पाकिस्तान के पंजाब में एक टीचर को सिर्फ उसकी पहचान की वजह से कॉलेज से बाहर का रास्ता दिखा दिया गया। यह मामला तब सामने आया जब छात्रों को यह बात पता चली कि उन्हें पढ़ा रहे एक प्रोफेसर अहमदिया अल्पसंख्यक समुदाय से हैं। काफी विरोध के बाद उन्हें बर्खास्त कर दिया गया। जानकारी के मुताबिक प्रोफेसर का नाम सैयद अहमद है, जो लाहौर से लगभग 100 किलोमीटर दूर सियालकोट में सुपीरियर कॉलेज संब्रियाल में पिछले 11 सालों से पढ़ा रहे थे। 

जमात-ए-अहमदिया ने क्या कहा? 

जमात-ए-अहमदिया पाकिस्तान (जेएपी) ने इस मामले को लेकर एक बयान में कहा, “जब एक महीने पहले यह पता चला कि प्रोफेसर अहमद अहमदिया है, तो स्थानीय मौलवियों ने कॉलेज प्रशासन से संपर्क किया और उन्हें तुरंत हटाने की मांग की। उन्हें धमकियां भी दी गईं।”

छात्रों ने घंटों तक किया प्रदर्शन

सोमवार को छात्रों ने प्रिंसिपल के ऑफिस के सामने कई घंटों इस मामले को लेकर प्रदर्शन किया और अहमदिया होने के कारण प्रोफेसर को हटाने की मांग की। उन्होंने कहा कि जब तक प्रिंसिपल उन्हें हटाने की घोषणा नहीं करते, तब तक वे अपना धरना समाप्त नहीं करेंगे क्योंकि अहमदिया द्वारा उन्हें पढ़ाना पाप है।

इसमें कहा गया है, “दबाव के आगे झुकते हुए कॉलेज के प्रिंसिपल ने अहमद से कहा कि कॉलेज  में अशांति बर्दाश्त नहीं की जा सकती इसलिए उन्हें कॉलेज से निकाला जा रहा है।” जेएपी ने कहा कि किसी के साथ उसकी मान्यताओं के आधार पर भेदभाव करना और उसे परेशान करना मानवाधिकारों का गंभीर उल्लंघन है और पाकिस्तान का संविधान और कानून इस मामले में स्पष्ट हैं। पाकिस्तान के संविधान के अनुच्छेद 25 (1) के अनुसार, सभी नागरिक कानून के समक्ष समान हैं और समान सुरक्षा के हकदार हैं।

जेएपी ने लिखा कि इस ही तरह जनता को अहमदी दुकानदारों का बहिष्कार करने के लिए प्रोत्साहित किया जा रहा है। जेएपी ने कहा सरकार को इन धार्मिक चरमपंथियों के खिलाफ तत्काल और प्रभावी कार्रवाई करने और अहमदियों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की आवश्यकता है।