वेनेजुएला की विपक्षी नेता मारिया कोरिना मचाडो को नोबेल शांति पुरस्कार मिलने पर उन्होंने इसे वेनेजुएला के “पीड़ित लोगों” और अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को समर्पित किया। मचाडो ने कहा कि यह पुरस्कार सभी वेनेजुएला वासियों के संघर्ष को मान्यता देने वाला एक प्रोत्साहन है और इसे आजादी की लड़ाई पूरी करने के लिए एक ताकत माना जा सकता है।

उन्होंने उम्मीद जताई कि अंतरराष्ट्रीय सहयोगियों का समर्थन उन्हें आगे भी मिलता रहेगा। मचाडो ने लिखा कि “हम जीत की कगार पर हैं और आज, पहले से ज्यादा, हम राष्ट्रपति ट्रंप, अमेरिकी जनता, लैटिन अमेरिका के लोगों और दुनिया के लोकतांत्रिक देशों पर अपनी स्वतंत्रता और लोकतंत्र पाने के लिए भरोसा करते हैं।”

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उन्होंने पुरस्कार को अपने देशवासियों के लिए समर्पित करते हुए ट्रंप का भी धन्यवाद किया। मचाडो को 2024 के राष्ट्रपति चुनाव में भाग लेने से रोका गया था। उस चुनाव में राष्ट्रपति निकोलस मदुरो की जीत मिली थी। हालांकि, चुनावों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर न तो स्वतंत्र और न ही निष्पक्ष माना गया। इसके बाद से मचाडो काफी हद तक छिपी हुई रही हैं।

नोबेल समिति ने मचाडो को “शांति की बहादुर और प्रतिबद्ध समर्थक” बताते हुए उन्हें लोकतंत्र की मशाल जलाए रखने वाली कहा। समिति ने उनके प्रयासों को सराहा, जिसमें उन्होंने वेनेजुएला में तानाशाही शासन का विरोध किया और लोकतांत्रिक सुधारों को बढ़ावा दिया।

इस बीच, डोनाल्ड ट्रंप ने भी सार्वजनिक रूप से इस पुरस्कार को जीतने के लिए अभियान चलाया। पुरस्कार की घोषणा के बाद, व्हाइट हाउस ने कहा कि नोबेल समिति ने “शांति के बजाय राजनीति को प्राथमिकता दी।”