King Mohammed VI Eid al-Adha Message: इस्लाम में कुर्बानी की बड़ी अहमियत है। कुर्बानी मुख्य रूप से ईद-उल-अज़हा (बकरीद) के मौके पर दी जाती है। इस साल ईद-उल-अज़हा का त्यौहार जून में मनाया जाएगा। बकरीद के मौके पर भेड़ या किसी अन्य जानवर की कुर्बानी दी जाती है। कुर्बानी वाले जानवर के मांस को परिवार और परिचितों के बीच बांटा जाता है और गरीबों को दान कर दिया जाता है। लेकिन इस्लामिक देश मोरक्को ने अपने मुल्क के लोगों से कहा है कि वे इस वर्ष ईद-उल-अज़हा के मौके पर भेड़ों का वध न करें।
इसके पीछे वजह यह है कि कई सालों से लगातार सूखा पड़ने के कारण देश में भेड़ों की संख्या काफी कम हो गई है।
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38% तक कम हुई पशुओं की संख्या
आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार, मोरक्को में चरागाहों के सूखने के कारण पिछले एक दशक में पशुओं और भेड़ों की संख्या 38% तक कम हो गई है। मोरक्को में मांस की कीमतें आसमान छू रही हैं और आस्ट्रेलिया से 1 लाख भेड़ें आयात की जा रही हैं।
धार्मिक मामलों के मंत्री ने नेशनल टेलीविजन पर पढ़े गए भाषण में बताया है कि किंग मोहम्मद VI ने कहा है कि इस तरह के कठिन हालात में इस धार्मिक रीति-रिवाज (कुर्बानी) को करना हमारे कई नागरिकों, खासकर निम्न आय वर्ग के लोगों को नुकसान पहुंचाने वाला होगा। किंग मोहम्मद VI के पिता हसन II ने भी 1966 में इसी तरह की अपील की थी, जब मोरक्को को लंबे वक्त तक सूखे का सामना करना पड़ा था।
53% कम हुई बारिश, पशुओं के लिए चारे की मुश्किल
मोरक्को में इस साल बारिश पिछले 30 सालों की तुलना में 53% कम हुई है, जिससे मवेशियों के लिए चारे की भारी कमी हो गई है। इसके अलावा मांस का उत्पादन घटने के कारण स्थानीय बाजार में कीमतें बढ़ गई हैं और जीवित पशुओं, भेड़ों और लाल मांस का आयात बढ़ गया है।
हाल ही में एक इंटरव्यू के दौरान मोरक्को के कृषि मंत्री अहमद बोआरी ने कहा था कि पेयजल और उद्योग जैसे प्राथमिक क्षेत्रों के लिए पानी जरूरी है और इसका असर कृषि पर पड़ा है। सिंचाई वाले कई क्षेत्रों में सख्त नियम और जल राशनिंग लागू की गई है।
मोरक्को में मांस की कीमतें आसमान छू रही हैं। मोरक्को की सरकार ने 2025 के बजट में घरेलू बाजार में मांस की कीमतों को स्थिर रखने के लिए मवेशियों, भेड़ों, ऊंटों और लाल मांस पर आयात शुल्क और वैल्यू एडेड टैक्स (VAT) को हटा दिया है। जून में पड़ने वाला ईद-उल-अज़हा का त्यौहार पैगम्बर इब्राहिम द्वारा ईश्वर के आदेश पर अपने पुत्र की बलि देने की याद में मनाया जाता है।
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