जो मालदीव भारत का समर्थक था वो भी अब नूपुर शर्मा के मामले पर विरोध करने को मजबूर हो गया है। जो मालदीव पाकिस्तान के इस्लामोफोबिया वाले अभियान पर भारत के साथ खड़ा था, वो भी अब पैगंबर मोहम्मद के बयान पर चिंता जाहिर कर रहा है।
मालदीव में मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी (एमडीपी) की भारत-समर्थक इबू सोलिह सरकार ने एक बयान जारी कर कहा है कि वो भारत में बीजेपी के कुछ अधिकारियों द्वारा पवित्र पैगंबर मोहम्मद का अपमान करने वाली अपमानजनक टिप्पणियों से बहुत चिंतित है। इस बयान में भारत सरकार द्वारा अपमानजनक टिप्पणियों की निंदा और दोनों नेताओं के निलंबन और निष्कासन का भी स्वागत किया गया है।
भारत के साथ खड़ा देश- मालदीव एक इस्लामिक राष्ट्र है। भारत का यह देश छोटा मगर बहुत ही महत्वपूर्ण पड़ोसी है। मालदीव में सोलिह सरकार से पहले अब्दुल्ला यामीन की सरकार थी, जो भारत विरोधी और चीन सपोर्टर थी। वो भारत के खिलाफ और चीन पर मेहरबान रही। इसके बाद सोलिह सरकार सत्ता में आई तो उसने तुरंत इंडिया फर्स्ट नीति की घोषणा कर दी। पाकिस्तान के ओआईसी में इस्लामोफोबिया के अभियान को विफल करने के लिए संयुक्त अरब अमीरात से हाथ मिला लिया। तब मालदीव ने कहा था कि सोशल मीडिया पर चलने वाले बयान भारत के 1.3 अरब लोगों की भावनाओं का नेतृत्व नहीं करते हैं।
अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर पहुंचा विवाद– हाल के दिनों में हुए नूपुर शर्मा विवाद ने सोशल मीडिया के सहारे बाहरी मुल्कों को भी अपनी ओर ध्यान खींचा है। यह पहला विवाद है जो अब घरेलू ना होते हुए बड़े लेवल पर अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर छाता दिख रहा है। नूपुर शर्मा के मामले से पहले हिजाब विवाद ने भी मुस्लिम देशों को अपनी ओर आकर्षित किया था।
इस साल की शुरुआत में, कर्नाटक में हिजाब विवाद की तस्वीरें भी मालदीव तक गईं थीं। वहां सोशल मीडिया पर यह विवाद चर्चा का विषय बना था। मालदीव में हिजाब अनिवार्य पोशाक नहीं है, लेकिन कर्नाटक में हिजाब और बुर्का पहने महिला प्रदर्शनकारियों के वीडियो वायरल हुए और इस मुद्दे पर वहां सार्वजनिक चर्चा हुई।
हिजाब विवाद पर भी साथ- आईओसी में कुवैत, बहरीन, पाकिस्तान ने हिजाब विवाद पर भारत की आलोचना की थी, यहां तक कि अमेरिका ने भी इस मामले को धर्म की स्वतंत्रता पर हमले के रूप में देखा था। लेकिन तब भी मालदीव इनसे इतर खड़ा था और भारत के सपोर्ट में दिखा था। इस बार भी, वहां की सत्ताधारी पार्टी ने नूपुर शर्मा के बयानों की निंदा तो की लेकिन देर से और शब्दों का चयन भारत के सपोर्ट को ही दिखा रहा है।
विपक्षी सांसद का प्रस्ताव- 6 जून को, संसद में विपक्षी पीपुल्स नेशनल कांग्रेस के सांसद एडम शरीफ उमर द्वारा एक आपातकालीन प्रस्ताव पेश किया गया था, जिसमें सरकार से नूपुर शर्मा के बयान की निंदा करने का आह्वान किया गया था। प्रस्ताव पेश करते हुए शरीफ ने कहा कि इस्लाम की पवित्रता और संरक्षण मालदीव में गहराई से निहित है।
मजबूर हो गई सरकार- सदन में मौजूद कुल 87 सदस्यों में से 43 सदस्य उपस्थित थे। एमडीपी में 65 सदस्य हैं। प्रस्ताव को अस्वीकार करने के लिए मतदान करने वाले सभी 33 सदस्य एमडीपी से थे। बाद में एक अखबार ने सभी 33 सदस्यों के नाम छापे और इसे शर्मनाक बताया। इससे पहले उसी दिन, पीएनसी और मालदीव की प्रोग्रेसिव पार्टी के विपक्षी गठबंधन ने नूपुर शर्मा की टिप्पणी की निंदा करते हुए एक बयान जारी किया था। जैसे-जैसे दबाव बढ़ा, सरकार इसकी निंदा करने को मजबूर हो गई।