भारत और चीन के बीच सहयोग की वकालत करते हुए प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि दोनों देश मिलकर गरीबी को दूर करने के लिए विकास की ऐसी नई ऊंचाइयां छू सकते हैं जिससे संपूर्ण विश्व लाभान्वित होगा क्योंकि दुनिया की एक तिहाई आबादी इन दोनों देशों में बसती है। इसके साथ ही शनिवार को चीन का दौरा खत्म कर प्रधानमंत्री मंगोलिया पहुंचे। किसी भारतीय प्रधानमंत्री की यह पहली मंगोलिया यात्रा है।

फूदान विश्वविद्यालय में गांधीवादी व भारतीय अध्ययन केंद्र का शुभारंभ करते हुए मोदी ने कहा कि भारत और चीन के बीच ऐतिहासिक और सभ्यता से जुड़े संबंध हैं। दोनों मिलकर एक ऐसी दुनिया बना सकते हैं जो मानवता की सेवा कर सके। चीन की यात्रा के अंतिम दिन प्रधानमंत्री ने महात्मा गांधी का जिक्र किया और कहा कि वर्तमान विश्व की आतंकवाद व ग्लोबल वार्मिंग जैसी कई समस्याओं का समाधान इनकी शिक्षा में निहित है।

फूदान विश्वविद्यालय में छात्रों और शिक्षकों को हिंदी में संबोधित करते हुए मोदी ने कहा- इक्कीसवीं शताब्दी एशिया की शताब्दी है। दुनिया की एक तिहाई आबादी इन दोनों देशों में बसती है। इसलिए अगर भारत और चीन मिलकर गरीबी उन्मूलन

के लिए काम करते हैं तब एक तिहाई वैश्विक आबादी को इस समस्या से निजात मिल जाएगी जो पूरे विश्व के लिए फायदेमंद होगी। इसलिए भारत और चीन मानवता के प्रति संवेदनशीलता और भगवान बुद्ध के दर्शन व महात्मा गांधी के प्रयोग के साथ प्रगति की नई ऊंचाइयां छू सकते हैं ताकि हम दुनिया को एक ऐसी व्यवस्था दे सकें जो मानवता के कल्याण के लिए समर्पित हो।

महात्मा गांधी का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा-इस समय दुनिया दो अहम संकट से गुजर रही है जिसमें ग्लोबल वार्मिंग और आतंकवाद शामिल है। दोनों का समाधान गांधीजी की शिक्षा में निहित है। गांधी अभी भी प्रासंगिक हैं। महात्मा गांधी का जन्म भारत के एक हिस्से में हुआ होगा लेकिन वे वैश्विक नागरिक हैं। शांति के इस दूत ने हमें इस संकट से निकलने का रास्ता दिखाया होता जिससे आज दुनिया गुजर रही है।

इस समारोह में चीनी छात्रों ने संस्कृत के श्लोकों का उच्चारण किया। मोदी ने कहा कि भारतीय दर्शन के मूल में सभी दिशाओं से ज्ञान के प्रवाह को आने देने में निहित है। उन्होंने कहा-ज्ञान के लिए कोई पूरब या पश्चिम नहीं है। यह वैश्विक है। किसी भी तरह के ज्ञान से मानवता का भला होता है। मोदी ने इस दौरान गीता की शिक्षा का जिक्र करते हुए कहा कि हर किसी को परिणाम की चिंता किए बिना कर्म करते रहना चाहिए। प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत और चीन ज्ञान के आकांक्षी रहे हैं। इस दौरान उन्होंने चीनी यात्री ह्वेन सांग का जिक्र किया।

दूसरी ओर अक्सर विदेशी दौरा करने को लेकर विपक्ष की आलोचनाओं पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को अपनी चुप्पी तोड़ते हुए आलोचकों की चुटकी लेते हुए कहा कि उनपर ‘अथक’ काम करने के लिए निशाना साधा जाता है और अगर यह ‘अपराध’ है तब वे इसे करना जारी रखेंगे। जर्मनी, फ्रांस और कनाडा की यात्राओं के दौरान पूर्ववर्ती सरकारों की आलोचना करने पर विपक्ष के हमलों का सामना कर रहे मोदी ने कहा-लोग पूछते हैं कि मोदी क्यों इतने देशों की यात्रा कर रहे हैं। अगर आप कम काम करते हैं तब आलोचना सामान्य बात है। अगर आप सोते रहते हैं तब आलोचना सामान्य बात है। लेकिन मेरी किस्मत खराब है कि मेरी आलोचना अधिक काम करने की वजह से हो रही है।
चीन की अपनी तीन दिवसीय यात्रा के अंतिम पड़ाव में यहां भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री ने इस बात पर जोर दिया कि अगर अधिक काम करना अपराध है, तब मैं ऐसा करना जारी रखूंगा। मेरी प्रतिबद्धता देश के लोगों के प्रति है।

