नोबल शांति पुरस्कार विजेता आंग सू की ने साल 2013 में इंटरव्यू के बाद बीबीसी की प्रजेंटर के खिलाफ मुस्लिम विरोधी टिप्पणी की थी। एक किताब में दावा किया गया है, ‘उन्हें इंटरव्यू के बाद यह कहते हुए सुना गया किसी ने मुझे पहले क्यों नहीं बताया कि एक मुस्लिम मेरा इंटरव्यू लेगी।’ पाकिस्तानी मूल की बीबीसी प्रजेंटर मिशाल हुसैन ने सू की का इंटरव्यू लिया था । हुसैन ने म्यांमार में रोहिंग्या मुस्लिमों पर हमलों पर उनकी राय जानी थी।
अंग्रेजी अखबार द टेलीग्राफ ने अपनी रिपोर्ट में लिखा है कि हुसैन ने इंटरव्यू के दौरान म्यांमार में रोहिंग्या मुसलमानों में पर हो रहों हमलों की निंदा करने के लिए कहा था। इसके बाद जैसे ही इंटरव्यू खत्म हुआ सू की गुस्सा हो गईं और उन्होंने हुसैन के खिलाफ मुस्लिम विरोधी टिप्पणी की। हालांकि, सू की ने निंदा करने से मना कर दिया और बीबीसी प्रजेंटर ने उन पर बार-बार निंदा करने का दबाव बनाया। उन्होंने निंदा करने की बजाय इंटरव्यू में कहा था कि ये हमले नस्लीय नहीं है। मुस्लिम अगर निशाने बन रहे हैं तो बौद्धों पर भी हमले हो रहे हैं। दोनों ही तरफ स्थिति एक जैसी है, डर के माहौल में जी रहे हैं।
खुलासा पत्रकार पीटर पॉपम की हालही में आई किताब ‘द लेडी एंड द जनरल्स’ में खुलासा किया गया है।