प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति बराक ओबामा ने भारत अमेरिकी सामरिक साझेदारी को और बेहतर बनाने का फैसला किया है। दोनों नेताओं ने सोमवार को हुई मुलाकात के दौरान सुरक्षा, आतंकवाद और कट्टरवाद से निपटने, रक्षा, आर्थिक साझेदारी और जलवायु परिवर्तन पर सहयोग को और गति देने पर सहमति जताई।

प्रधानमंत्री मोदी ने नियत समय सीमा के भीतर संयुक्त राष्ट्र में सुधार प्रक्रिया को पूरा करने में अमेरिका का समर्थन मांगते हुए सुरक्षा परिषद की स्थायी सदस्यता की भारत की उम्मीदवारी का समर्थन किए जाने पर राष्ट्रपति बराक ओबामा का धन्यवाद किया। इससे पहले प्रधानमंत्री ने ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलोंद से मुलाकत की। उधर, सैन जोस में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर आश्चर्य जताया कि संयुक्त राष्ट्र अभी तक आतंकवाद की परिभाषा नहीं तय कर पाया है।

विश्व के सबसे पुराने और सबसे बड़े लोकतंत्रों के दोनों नेताओं के बीच सोमवार को करीब एक घंटे तक चली बातचीत के बाद ओबामा ने कहा, ‘हमने हमारे सामरिक दृष्टि को और आगे बेहतर बनाने के बारे में चर्चा की।’ भारत के महत्व को रेखांकित करते हुए उन्होंने कहा कि पेरिस में जलवायु परिवर्तन पर होने वाली वैश्विक सम्मेलन में भारतीय नेतृत्व आने वाले दशकों के लिए रुख तय करेगा। ओबामा ने कहा कि सुरक्षा, अर्थव्यवस्था व्यापार, निवेश और रक्षा खरीद में सहयोग जैसे मुद्दों पर प्रधानमंत्री मोदी बेहतरीन साझेदार हैं।

अमेरिकी राष्ट्रपति से द्विपक्षीय बातचीत के बाद जारी संयुक्त बयान में मोदी ने कहा, ‘हमारी साझेदारी व्यापक सामरिक और सुरक्षा चिंताओं के संदर्भ में है। रक्षा व्यापार और प्रशिक्षण सहित हमारे बीच रक्षा सहयोग बढ़ रहा है।’ उन्होंने कहा, ‘आतंकवाद के वर्तमान खतरों के बढ़ने और नए के पैदा होने को देखते हुए हमने संकल्प किया है कि आतंकवाद और कट्टरवाद के खिलाफ हम अपने सहयोग को और गहरा करेंगे।’ प्रधानमंत्री ने कहा, ‘संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में सुधार के बाद भारत की स्थायी सदस्यता के दावे का समर्थन किए जाने के लिए मैं राष्ट्रपति ओबामा का धन्यवाद करता हूं। मैं एक नियत समय सीमा के भीतर संयुक्त राष्ट्र में सुधार की प्रक्रियाओं को पूरा करने में भी अमेरिका का समर्थन चाहता हूं।’

मोदी ने अंतरराष्ट्रीय निर्यात नियंत्रण व्यवस्था में एक लक्षित समय सीमा के भीतर भारत की सदस्यता के दावे का समर्थन किए जाने के लिए भी अमेरिकी राष्ट्रपति का धन्यवाद किया। प्रधानमंत्री ने जापान सहित क्षेत्रीय सहयोगियों के साथ एशिया, प्रशांत और हिंद महासगर क्षेत्रों में भारत-अमेरिका के बीच संयुक्त रणनीति में हो रही प्रगति का भी स्वागत किया।

मोदी ने कहा, ‘मानवता के विकास की आकांक्षाओं की क्षमता को प्रभावित किए बिना जलवायु परिवर्तन पर राष्ट्रपति और मैं अपनी प्रतिबद्धताओं से किसी तरह का समझौता नहीं करने वाला रुख रखते हैं। हम दोनों ने महत्वाकांक्षी राष्ट्रीय एजंडा तय किए हैं।’ जलवायु परिवर्तन के विषय पर ओबामा और मोदी दोनों ने दुनिया के समक्ष उत्पन्न चुनौतियों से निपटने की प्रतिबद्धता जताई।

