भारत और पाकिस्तान के बीच में तनाव काफी ज्यादा बढ़ चुका है, हालात ऐसे चल रहे हैं कि जंग भी शुरू हो सकती है। इस समय आतंकवाद के खिलाफ मजबूती से खड़े कई देश भारत का समर्थन कर रहे हैं, पाकिस्तान पूरी तरह आइसोलेट हो गया है। बड़ी बात यह है कि कई मुस्लिम देश भी खुलकर इस समय पाकिस्तान के साथ नहीं आए हैं। कुछ को छोड़ दिया जाए तो वहां भी पाकिस्तान को बड़ा झटका लगा है, उसकी ‘मुस्लिम ब्रदरहुड’ वाली पॉलिसी फेल हो रही है।
इस समय पाकिस्तान को सीरिया, इराक, तुर्की और अजरबैजान जैसे देशों का समर्थन मिला है, लेकिन खाड़ी देश जो पहले जरूर पाकिस्तान के साथ ज्यादा दिखाई देते थे, उनके रुख में बदलाव आया है। बात चाहे यूएई की हो, कतर की हो या फिर सऊदी की, पहलगाम हमले की कड़े शब्दों में निंदा की गई है। यहां भी खाड़ी देशों के रुख में आया बदलाव भारत सरकार की कूटनीति की बड़ी जीत भी मानी जा सकती है।
युद्ध के समय भारत की सेना कितनी ताकतवर है?
यहां भी यूएई के राष्ट्रपति Sheikh Mohamed bin Zayed Al Nahyan ने तो जिस तरह से पीएम मोदी से फोन पर बात की थी, जिस तरह से उनकी तरफ से इस हमले की निंदा की गई, उसने सबकुछ स्पष्ट कर दिया। यह भूलना नहीं चाहिए यूएई उन देशों में शामिल रहा है जिसने 1965 और 1971 के युद्ध के दौरान पाकिस्तान का समर्थन किया था। ऐसे में अब अगर वो भारत के साथ दिखाई दे रहा है, इसके अपने मायने हैं। वैसे भी बात जब भी मुस्लिम देशों की आती है, वहां सबसे ताकतवर यूएई ही माना जाता है, ऐसे में उसका भारत के साथ आना पाकिस्तान को बड़ा झटका है।
जानकार मानते हैं कि इस समय मिस्र, कतरस ओमान, कुवैत और बहरीन जैसे मुस्लिम देश भी भारत से दुश्मनी नहीं लेने वाले हैं। इन देशों का रुख अगर पूरी तरह भारत के समर्थन में ना भी दिखे, लेकिन इतना जरूर माना जा रहा है कि वे सभी न्यूट्रेल खेल सकते हैं। यह बताने के लिए काफी है कि पाकिस्तान को अपने इन मुस्लिम देशों से भी खुला समर्थन अब नहीं मिलने वाला है। बांग्लादेश की बात करें तो उसने भी पहलगाम हमले की निंदा की थी। लेकिन उसका रुख अभी स्पष्ट नहीं दिखाई देता है। भारत के साथ उसके रिश्ते खराब हुए हैं, लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि वो पाकिस्तान के समर्थन में उतर जाए।
पिछले कई सालों से भारत सरकार की यह नीति रही है कि आतंकवाद पर पूरी दुनिया को एकजुट किया जाए, उसने साफ कर दिया है कि बैड टेररिज्म या फिर गुड टेररिज्म जैसा कुछ नहीं होता है, जीरो टॉलरेंस के तहत इससे निपटना जरूरी है। इस नीति ने ही आतंकवाद को लेकर भारत के स्टैंड को भी स्पष्ट किया है और कई देशों को भी इस मुद्दे की गंभीरता को समझाया है। ऐसे में भारत अगर कोई जवाबी कार्रवाई करता भी है, दुनिया के कई देश सिर्फ इसलिए सवाल नहीं उठा पाएंगे क्योंकि उन्हें पता है कि आतंकवाद पर भारत का रुख स्पष्ट रहा है।