भारत से बिगड़े रिश्तों के बीच बीते दिनों नेपाल ने अपने स्कूल पाठ्यक्रम में एक किताब शामिल की थी, जिसमें नेपाल के विवादित नक्शे को शामिल किया गया था। बता दें कि नेपाल के इस विवादित नक्शे में भारत के कालापानी, लिपुलेख और लिम्पियाधारा इलाकों को भी अपना क्षेत्र दिखाया गया था। अब खबर आयी है कि नेपाल सरकार ने इस किताब के प्रकाशन और वितरण पर रोक लगा दी है।
नेपाल के विदेश मंत्रालय और भू-प्रबंधन मंत्रालय ने भी इस किताब पर कड़ी आपत्ति जतायी थी। जिसके बाद नेपाली कैबिनेट के निर्देश पर इस किताब के वितरण और प्रकाशन पर रोक लगा दी गई है। काठमांडू पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, नेपाली विदेश मंत्रालय का कहना है कि इस किताब में कई तथ्यात्मक गलतियां हैं। जिसके चलते इस किताब पर रोक लगायी गई है।
नेपाल के कानून मंत्री शिव माया ने भी माना है कि कई गलत तथ्यों के साथ संवेदनशील मुद्दों पर किताब का प्रकाशन गलत कदम था। बीते दिनों जब इस किताब का प्रकाशन किया जा रहा तब नेपाल के शिक्षा मंत्री गिरिराज मणि पोखरल ने इसे भारत द्वारा की गई कार्रवाई का जवाब बताया था। दरअसल रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने बीते दिनों कालापानी इलाके में एक सड़क का उद्घाटन किया था। वहीं नवंबर 2019 में भारत द्वारा अपना नया नक्शा जारी किया गया था। उसके बाद से ही नेपाल कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधारा इलाकों पर अपना दावा जता रहा है।
इस किताब की प्रस्तावना भी नेपाल के शिक्षा मंत्री द्वारा लिखी गई है। जिस पर भी सवाल उठ रहे हैं। दोनों देशों के बीच इस मुद्दे पर बातचीत हो रही है और इसे लेकर दोनों देशों के बीच बैठक भी होनी है। नेपाल द्वारा विवादित नक्शे को अपना क्षेत्र बताने पर भारत ने इस पर नाराजगी जाहिर की थी।
जानिए क्या है कालापानी, लिपुलेख और लिंपियाधारा का रणनीतिक महत्वः बता दें कि लिपुलेख का इलाका भारत के उत्तराखंड, नेपाल और चीन की सीमा पर पड़ता है। ऐसे में लिपुलेख का इलाका रणनीतिक रूप से काफी अहम हो जाता है। लिपुलेख के अलावा कालापानी और लिंपियाधारा के इलाके भी तीनों देशों के ट्राइजंक्शन पर मौजूद हैं। माना जा रहा है कि चीन के प्रभाव के चलते नेपाल इन इलाकों में विवाद पैदा कर रहा है।