भारत की खुफिया एजेंसी रॉ और कराची की मुत्ताहिदा कौमी मूवमेंट पार्टी के बीच संबंधों को लेकर पाकिस्तान ने औपचारिक जांच शुरू कर दी है। रॉ पर आरोप लगाया गया था कि वह कराची की मुत्ताहिदा कौमी मुवमेंट पार्टी को पाकिस्तान में अस्थिरता लाने के लिए फंड देती है। घरेलू मामलों के मंत्री निसार अली खान ने फेडरल इंवेस्टिगेशन एजेंसी (एफआईए) को इस मामले की जांच करने का जिम्मा सौंपा है। एमक्यूएम में ज्यादात्तर वे उर्दू भाषी लोग हैं जो 1947 में बंटवारा केवक्त भारत से पाकिस्तान गए थे।
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मंत्रालय से जुड़े एक अधिकारी ने बताया कि प्रतिष्ठित बिजनेस मैन सरफराज मर्चेंट ने हालही में एक टीवी इंटरव्यू में कहा था कि उन्होंने एमक्यूएम को भारतीय फंडिंग के सबूत देखे हैं। उन्होंने कहा था कि भारत ने हथियार खरीदने के लिए भी फंडिंग की थी। अब एफआईए मर्चेंट और अन्यों से पूछताछ करने की योजना बना रही है। मर्चेंट ने कहा था कि साल 2014 में स्कॉटलैंड यार्ड द्वारा लंदन में एमक्यूएम चीफ अल्ताफ हुसैन के लंदन स्थित घर में छापा मारने के दौरान हथियारों की कुछ सूची भी मिली थी।
भारत बार-बार इन आरोपों को खारिज करता आया है। सोमवार को एमक्यूएम ने भी रॉ के साथ संबंधों के आरोप को झूठ और आधारहीन बताया।
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हुसैन 1992 में यूके चले गए थे और वहां पर ब्रिटिश नागरिकता हासिल कर ली। हुसैन लंदन से ही पार्टी चला रहे हैं। जहां उनके खिलाफ लंदन पुलिस मनी लॉन्ड्रिंग के मामले में जांच भी कर रही है। कराची में कई दशकों से हिंसक घटनाएं हो रही हैं और इसके लिए एमक्यूएम पर आरोप लगाए जाते रहे हैं लेकिन पार्टी ने इनमें शामिल होने से इनकार करती रही है।