देश में स्वच्छता अभियान चलाने, शौचालय बनाने और सभी गरीबों के बैंक खाते खोलने के कार्यो को वरीयता के आधार पर आगे बढ़ाने के संदर्भ में प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘कई लोगों के बड़े बड़े काम करने के सपने होते हैं। वो सपने उन्हें मुबारक। मुझे तो छोटे छोटे काम करने हैं। छोटे लोगों के लिए करने हैं और छोटों को बड़ा बनाने के लिए करने हैं।’’
उन्होंने कहा कि अपनी सरकार की छह महीने की अल्पावधि में ही वह यह अनुभव कर सकते हैं कि देश के सामान्य लोगों ने जो सपने देखे हैं, उन्हें पूरा करने का भारत मां आर्शीवाद दे रही है और देश की जनता उसे कर दिखाने का सामर्थ्य रखती है। उन्होंने विश्वास दिलाया कि भारत फिर से उठ खड़ा होगा, सामर्थ्यवान बनेगा और विश्व को संकट से मुक्ति दिलाने की ताकत बनेगा। और अब ऐसा कोई कारण नहीं लगता कि हमारा देश पीछे रह जायेगा।
मोदी ने कहा, ‘‘नियति ने उसका (भारत) आगे जाना तय कर लिया है। जिस देश के पास 250 करोड़ भुजाएं हों और उसमें भी 200 करोड़ ऐसी हों जो 35 साल से कम आयु की हैं। उस युवाशक्ति और नौजवानों की ताकत के बल पर भारत मजबूत शक्ति बनेगा।’’
हाल के लोकसभा चुनाव के नतीजों के बारे में प्रधानमंत्री ने कहा कि यह भारतीय राजनीति में परिवर्तन के लिए विश्वभर में रह रहे भारतीयो की उमंग को दर्शाते हैं। इन नतीजों के प्रति लोगों की जिज्ञासा, भारत के उज्जवल भविष्य को लेकर थी, न कि किसी पार्टी की हार या जीत को लेकर।
जन धन योजना की सफलता का उल्लेख करते हुए उन्होंने कहा कि पिछले 67 साल में एक साल में औसतन एक करोड़ बैंक खाते खुलते थे लेकिन इस योजना के शुरू होने के 10 हफ्ते में सात करोड़ से अधिक खाते खुल चुके हैं।
चुनाव के बाद देश में बदलाव के माहौल का दावा करते हुए उन्होंने कहा, ‘‘सरकार वही, मुलाजिम वही, दफ्तार वही, फाइल वही, आदत वही, लोग भी वही…. लेकिन काम हुआ कि नहीं हुआ।’’
अमेरिका के न्यूयॉर्क स्थित मेडिसन स्कवायर की तरह यहां सिडनी के ऑलफोंस एरीना में भी ‘मोदी मोदी’ के जयकारे लगाने वाली और उनकी हर बात पर तालियां बजा कर समर्थन करने वाली अतिउत्साही भीड़ को अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने कहा कि देश के लोगों और व्यवस्थाओं को कम करके नहीं आंके। अगर सही दिशा दी जाए तब लोग उससे भी आगे दौड़ने को तैयार हैं।
उन्होंने कहा, ‘‘काम बहुत कठिन है लेकिन क्या हम यह सोचकर उसे हाथ नहीं लगाएं, उससे दूर भाग जाएं? मैंने एक बड़ा संकट मोल लिया है। 1857 के पहले स्वतंत्रता संग्रमा में हिस्सा लेने वाले लोगों ने आजादी नहीं देखी और अगर वो यह सोचते कि मेरे जीते जी आजादी आ जाए तब कभी आजादी नहीं मिल सकती थी।’’
मोदी ने ऑस्ट्रेलिया में रह रहे भारतीय समुदाय के लोगों का भी आह्वान किया कि स्वच्छ भारत के अभियान को आगे बढ़ाने में वे भी पहल करें और भारत के अपने मूल गांव एवं स्थानों पर शौचालय बनाने में योगदान करें। इस पर उपस्थित लोगों ने जोरदार तालियां बजाकर अपना समर्थन जताया।
श्रम के सम्मान की जोरदार वकालत करते हुए प्रधानमंत्री ने कहा कि सफाई करना या कूड़ा कचरा उठाना, अपनी शान कम करने की बात नहीं है बल्कि बहुत इज्जत का काम है। इसी को ध्यान में रखते हुए सरकार ने ‘श्रमेव जयते’ योजना शुरू की है।
(भाषा)