ब्रेक्जिट के मुद्दे पर नाकाम रहने के बाद ब्रिटेन की प्रधानमंत्री थेरेसा मे ने अपने पद से इस्तीफा देने का ऐलान कर दिया है। थेरेसा मे के इस्तीफे के साथ ही ब्रिटेन में नए प्रधानमंत्री के लिए दावेदार सामने आने शुरु हो गए हैं। अभी तक कुल 9 नेताओं ने ब्रिटेन के प्रधानमंत्री पद पर अपना दावा पेश किया है। इन 9 नेताओं में एक साजिद जावीद हैं। बता दें कि साजिद जावीद, पाकिस्तानी मूल के बस ड्राइवर के बेटे हैं। साजिद जावीद (49 वर्षीय) थेरेसा मे की सरकार में गृह सचिव का अहम पद भी संभाल चुके हैं।

उससे पहले साजिद जावीद ब्रिटेन सरकार में संस्कृति मंत्री और उससे पहले व्यापार सचिव के पद पर भी अपनी सेवाएं दे चुके हैं। साजिद जावीद राजनीति में आने से पहले बैंकिंग सेक्टर में अपनी सेवाएं दे चुके हैं। हिन्दुस्तान टाइम्स की एक खबर के अनुसार, साल 2009 में साजिद जावीद अपने बैंकिंग के शानदार करियर को छोड़कर राजनीति में आए थे। जावीद ने एक ट्वीट कर पीएम पद के लिए अपना दावा पेश किया है। हालांकि पूर्व विदेश सचिव बोरिस जॉनसन को ब्रिटेन के नए प्रधानमंत्री के पद के लिए पसंदीदा बताया जा रहा है। बोरिस और साजिद के अलावा पीएम पद की रेस में शामिल अन्य लोगों में एंड्रिया लीड्सम, एस्थर मैकवे, माइकल गोवे, डोमिनिक राब, रोरी स्टीवर्ट, जेरेमी हंट और मैट हैनकॉक शुमार हैं। ये सभी नेता केन्द्रीय मंत्री रह चुके हैं।

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बता दें कि थेरेसा मे औपचारिक रुप से 7 जून को अपना पद छोड़ देंगे। इसके बाद 10 जून को पीएम पद के लिए औपचारिक रुप से नामांकन होंगे। नामांकन के बाद पहले राउंड में कंजरवेटिव पार्टी के 313 सांसद नए पीएम के लिए वोट करेंगे। सर्वाधिक वोट पाने वाले टॉप के दो प्रत्याशी फिर दूसरे राउंड की वोटिंग में जाएंगे। दूसरे राउंड की वोटिंग में कंजरवेटिव पार्टी के 1.25 लाख सदस्य वोट करेंगे, जिससे नए प्रधानमंत्री का ऐलान होगा। माना जा रहा है कि यह पूरी प्रक्रिया जुलाई तक चलेगी। जुलाई के आखिर में जाकर ब्रिटेन को अपना नया प्रधानमंत्री मिल सकता है।

उल्लेखनीय है कि ब्रिटेन में देश को यूरोप से अलग कराने की कवायद चल रही है। जिसे ब्रेक्जिट नाम दिया गया है। ब्रिटेन में जनमत संग्रह के आधार पर ब्रेक्जिट कराने का फैसला लिया गया है। पीएम पद संभालने के बाद थेरेसा मे पर ब्रेक्जिट कराने के लिए उसका मसौदा तैयार करने की जिम्मेदारी थी, जिसमें थेरेसा मे विफल रहीं। ब्रिटेन की संसद में 3 बार उनका मसौदा खारिज कर दिया गया। यहां तक कि खुद थेरेसा मे की कंजरवेटिव पार्टी में उनके खिलाफ विरोध के स्वर उठने लगे थे। विरोध बढ़ता देख आखिरकार थेरेसा मे को अपना पद छोड़ने पर विवश होना पड़ा।