणु समझौते के बारे में बातचीत करने के बजाय अमेरिका को उसके खराब व्यवहार के कारण उसके परिणामों के बारे में बातचीत करनी चाहिए। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान का उन आतंकवादी गुटों को समर्थन जारी है जिन्होंने अमेरिकी सैनिकों की हत्या की। उपसमिति के अग्रणी सदस्य बिल कीटिंग ने कहा कि निकट भविष्य में पाकिस्तान के साथ कोई भी परमाणु समझौता होने की उम्मीद नहीं है।

इस मुद्दे पर अमेरिका और पाकिस्तान के बीच हालिया बातचीत अभी प्रारंभिक दौर में है और लगता नहीं है कि अमेरिका के जोर देने पर पाकिस्तान अपने परमाणु जखीरे पर कोई प्रतिबंध स्वीकार करेगा। कीटिंग ने कहा कि कई विशेषज्ञों को इस बात का डर है कि पाकिस्तानी परमाणु हथियार आतंकवादियों के हाथ में जा सकते हैं। पाकिस्तान का परमाणु प्रसार का इतिहास रहा है। उन्होंने आरोप लगाया कि पाकिस्तान ने ईरान, लीबिया और उत्तर कोरिया को परमाणु तकनीक बेची। सांसद ब्रैड शर्मन ने कहा कि पाकिस्तान के साथ असैन्य परमाणु समझौते को संसद की स्वीकृति मिलने की कोई संभावना नहीं है।