NASA Artemis 1 launch: इंजन में खराबी की वजह से नासा का मून मिशन फिलहाल के लिए टाल दिया गया है। नासा की तरफ से ट्वीट किया गया कि टीम की तरफ से डेटा इकट्ठा किया जा रहा है और मिशन मून की लॉन्चिंग की अगली तारीख के बारे में जल्दी ही बता दिया जाएगा। सोमवार को इंसानों को चांद पर पहुंचाने के लिए नासा आर्टिमिस मिशन से जुड़े पहले लॉन्च की तैयारी थी। अमेरिका के फ्लोरिडा स्थित लॉन्च पैड से ये रॉकेट उड़ान भरने वाला था, लेकिन इंजन में खराबी के चलते फिलहाल के लिए इसे रोक दिया गया है।
आर्टिमिस मिशन के जरिए किसी इंसान को चांद पर नहीं भेजा जा रहा, बल्कि रॉकेट के जरिए ओरियान कैप्सूल को भेजा जाएगा। 6 फीट का यह अंतरिक्ष कैप्सूल इंसानों को चांद पर पहुंचाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा। रॉकेट की लॉन्चिंग के बाद यह कैप्सूल चांद की ओर बढ़ेगा और अंतरिक्ष में 42 दिन तक रहेगा।
इसके बाद 10 अक्टूबर को धरती पर वापस आ जाएगा। हालांकि, अब लॉन्चिंग की तारीख में बदलाव के कारण कैप्सूल की धरती पर वापसी की तारीख में भी बदलाव हो जाएगा। आर्टिमिस कार्यक्रम का लक्ष्य चंद्रमा पर अलग-अलग अंतरिक्ष यात्रियों को पहुंचाना है। इसके साथ ही नासा चांद के अंधेरे हिस्से को इस मिशन के जरिए एक्स्प्लोर करना चाहता है।
मिशन के तहत ओरियान स्पेसक्राफ्ट में सबसे ऊपर 6 लोगों के बैठने के लिए डीप-स्पेस एक्सप्लोरेशन कैप्सूल है, जिसमें 322 फीट लंबा 2,600 टन वजन वाला स्पेस लॉन्च सिस्टम मेगारॉकेट होगा। चांद पर इंसानों को भेजने से पहले यह एक टेस्ट है, इसलिए इसमें कोई क्रू नहीं जा रहा है। ओरियान में इंसानों की जगह पुतलों को भेजा जाएगा। अंतरिक्ष के बेहद जटिल वातावरण की जांच करने के लिए इसे खाली भेजा जा रहा है। पुतलों के साथ स्नूपी सॉफ्ट टॉय भी भेजा जा रहा है, जो कैप्सूल के चारों ओर तैरेगा और जीरो ग्रैविटी इंडिकेटर के तौर पर काम करेगा।
वैज्ञैनिकों का कहना है कि अगर यह मिशन सफल रहता है, तो 2025 के अंत तक चांद के दक्षिणी ध्रुव में अंतरिक्ष यात्रियों को भेजा जाएगा। दूसरी टेस्ट फ्लाइट आर्टिमिस II, मई 2024 के लिए निर्धारित है, जो 4 लोगों को चांद के पीछे लेकर जाएगी, इसकी चंद्रमा पर लैंडिंग नहीं होगी। बता दें कि 53 साल पहले पहली बार इंसान चांद पर गया था। 1969 में नील आर्मस्ट्रांग चांद पर पहुंचने वाले पहले शख्स थे और 1972 में कमांडर यूजीन कर्नन आखिरी इंसान थे जो चांद पर गए थे।