Pakistan Independence: पाकिस्तान आज अपना स्वतंत्रता दिवस मना रहा है। भारत से एक दिन पहले उसे आजादी मिल गई थी। लेकिन इसे पाकिस्तान की किस्मत बोली जाए या फिर उसके कर्म, सिर्फ आजादी मिलने के मामले में ही यह मुल्क भारत से आगे रहा, बाकी सभी मामलों में वो कोसों पीछे छूट गया। एक तरफ जहां भारत रोज विकास की नई गाथा लिख रहा है, तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर बढ़ रहा है, पाकिस्तान अपनी आवाम को दो वक्त की रोटी देने में सक्षम नजर नहीं आ रहा है।
पाकिस्तान असल में आजाद होकर भी गुलाम ही बना हुआ है। वो वर्तमान में चीन की गुलामी कर रहा है, पाक सेना की गुलामी में लगा है, गरीबी की गुलामी से जकड़ा हुआ है, आतंकियों की गुलामी तो उसकी पुरानी आदत है और महंगाई रूपी गुलामी भी उससे बुरी तरह चिपक चुकी है। यह कहना गलत नहीं होगा कि जब तक पाकिस्तान खुद को इन पांच गुलामियों से मुक्त नहीं कर लेता, भारत से मुकाबला तो दूर वो खुद की जरूरतें भी पूरी नहीं कर पाएगा।
गुलामी नंबर 1: चीन का बढ़ता प्रभाव
पाकिस्तान को लेकर यह कहा जाता है कि उसकी सारी योजनाएं, उसका हर कदम चीन को खुश करने के लिए रहता है। यह एक जगजाहिर बात हो चुकी है कि पाकिस्तान कई मामलों में चीन के इशारे पर ही नांचने को मजबूर है। इसका भी एक बड़ा कारण यह है कि पिछले दो दशकों में चीन ने पाकिस्तान को इतना ज्यादा कर्ज दे डाला है कि अब उसकी चुकाने की क्षमता नहीं रही है। एक रिपोर्ट में बताया गया है कि पाकिस्तान पर चीन का इस समय 21 बिलियन डॉलर से भी ज्यादा का कर्ज चल रहा है।
असल में चीन इस समय जिस बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (बीआरआई) पर काम कर रहा है, उसी ने पाकिस्तान का सबसे ज्यादा बेड़ा गर्क करने का काम किया है। पाकिस्तान को तो सपना दिखाया जा रहा है कि उसका नेटवर्क सुधर जाएगा, कनेक्टिविटी बेहतर होगी, लेकिन असल में उसी प्रोजेक्ट की वजह से पाकिस्तान कर्ज में और ज्यादा डूबता जा रहा है। जानकार तो यहां तक मानते हैं कि जिस ग्वादर पोर्ट की पाकिस्तान दुहाई देता है, जिसे अपने मुल्क की विकास की नींव मानता है, उसने उसे कम और चीन को ज्यादा फायदा दिया है। चीन के लिए गल्फ देशों तक पहुंच आसान बन गई है।
गुलामी नंबर 2: सेना का जरूरत से ज्यादा हस्तक्षेप
पाकिस्तान एक ऐसा मुल्क बनकर सामने आया है जहां पर लोकतांत्रिक सरकार से ज्यादा सेना का हस्तक्षेप देखने को मिलता है। यहां तो चुनाव भी जनता के मत से कम और सेना के चयन से ज्यादा होते हैं। सेना का साथ जिसके पास रहता है, उसके अच्छे दिन, सरकार पर मजबूत पकड़। लेकिन अगर सेना हो गई खफा तो तख्तापलट, देश निकाला और बड़े स्तर पर अस्थिरता। भारत के पड़ोसी पाकिस्तान ने आजादी के बाद से कुल चार बार तख्तापलट देख रखा है।
पहला तख्तापलट 1953-54 में हुआ था, दूसरा 1958 में, तीसरा 1977 और फिर 1999 में भी नाटकीय तख्तापलट देखने को मिला था। सबसे ज्यादा चर्चा 1999 की इसलिए होती है क्योंकि तब करगिल की जंग हारने के बाद पाकिस्तान में अस्थितता बड़े स्तर पर घर कर गई थी। एक दूसरे पर हार का ठीकरा फोड़ा जा रहा था। तब पाक आर्मी चीफ परवेज मुशर्रफ ने नवाज शरीफ को पीएम पद से हटाकर सत्ता हासिल कर ली थी। वैसे पाकिस्तान में जो व्यापार होता है, वहां भी सेना की सीधी दखल है। हर छोटे-बड़े बिजनेस से सेना पैसा कमा रही है।
पाकिस्तान में विलय का विचार कर रहा था यह हिंदू राजा!