शंघाई में भारतीय समुदाय के लोगों को संबोधित करते हुए मोदी ने कहा-समय बदल रहा है और दुनिया भारत की ओर अलग नजरिए से देख रही है। यह पिछले एक साल में सरकार के प्रदर्शन के कारण हुआ है जो प्रत्येक नागरिक के लिए गर्व का विषय है। पिछले एक साल में मैंने कोई अवकाश नहीं लिया।

पिछले एक साल में अपनी सरकार के प्रदर्शन का जिक्र करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि उन्होंने अपने पहले ही साल में काम करना शुरू कर दिया है और पिछले 30 सालों का काम करने का प्रयास कर रहे हैं। इसलिए दुनिया मुझ पर अधिक भरोसा करती है। मंैने जो एक वर्ष में बोया है, उसका पोषण करने की जरूरत है। अगर मैंने यह काम पांचवें वर्ष में किया होता तब किसी ने इसे गंभीरता से नहीं लिया होता। लेकिन दुनिया हमें गंभीरता से ले रही है क्योंकि मैंने यह काम पहले ही वर्ष में किया है।

भारतीय समुदाय को संबोधित करते हुए मोदी ने अपने एक और संकल्प का भी जिक्र किया जिसमें उन्होंने कहा था कि वे सीखेंगे। उन्होंने कहा कि पदभार ग्रहण करने के बाद से ही वे ऐसा करने का प्रयास कर रहे हैं और विदेशी दौरे के दौरान भी वे अनुभव और विशेषज्ञता को सीखने और भारत में उसका अनुसरण करने का प्रयास कर रहे हैं।

गुजरात के पूर्व मुख्यमंत्री ने याद दिलाया कि पिछले साल लोकसभा चुनाव के दौरान विदेश मामलों के बारे में उनके अनुभव के संदर्भ में सवाल उठाए जा रहे थे। लोग मुझसे सवाल करते थे, मोदी कौन है? विदेश नीति के बारे में वे क्या जानते हैं? आरोप सही थे लेकिन आशंकाएं गलत थीं। पिछले एक साल के सरकार के कामकाज के कारण भारतीय अब सिर ऊंचा रख सकते हैं।

अपने तीन दिनों की चीन यात्रा की चर्चा पर मोदी ने कहा कि इस पर दुनिया की नजर है और वे इसका महत्व समझते हैं। उन्होंने कहा-चीन के इतिहास में पहली बार इस देश के राष्ट्रपति ने किसी विदेश नेता की बेजिंग से बाहर मेजबानी की। यह स्वागत मोदी का नहीं था बल्कि सवा सौ करोड़ देशवासियों का था।

एशिया के दो बड़े देशों के बीच करीबी सहयोग की वकालत करते हुए मोदी ने कहा-यह नहीं देखें कि भारत को क्या मिला या चीन को क्या हासिल हुआ। दुनिया की एक तिहाई आबादी इन दोनों देशों में बसती है। क्या हमने कभी इस ताकत का एहसास किया ? हमने इसे केवल नजरंदाज किया और अपने आप को गरीब देश माना। लेकिन भारत और चीन आपस में न केवल अपनी मदद कर सकते हैं बल्कि पूरी दुनिया की कर सकते हैं। एक तरफ दुनिया की एक तिहाई आबादी और दूसरी तरफ शेष दुनिया।

