पांच साल बाद भारत और चीन के बीच में ब्रिक्स समिट में द्विपक्षीय बैठक होने वाली है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग कई मुद्दों पर चर्चा करने वाले हैं। यह बैठक उस समय हो रही है जब एलएसी पर तनाव कम हो चुका है, कई मुद्दों पर सहमति बनी है। दोनों ही देशों के विदेश मंत्रालय ने भी जारी बयान में इस बैठक को लेकर उत्साह जता दिया है।

आखिरी बार कब हुई मोदी-जिनपिंग की मुलाकात?

जानकारी के लिए बता दें कि पांच साल बाद दोनों ही देशों के बीच में यह बैठक हो रही है, इससे पहले एक अनऔपचारिक मीटिंग महाबलिपुरम में देखने को मिली थी जो 2019 में हुई थी। लेकिन उसके कुछ महीने बाद ही सीमा पर तनाव बढ़ गया और रिश्ते बिगड़ते चले गए। उस तनाव के बाद 2022 और 2013 में दोनों देश के नेता मिले जरूर, लेकिन एक बाक भी द्विपक्षीय बैठक नहीं हो पाई। ऐसे में ब्रिक्स में हो रही इस मुलाकात को निर्णयाक माना जा रहा है।

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सीमा पर तनाव कम, व्यापार की चुनौती शुरू

भारत के विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने मीडिया से बात करते हुए कहा है कि मैं इस बात की पुष्टि कर सकता हूं कि पीएम मोदी और राष्ट्रपति शी जिनपिंग के बीच में द्विपक्षीय बैठक होने वाली है। बैठक का समय अभी तक जारी नहीं किया गया है, ऐसे में उसके लिए थोड़ा और इंतजार करना होगा। ऐसी खबर है कि व्यापार को लेकर दोनों देशों के बीच कुछ समझौते हो सकते हैं।

भारत की चीन से बड़ी शिकायत

समझने वाली बात यह है कि चीन और भारत के बीच ट्रेड कई सालों से चल रहा है। लेकिन भारत की हमेशा से यह शिकायत रही है कि उसके निर्यात किए गए प्रोडक्स को चीन में वो मार्केट नहीं मिल पाता है जो उसके देश को भारत में आसानी से मिल जाता है। विदेश मंत्री एस जयशंकर भी इस मुद्दे को पिछले साल उठा चुके हैं। उनके मुताबिक चीन में भारत के सामान पर ज्यादा टैरिफ लगता है, वही भारत का पूरा मार्केट चीनी सामान के लिए खुला रहता है। यह अलग बात है कि अब आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदम ने चीन के साथ जारी व्यापार को थोड़ा सीमित करने का प्रयास किया है।