भूकंप प्रभावित नेपाल में बचाव कर्मियों ने आज घरों और इमारतों के टनों मलबे में फंसे जीवित लोगों का पता लगाने के लिए अभियान तेज कर दिया और बचाव दल दूर-दराज के पहाड़ी इलाकों में पहुंचने लगे हैं। इस बीच इस बात की आशंका बलवती होने लगी है कि इस प्राकृतिक आपदा में मरने वालों की संख्या 3,600 के पार जा सकती है।
कई देशों के बचाव दल खोजी कुत्तों और आधुनिक उपकरणों की मदद से जीवित लोगों का पता लगाने के काम में लगे हुए हैं। भूकंप के बाद अभी भी सैकड़ों लोग लापता हैं।
भारत ने राष्ट्रीय राहत आपदा बल के 700 से अधिक आपदा राहत विशेषज्ञों को यहां पर तैनात किया है।
एक बयान में नेपाल पुलिस ने बताया कि मरने वाले लोगों की संख्या 3,617 पहुंच गयी है। इसमें माउंट एवरेस्ट पर आए हिमस्खलन में मारे गये 22 लोगों की संख्या को शामिल नहीं किया गया है।
नेपाल गृह मंत्रालय के राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्रभाग ने कहा है कि 6,830 से अधिक लोग घायल हैं। इसमें बताया गया है कि केवल काठमांडो घाटी में 1,053 लोग और सिंधुपालचौक में 875 लोगों के मारे जाने की खबर है।
अधिकारियों और सहायता एजेंसियों ने सचेत किया है कि पश्चिमी नेपाल के दूर-दराज वाले पहाड़ी इलाकों में बचाव दलों के पहुंचने के बाद हताहतों की संख्या में और इजाफा दिख सकता है।
वर्ल्ड विजन सहायता एजेंसी के प्रवक्ता मैट डरवास ने बताया, ‘‘लगातार हो रहे भूस्खलन के कारण गांव प्रभावित हुये हैं और यह आसामान्य नहीं है कि पत्थरों के गिरने के कारण 200, 300 या एक 1000 तक की आबादी वाले पूरे के पूरे गांव पूरी तरफ से दफन हो गये हों।’’
शनिवार को 7.8 की तीव्रता वाला भूकंप आने के बाद आए ताजा झटकों, सड़कों के अवरुद्ध होने, बिजली गुल होने और अस्पतालों में भारी भीड़ के कारण जीवितों का पता लगाने के काम में बाधा आ रही है। इस भूकंप का असर बिहार, पश्चिम बंगाल, उत्तर प्रदेश और उत्तर पूर्वी भारत के कई शहरों में महसूस किया गया।
भूकंप का असर दक्षिणी और पश्चिमी भारत के हिस्सों, चीन, भूटान और पाकिस्तान एवं बांग्लादेश में भी महसूस किया गया।
अधिकारियों ने कहा कि भारतीय दूतावास के एक कर्मचारी की बेटी समेत पांच भारतीय इस भूकंप में मारे गए लोगों में शामिल हैं।
लगातार दो रातों से हो रही मूसलाधार बारिश के बीच खुले में प्लास्टिक के बने टेंटों में हजारों लोग रहने के लिए विवश हैं।
भूकंप के मुख्य झटकों के बाद कल आए शक्तिशाली झटकों के चलते पीड़ितों में दहशत फैल गई। इन ताजा झटकों से माउंट एवरेस्ट पर हिमस्खलन हो गया जिसके कारण 22 लोगों की मौत हो गई थी।
यहां सामूहिक अंतिम संस्कार का काम जारी है। मृतकों की बढ़ती संख्या के कारण स्वास्थ्य खतरों को रोकने के लिए अधिकारी यथा संभव जल्द से जल्द शव का अंतिम संस्कार करने के काम में लगे हैं।
नेपाल ने इस भीषण आपदा के चलते देश में आपातस्थिति की घोषणा कर दी है। देश के इतिहास में पिछले 80 वर्षों में आया यह अब तक का सबसे भीषण भूकंप है।
भारत ने बचाव और पुनर्वास के एक बड़े प्रयास के तहत 13 सैन्य विमान तैनात किए हैं, जो अस्थाई अस्पताल सुविधा, दवाएं, कंबल और 50 टन पानी एवं अन्य सामग्री लेकर गए हैं।
एक उच्चस्तरीय अंतरमंत्रालयी दल नेपाल का दौरा करके यह आकलन करेगा कि भारत किस तरह राहत अभियानों में बेहतर सहयोग कर सकता है।
लगातार आ रहे सहायता विमानों के कारण काठमांडो हवाई अड्डे पर पार्किंग के लिए स्थान नहीं बचा है। कई विमानों को जमीन पर उतरने के लिए अनुमति का इंतजार करना पड़ रहा है।
संयुक्त राष्ट्र एजेंसियों ने कहा है कि नेपाल में पानी और खाने की किल्लत हो गयी है और करीब दस लाख कमजोर और कुपोषित बच्चों को तत्काल मानवीय सहायता की जरूरत है।
मदद के लिए आगे बढ़े हाथ
* मदद की नेपाल सरकार की अपील के बाद अमेरिका, यूरोपीय संघ के साथ-साथ कई अन्य देशों ने अपनी आपदा प्रतिक्रिया टीमें रवाना की हैं।
* भारत के राष्ट्रीय आपदा राहत बल के 700 से ज्यादा आपदा राहत विशेषज्ञों को तैनात किया गया है। खाना और टेंट सहित 43 टन राहत सामग्री और करीब 200 बचावकर्मियों को लेकर भारतीय वायुसेना के विमान रविवार को यहां पहुंचे।
* मलबे के नीचे से लोगों को बचाने की इस मुहिम में स्थानीय लोगों के साथ सैलानी भी जुटे हैं। जब लोग मलबे में दफन किसी को जिंदा बचाने में कामयाब होते हैं तो खुशी की लहर दौड़ जाती है।
* मानवीय सहायता प्रयासों में चीन भी जुड़ गया है। उसने नेपाल की मदद के लिए 62 सदस्यों का एक खोज एवं बचाव दल भेजा है।