प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने चीन के राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री के साथ बातचीत में चीन से उन कुछ मुद्दों पर उसके रूख पर पुनर्विचार करने पर जोर दिया जिसके कारण दोनों देशों की भागीदारी पूरी क्षमता प्राप्त नहीं कर पा रही है।

प्रधानमंत्री मोदी ने बीजिंग में चीनी प्रधानमंत्री ली क्विंग से बातचीत के बाद एक मीडिया के सम्मुख संयुक्त बयान में कहा, ‘‘ मैंने चीन को सुझाव दिया है कि हमारे रिश्तों के प्रति वह सामरिक और दीर्घकालिक स्तर पर विचार करे। मैंने पाया कि चीनी नेतृत्व का रूख इसे लेकर अनुकूल है।’’

उन्होंने कहा कि सीमा के मुद्दे पर हमने उचित, व्यवहारिक और आपसी सहमति से स्वीकार्य समाधान तलाशने पर सहमति व्यक्त की। हम दोनों ने सीमा क्षेत्रों में शांति एवं स्थिरता बनाये रखने के लिए हर तरह के प्रयास करने के प्रति अपनी मजबूत प्रतिबद्धता व्यक्त की।

मोदी ने कहा, ‘‘ मैंने यह भी दोहराया है कि इस संबंध में वास्तविक नियंत्रण रेखा के प्रति स्पष्टता महत्वपूर्ण है।’’
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैंने वीजा नीति और सीमापार नदियों के साथ हमारे कुछ क्षेत्रीय चिंताओं के बारे में भी चर्चा की।’’
उन्होंने कहा कि हम इस बात पर सहमत हुए कि हम आगे बढ़ें, एक दूसरे के हितों के प्रति संवेदनशील हों, आपसी विश्वास को मजबूत करें, अपने मतभेदों से परिपक्वता के साथ निपटें और लंबित मुद्दों का समाधान खोजें।

प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘ मैंने हमारे बढ़ते व्यापार घाटे से संबंधित विशिष्ट चिंताओं को उठाया और इसके प्रति राष्ट्रपति शी और प्रधानमंत्री ली का रूख काफी सकारात्मक रहा। हम शीघ्र ही जमीनी स्तर पर इसे प्रभावी होने के प्रति आशान्वित हैं।’’
उन्होंने बताया, ‘‘ हम इस बात पर भी सहमत हुए कि आर्थिक संबंधों को और व्यापक बनाने का सामरिक खाका विकसित करने के लिए एक उच्च स्तरीय कार्यबल बनाया जाए। इसमें आधारभूत संरचना, आईटी, फार्मा, कृषि और विनिर्माण क्षेत्र शामिल हैं।’’

मोदी ने कहा कि हमारे विचार विमर्श का महत्वपूर्ण हिस्सा द्विपक्षीय सहयोग से संबंधित है। हमने अपनी आर्थिक भागीदारी के लिए एक अतिमहत्वाकांक्षी एजेंडा तय किया है।

उन्होंने कहा कि हमारे समक्ष व्यापक द्विपक्षीय अवसर हैं और बहुत सी समान चुनौतियां भी हैं जिनमें शहरीकरण शामिल है।
प्रधानमंत्री ने कहा कि दोनों देशों की जनता के बीच सम्पर्क हमारी उच्च प्राथमिकताओं में है क्योंकि भारतीय और चीनी एक दूसरे को अच्छी तरह से नहीं जानते और एक दूसरे को कम समझते हैं।

दोनों देशों के संबंधों को नया आयाम देने के बारे में उन्होंंने कहा कि हमने निर्णय किया है कि हम राष्ट्रीय राजधानी की सरकारों के संकीर्ण दायरे से बाहर निकल कर इन रिश्तों को दोनों देशों के प्रांतीय, नगरीय और जनता के स्तर तक ले जायेंगे।
उन्होंने कहा, ‘‘ पहली बार भारत ने किसी देश के साथ राज्य और प्रांतीय नेताओं का मंच बनाया है। यह भारत में सहकारी संघवाद को लेकर मेरी प्रतिबद्धता के अनुरूप है।