पेरिस हमले के बाद सारी दुनिया में आतंकवाद के खिलाफ आवाज उठ रही है, लेकिन पाकिस्तान अपनी हरकत बाज नहीं आ रहा है। खबर है कि पाकिस्तान के प्रधानमंत्री नवाज शरीफ ने अलगाववादी नेता आसिया अंद्राबी को पत्र लिखा है। इसमें उन्होंने आसिया को धन्यवाद देते हुए कहा, ‘मैं आपकी भावनाओं और विचारों के लिए शुक्रिया अदा करता हूं। अल्लाह मुझे आपकी उम्मीदों पर खरा उतरने की शक्ति दे, जो आपने मुझसे और पाकिस्तान से लगा रखी हैं। आपने कश्मीर को लेकर पाकिस्तान की नीति के पक्ष में जो भरोसा जताया है, उससे मुझे संतुष्टि मिली है।’ आसिया अंद्राबी कश्मीर के अलगाववादी दल हुर्रियत कॉन्फ्रेंस की महिला विंग की अध्यक्ष हैं। शरीफ ने पत्र में पाकिस्तान की जिस नीति का जिक्र किया है, उसका इशारा जम्मू-कश्मीर में जनमत संग्रह कराने से है।
आसिया को लिखे खत में शरीफ ने कहा, ‘पाकिस्तान कश्मीर को एक जमीनी या बॉर्डर का मसला नहीं मानता। वह इसे 1947 में बंटवारा होने से उपजा मसला मानता है। पाकिस्तान कश्मीर के लोगों को खुद फैसला करने का हक दिलाने की लड़ाई में उनके साथ है।’ शरीफ आगे कहते हैं, ‘बंटवारे के समय यह प्रस्ताव रखा गया था कि कश्मीर में रहने वाली बहुसंख्यक आबादी को अपना मुल्क खुद चुनने की आजादी होगी। भारत ने खुद इस बात का आश्वासन दिया था कि कश्मीरी खुद अपना राजनीतिक भविष्य चुन सकेंगे, लेकिन बाद में वह अपने वादे से मुकर गया।
आसिया अंद्राबी को 28 अगस्त, 2010 को देश में गैरकानूनी गतिविधियों को बढ़ावा देने, हिंसा फैलाने के आरोप में गिरफ्तार किया गया था। उनके पति आशिक हुसैन फक्तू 22 साल जेल में रहे हैं। सितंबर 2013 में आसिया के तीन भतीजों को भी आतंकवादी गतिविधियों से जुड़े होने के संदेह में गिरफ्तार किया गया था। पाकिस्तान बार-बार कश्मीर में अलगवादियों के साथ मुलाकात और पत्राचार कर रहा है। मोदी सरकार इस बात पर सख्त ऐतराज जता चुकी है, इसके बाद भी वह कश्मीरी अलगावादियों को उकसाने का कोई मौका छोड़ता नहीं है।

