पाकिस्तान के एक दैनिक समाचारपत्र ने दक्षेस सम्मेलन के रद्द होने के मद्देनजर पाकिस्तान की छवि ‘बदलने की तत्काल जरूरत’ बताई है और सरकार से कहा है कि वह ‘आत्मविश्लेषण’ करने के साथ ही एक ‘प्रभावी’ विदेश नीति विकसित करे जिससे देश की छवि को आतंकवाद एवं असहिष्णुता से मुक्त किया जा सके। भारत और चार अन्य देशों के इस्लामाबाद में अगले महीने होने वाले दक्षेस सम्मेलन में हिस्सा लेने से मना करने के बाद समाचार पत्र ‘द डेली टाइम्स’ ने एक संपादकीय में लिखा, ‘यह समय पाकिस्तान के लिए आत्मविश्लेषण करने और यह तय करने का होना चाहिए कि वह स्वयं को अंतरराष्ट्रीय समुदाय के समक्ष किस तरह से प्रभावी तौर पर पेश कर सकता है।’

संपादकीय में लिखा है, ‘जब सवाल वैश्विक मंच का आता है, धारणा काफी मायने रखती है और दुर्भाग्य से पाकिस्तान की आतंकवाद एवं असहिष्णुता से ग्रस्त देश के तौर पर उसकी छवि के चलते उसकी अपीलों का अंतरराष्ट्रीय समुदाय पर कोई प्रभाव नहीं होता।’ यह संपादकीय ऐसे समय आया है जब उरी में गत 18 सितम्बर को सेना के शिविर पर पाकिस्तानी आतंकवादियों द्वारा किये गए हमले के बाद भारत के साथ तनाव बढ़ा हुआ है। हमले में 19 भारतीय सैनिक शहीद हो गए थे। हमले के जवाब में भारत ने कहा कि उसने नियंत्रण रेखा के पार पाकिस्तान के कब्जे वाले कश्मीर में आतंकवादी ठिकानों को नेस्तनाबूत करने के लिए लक्षित हमला किया।

भारत ने सैन्य कार्रवाई के साथ ही पाकिस्तान को ‘अलग थलग’ करने के लिए कूटनीतिक प्रयास किए। भारत, बांग्लादेश, भूटान, अफगानिस्तान और श्रीलंका ने नौ-10 नवम्बर को पाकिस्तान के इस्लामाबाद में होने वाले 19वें दक्षेस सम्मेलन में हिस्सा लेने से मना कर दिया। संपादकीय में लिखा है, ‘दक्षेस के पांच देशों के इस्लामाबाद में आयोजित होने वाले सम्मेलन में हिस्सा लेने से इनकार करने से अंतरराष्ट्रीय समुदाय में एक गलत संकेत गया है। इस परिप्रेक्ष्य में पाकिस्तान को एक प्रभावी विदेश नीति की जरूरत है और इसके लिए उसे एक पूर्णकालिक विदेश मंत्री चाहिए जो अंतरराष्ट्रीय समुदाय में भारतीय लॉबिंग का जवाब दे सके और विश्व के समक्ष पाकिस्तान का पक्ष रख सके।’