पवित्र रमजान का महीना शुरू होने से महज दो दिन पहले मंगलवार को पाकिस्तान की जेलों में 12 दोषियों को फांसी दे दी गई। पवित्र रमजान के महीने में फांसी देने पर अस्थायी रोक रहती है।
लाहौर की कोट लखपत जेल में एक कैदी को फांसी पर चढ़ाया गया। उसे पुरानी रंजिश को लेकर 2014 में एक व्यक्ति की हत्या करने के लिए मौत की सजा सुनाई गई थी। रावलपिंडी की अदियाला जेल में 1990 में हत्या के दोषी तीन कैदियों को फांसी दी गई। फैसलाबाद की सेंट्रल जेल में दो दोषियों को जबकि गुजरांवाला सेंट्रल जेल में एक कैदी को फांसी दी गई।
सियालकोट जेल में एक और बहावलपुर जेल में दो कैदियों को फांसी पर चढ़ा दिया गया। झेलम और डेरा गाजी खान जेलों में एक-एक हत्यारे को फांसी दी गई। उन्होंने अपने रिश्तदारों को मार डाला था।
संयुक्त राष्ट्र, यूरोपीय संघ, एमनेस्टी इंटरनेशनल, ह्यूमन राइट्स वाच और कई स्थानीय संगठनों ने सरकार से फांसी पर रोक लगाने की मांग की है। जबकि पाक सरकार ने यह कहते हुए इससे इनकार कर दिया कि यह आतंकवाद व अन्य तरह के अपराधों के लिए प्रतिरोधक का काम करेगी।