मोदी ने कहा कि दुनिया 20 साल पहले तक विकासशील देशों की चिंता नहीं करती थी। लेकिन अब समय बदल गया है। भारत इसके लिए तैयार है। हमारे पास दुनिया को देने के लिए काफी कुछ है। आतंकवाद के विस्तार पर चिंता व्यक्त करते हुए मोदी ने कहा कि आतंकवाद की बुराई मानवता की दुश्मन बन गई है। दुनिया के प्रत्येक हिस्से में लोग मारे जा रहे हैं। कौन इनके जख्मों पर मरहम लगाएगा ? कौन इन्हें संकट में जीवन की उम्मीद दिलाएगा। केवल वे जिनके पूर्वजों ने कहा था वसुधैव कुटुम्बकम। यह हमारे डीएनए में है। हम दुनिया को इस बात का अहसास कराएंगे। ग्लोबल वार्मिंग पर मोदी ने कहा कि यह समस्या मानव द्वारा निर्मित है। उन्हें ही इसका समाधान निकालना है। आप प्राकृतिक संसाधनों का उपयोग कर सकते हैं। लेकिन इसका अनुचित दोहन नहीं कर सकते।

चीन के विकास की कहानी की सराहना करते हुए मोदी ने कहा कि भारत और चीन की विशेष जिम्मेदारी है और इन्हें कंधे से कंधा मिलाकर चलना है। उन्होंने कहा-चीन के लोगों में भारत के बारे में उत्सुकता है। इसका समाधान मुझे नहीं करना है, न ही उच्चायोग या सरकार को करना है, बल्कि यह भारत के उन लोगों को करना है जो यहां रह रहे हैं। इससे चीन को भारत को समझने में मदद मिलेगी। इससे पर्यटन के विकास में भी मदद मिलेगी जो वैश्विक रूप से 3000 अरब डालर का उद्योग है।

मोदी ने कहा-हम अलग अलग नहीं रह सकते। हमारा हजारों वर्षों का सभ्यता से संबंधित जुड़ाव है। हमारे बीच लोगों के स्तर पर संपर्क की ताकत है। हमें इस ताकत को समझना होगा। चीन में 30 वर्षों में बदलाव आया और यह रातों-रात नहीं हुआ। भारत को भी बेहतर विकास करना है, आइटी क्षेत्र, अनुसंधान व विकास के क्षेत्र में प्रगति करनी है। एक बार हम नए युग की ओर बढ़ेंगे तब हम दुनिया को कुछ दे सकते हैं। प्रधानमंत्री ने कहा कि एक वर्ष में विश्व बैंक, आइएमएफ या अन्य रेटिंग एजंसी ने भारत को तेजी से विकास करती हुई विकासशील अर्थव्यवस्था बताया है और कहा है कि यह सात फीसद से अधिक विकास दर हासिल करेगी। हर तरह से हम देश को आगे ले जाएंगे। यह हमारा संकल्प है।

ताकत पहचान करें तरक्की
यह नहीं देखें कि भारत को क्या मिला या चीन को क्या हासिल हुआ। दुनिया की एक तिहाई आबादी इन दोनों देशों में बसती है। क्या हमने कभी इस ताकत का एहसास किया? हमने इसे केवल नजरंदाज किया और अपने आप को गरीब देश माना। लेकिन भारत और चीन आपस में न केवल अपनी मदद कर सकते हैं बल्कि पूरी दुनिया की कर सकते हैं। एक तरफ दुनिया की एक तिहाई आबादी और दूसरी तरफ शेष दुनिया।

अहम होगी भारत की भूमिका
दुनिया 20 साल पहले तक विकासशील देशों की चिंता नहीं करती थी लेकिन अब समय बदल गया है। मैं आपको आश्वस्त कर सकता हूं कि भारत इसके लिए तैयार है। हमारे पास दुनिया को देने के लिए काफी कुछ है। आतंकवाद की बुराई मानवता की दुश्मन बन गई है। दुनिया के प्रत्येक हिस्से में लोग मारे जा रहे हैं। कौन इनके जख्मों पर मरहम लगाएगा? केवल वे जिनके पूर्वजों ने कहा था, ‘वसुधैव कुटुम्बकम’। यह हमारे डीएनए में है। हम दुनिया को इस बात का अहसास कराएंगे।

आलोचनाओं के बाद भी करता रहूंगा अथक काम का ‘अपराध’
लोग पूछते हैं कि मोदी क्यों इतने देशों की यात्रा कर रहे हैं। अगर आप कम काम करते हैं तब आलोचना सामान्य बात है। अगर आप सोते रहते हैं तब आलोचना सामान्य बात है। लेकिन मेरी किस्मत खराब है कि मेरी आलोचना अधिक काम करने की वजह से हो रही है। अगर अथक काम करना अपराध है, तब मैं ऐसा करना जारी रखूंगा। मेरी प्रतिबद्धता देश के लोगों के प्रति है।