ओबामा ने कहा, ‘आज हुई हमारी चर्चा मुख्यत: जलवायु परिवर्तन पर पेरिस में होने वाली आगामी सम्मेलन पर केंद्रित रही। स्वच्छ ऊर्जा के प्रति प्रधानमंत्री मोदी के आक्रामक प्रतिबद्धता से हम उत्साहित हुए।’ प्रधानमंत्री मोदी ने कहा, ‘हम जलवायु परिवर्तन से निपटने के लिए सकारात्मक एजंडे के साथ पेरिस में व्यापक और ठोस परिणामों की उम्मीद करते हैं।’ प्रधानमंत्री ने कहा कि पेरिस सम्मेलन के परिणामों को विकासशील दुनिया विशेष तौर पर गरीब देशों और छोटे द्वीपीय राष्ट्रों के लिए वित्त और प्रौद्योगिकी पहुंच सुगम बनाने पर केंद्रित होना चाहिए। उन्होंने कहा, ‘वहनीय स्वच्छ ऊर्जा के विकास के लिए वैश्विक सार्वजनिक साझेदारी के अपने आह्वान पर सकारात्मक प्रतिक्रिया के लिए मैं राष्ट्रपति ओबामा का धन्यवाद करता हूं। इससे दुनिया भर में तेजी से स्वच्छ ऊर्जा सुगम हो सकेगी।’

मोदी ने कहा,‘हम द्विपक्षीय निवेश संधि सहित एक मजबूत द्विपक्षीय आर्थिक सहयोग का ढांचा बनाने की दिशा में मिलकर काम करना जारी रखेंगे।’ उन्होंने बताया कि दोनों नेता आतंकवाद से निपटने में अफगानिस्तान की जनता की मदद करने और एक शांतिपूर्ण स्थिर और खुशहाल देश बनाने में आपसी सहयोग और विचार-विमर्श को और मजबूत बनाने पर भी सहमत हुए। मोदी ने कहा, ‘ यह बैठक और अमेरिका में मेरी अन्य व्यवस्तताएं हमारे संबंधों की असाधारण गहराई और विविधता का परिचायक है।’

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सोमवार को ही ब्रितानी प्रधानमंत्री डेविड कैमरन और फ्रांस के राष्ट्रपति फ्रांसुआ ओलोंद से मुलाकात की। सैन जोस से यहां पहुंचकर मोदी ने कैमरन से मुलाकात की और विभिन्न विषयों पर चर्चा की। बाद में वो ओलोंद से मिले। इस दौरान माइक्रोसाफ्ट के सह संस्थापक बिल गेट्स भी मौजूद थे। सैन जोस से न्यूयार्क रवाना होने से पहले प्रधानमंत्री ने ट्विट में कहा, ‘गुडबाय कैलिफोर्निया, यहां बिताया गया सप्ताहांत काफी फायदेमंद रहा।’

प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा 70 सालों में आतंकवाद को परिभाषित नहीं कर पाने पर अफसोस जताते हुए कहा कि यदि यह ऐसा करने में इतना लंबा समय लेता है तो इस समस्या से निपटने में कितने साल लगेंगे। मोदी ने यहां सैप सेंटर में भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए कहा, ‘हमने संयुक्त राष्ट्र पर दबाव डाला है।

संयुक्त राष्ट्र अपनी 70 वीं वर्षगांठ मना रहा है। लेकिन अब तक यह आतंकवाद की किसी परिभाषा तक पहुंचने में सक्षम नहीं रहा है। यदि इसे परिभाषित करने में इतना वक्त लगेगा, तो आतंकवाद से निपटने में कितने साल लगेंगे।’ उन्होंने कहा कि यह संयुक्त राष्ट्र की जिम्मेदारी है कि वह स्पष्ट रूप से बताए कि वह किसे आतंकवादी मानता है ताकि अंतराष्ट्रीय समुदाय शांति के लिए अपने मार्ग का खाका तैयार कर सके।

प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्हें आशा है कि संयुक्त राष्ट्र एक ऐसे गंभीर मुद्दे पर फैसला करने में और देर नहीं करेगा। मोदी ने कहा कि भारत पिछले 40 सालों से आतंकवाद से पीड़ित है। पश्चिमी देशों और कई अन्य देशों की आंखें तब खुली जब उनके अपने देशों में बम विस्फोट या आतंकवादी हमले हुए। उन्होंने कहा कि हम 21वीं सदी को आतंकवाद के साए में नहीं छोड़ सकते। आतंकवाद से निपटने के लिए दुनिया को एकजुट होकर खड़ा होना होगा। प्रधानमंत्री ने इस बात का जिक्र किया कि भारत महात्मा गांधी और गौतम बुद्ध की धरती है जिन्होंने दुनिया को शांति और अहिंसा की शिक्षा दी।