तालिबान का नया प्रमुख मुल्ला अख्तर मंसूर संभवत: मुल्ला मुहम्मद उमर के नाम से पिछले दो साल से आदेश और संदेश जारी कर अपने साथी उग्रवादियों को झांसा दे रहा था जबकि उसे पता था कि 2013 में ही उमर की मौत हो गई थी। न्यूयार्क टाइम्स की एक रिपोर्ट में कहा गया है, मुल्ला उमर के पैमाने पर भी अंतिम वर्षों में उसका पकड़ में ना आना गजब का है।
तालिबान के शीर्ष स्तर के कुछ लोगों की ही उस तक पहुंच थी और 2013 के मध्य तक यह संख्या घट कर बस एक मुल्ला अख्तर मंसूर हो गई, नंबर दो का दर्जा रखने वाला। इसमें कहा गया है कि अफगान और अमेरिकी खुफिया अधिकारियों ने संकेत दिया था कि मुल्ला उमर की संभवत: 2013 में मौत हो गई थी।
अधिकारियों के हवाले से कहा गया है, इसका मतलब है कि हो सकता है कि मुल्ला मंसूर ने शायद अपने साथियों को पिछले दो साल में मुल्ला उमर के आदेश और संदेश पर झांसा दिया हो। मुल्ला मंसूर के बयानों से मुल्ला उमर के बेटे मुल्ला याकूब और उसके भाई मुल्ला अब्दुल मन्नान को संदेह हुआ।
रिपोर्ट में कहा गया है कि पहले मुल्ला उमर तक दोनों की पहुंच थी। उन्होंने लोगों से कहना शुरू किया कि उनका मानना है कि उमर की मौत हो जाने के कारण शायद उन्हें उमर से दूर रखा जा रहा है।
इधर, येपमी के संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी विवक गौड़ ने कहा, “आईएमफैन प्रतियोगिता का मकसद हमारे ग्राहकों को विभिन्न क्रियाकलापों से जोड़ना, ताकि दोनो तरफ से बेहतर संपर्क बन सके और उनके सबसे चहेते शाहरुख खान के प्रति उनके प्यार को जाहिर करवाने के लिए इससे बेहतर क्या तरीका हो सकता था।”