गुलामी नंबर 3: आतंकियों का सबसे बड़ा हमदर्द
पाकिस्तान को आतंकियों का सबसे बड़ा हमदर्द माना जाता है। इस बात की तस्दीक लगातार हुए कई बड़े हमलों ने कर दी है। दुनिया के सामने भी पाकिस्तान की छवि एक आतंकपरस्त मुल्क के रूप में ज्यादा देखने को मिली है। इस बार तो ओलंपिक में गोल्ड लाने वाले अरशद नदीम का लश्कर के आतंकियों से मिलना भी विवाद का विषय बन चुका है। इससे पहले कश्मीर में लगातार हुए आतंकी हमलों में भी कभी लश्कर, कभी जैश तो कभी दूसरे किसी संगठन का हाथ सामने आ जाता है।
हैरानी की बात यह है कि इन सभी आतंकियों के ठिकाने पाकिस्तान में रहते हैं, दावा हुआ है कि उन्हें सेना का फुल सपोर्ट मिलता है। समझने वाली बात यह है कि जो पाकिस्तान आतंकवाद की सप्लाई भारत तक करता है, वो खुद इसका दंश पिछले कई सालों से झेल रहा है। एक रिपोर्ट बताती है कि 2023 में पाकिस्तान में आतंकवाद की वजह से कुल 1000 लोगों की मौत हुई है। यहां पर 500 सिविलियन तो 500 जवान शामिल रहे हैं। ऐसे में जब तक पाकिस्तान इस आतंकवाद की गुलामी से मुक्त नहीं हो जाता, उसका विकास की राह पर चलना मुश्किल नहीं नामुमकिन है।
गुलामी नंबर 4: गरीब होती जनता, खाने के पड़े लाले
दुनिया के कई देश समय के साथ गरीबी कम कर रहे हैं, लोगों का जीवन स्तर सुधारने पर फोकस कर रहे हैं, लेकिन यहां भी पाकिस्तान एक बड़ा अपवाद है। इस मुल्क में गरीबी के स्तर में बड़ा इजाफा देखने को मिल गया है, कई लोग गरीबी रेखा के नीचे जा चुके हैं। वर्ल्ड बैंक के ही आंकड़े बताते हैं कि पिछले साल पाकिस्तान में गरीबी का स्तर पर 39 फीसदी से भी ज्यादा हो गया जो 2022 में 34 फीसदी के करीब था। सरल शब्दों में कहें तो पाकिस्तान में 1.25 करोड़ अतिरिक्त लोग गरीब हो चुके हैं।
जानकार मानते हैं कि पाकिस्तान का आर्थिक मॉडल पूरी तरह फेल हुआ है। यहां पर जीवन का स्तर सिर्फ गिरता चला गया है, हैरानी की बात यह है कि आने वाले सालों में हालात सुधरने के बजाय और ज्यादा बिगड़ सकते हैं। इसका सबसे बड़ा कारण यह है कि पाकिस्तान चाहकर भी अपने ऊपर चढ़े कर्ज को कम नहीं कर पा रहा है। हालात ऐसे हैं कि उसे कर्ज चुकाने के लिए कर्ज लेना पड़ रहा है।
गुलामी नंबर 5: महंगाई के तोड़ दिए सारे रिकॉर्ड
पाकिस्तान इस समय आर्थिक रूप से दोहरी मार झेल रहा है। एक तरफ यहां की जनता गरीब होती जा रही है तो वही दूसरी तरफ उसी जनता पर महंगाई की जबरदस्त मार है। पाकिस्तान में पिछले कुछ सालों में महंगाई के अप्रत्याशित रिकॉर्ड दर्ज किए गए हैं, हर जरूरी चीज इतनी महंगी हुई कि वो सिर्फ आम आदमी की पहुंच से दूर जाती रही। पिछले साल मई में तो पाकिस्तान में महंगाई दर 38 फीसदी तक जा चुकी थी, उसने कई सालों का रिकॉर्ड तोड़ दिया था।
हर जगह रिपोर्ट छप गई कि एशिया में सबसे ज्यादा महंगाई का दौर पाकिस्तान में देखने को मिल रहा है। एक किलो आटा के लिए 800 पाकिस्तानी रुपये तक देने पड़ रहे थे। एक रोटी 25 रुपये की मिल रही थी। अब हालात में कुछ बदलाव जरूर आया है, जून के आंकड़े बताते हैं कि महंगाई दर 12 फीसदी के करीब पहुंच गई जो 30 महीनों में सबसे कम है। अब वैसे तो यह आंकड़ा भी काफी ज्यादा है, लेकिन पाकिस्तान ने तो 2022 से 20 प्रतिशत से ज्यादा ही इंफ्लेशन देखी है, ऐसे में उसके लिए तो यह आंकड़ा भी किसी राहत से कम नहीं।