मुंबई के 29 वर्षीय आर्किटेक्ट मंगेश कुरुंद (Mangesh Kurund) ने स्वारोवस्की फाउंडेशन के ‘क्रिएटिव्स फॉर अवर फ्यूचर’ प्रोग्राम में जीत हासिल की और €20,000 (यूरो), भारतीय मुद्रा में लगभग 17,90,000 रुपए का ग्रांट प्राप्त किया है। उन्होंने शहरों को हराभरा बनाने के लिए ‘बायो-इंटीग्रेटेड क्लैडिंग’ नामक एक अनोखी तकनीक तैयार की है, जिसे 2025 के स्वारोवस्की फाउंडेशन क्रिएटिव्स फॉर अवर फ्यूचर प्रोग्राम का विजेता चुना गया है।

यह पहल यूनाइटेड नेशंस ऑफिस फॉर पार्टनरशिप्स के साथ मिलकर की जा रही है। मंगेश कुरुंद, 2025 के स्वारोवस्की फाउंडेशन क्रिएटिव्स फॉर अवर फ्यूचर प्रोग्राम को जीतने वाले इकलौते भारतीय हैं। स्वारोवस्की फाउंडेशन ने यूनाइटेड नेशंस पार्टनरशिप ऑफिस के साथ मिलकर अपने ‘क्रिएटिव्स फॉर अवर फ्यूचर’ प्रोग्राम के छह विजेताओं की घोषणा की है, जिन्हें 60 से अधिक देशों के करीब 500 आवेदनों में से चुना गया है। चार महाद्वीपों से आए इन विजेता प्रोजेक्ट्स ने टिकाऊ रिफ्यूजी कैंप्स, बायो-इंटीग्रेटेड आर्किटेक्चर और पुनरुत्पादक टेक्सटाइल निर्माण जैसी पहलों के माध्यम से कई महत्वपूर्ण सामाजिक और पर्यावरणीय समस्याओं को हल करने की कोशिश की है।

हर विजेता को €20,000 (यूरो) की ग्रांट के साथ-साथ व्यक्तिगत मार्गदर्शन (मेंटॉरशिप), शैक्षणिक सहयोग और एक प्रभावशाली वैश्विक सहयोग नेटवर्क तक पहुंच प्रदान की जाएगी।

अनुदान जीतने पर मंगेश कुरुंद ने कहा— “मेरा प्रोजेक्ट एक सेल्फ-इरिगेटिंग क्लैडिंग सिस्टम का विकास है, जो टिकाऊ सामग्री जैसे टेराकोटा को जोड़ता है। ये मॉड्यूलर टाइल्स शहरी इमारतों की दीवारों को कार्बन-निगेटिव सतहों में परिवर्तित करती हैं, जो काई के विकास को सहारा देती हैं। इससे हवा शुद्ध होती है, कार्बन अवशोषित होता है और शहरों को ठंडा रखने में सहायता मिलती है। अप्रैल 2026 तक मेरा लक्ष्य है कि मैं सेल्फ-इरिगेटिंग टाइल्स को वॉल पैनल्स पर क्लैड कर टेस्टिंग करूं, विशेषज्ञों के साथ सहयोग करूं और इस प्रणाली को शहरी सेटिंग्स में बड़े स्तर पर अपनाने के लिए तैयार करूं।”

स्वारोवस्की फाउंडेशन की डायरेक्टर, जारा रहमान-कोरी ने विजेताओं की तारीफ करते हुए कहा — “हर साल इन युवाओं की क्रिएटिव सोच और दूरदृष्टि मुझे प्रेरित करती है। इनकी इनोवेटिव सोच यह दिखाती है कि कैसे क्रिएटिविटी दुनिया की बड़ी चुनौतियों को हल करने में मदद कर सकती है। ‘क्रिएटिव्स फॉर अवर फ्यूचर’ प्रोग्राम के माध्यम से हम अगली पीढ़ी की प्रतिभाओं को जरूरी संसाधन, शिक्षा और समर्थन देने के लिए प्रतिबद्ध हैं, ताकि उनके आइडिया असरदार सॉल्यूशंस में बदल सकें।”

आर्किटेक्ट मंगेश कुरुंद ने एक साक्षात्कार में इस पूरे प्रोजेक्ट और अपनी जिम्मेदारियों के बारे में सवाल जवाब के रूप में विशेष जानकारी दी।

कृपया उस क्रिएटिव प्रोजेक्ट के बारे में बताएं जिसे आप Creatives For Our Future प्रोग्राम के तहत विकसित करना चाहते हैं, और आप अप्रैल 2026 तक क्या हासिल करना चाहते हैं?

मंगेश कुरुंद: मेरा प्रोजेक्ट एक सेल्फ-इरिगेटिंग बायो-रिसेप्टिव क्लैडिंग सिस्टम का विकास है, जो बायो-मिमेटिक ज्योमेट्री, सूक्ष्म सिंचाई प्रणाली और टिकाऊ सामग्री जैसे टेराकोटा को जोड़ता है।

ये मॉड्यूलर टाइल्स शहरी इमारतों की दीवारों को कार्बन-निगेटिव सतहों में बदल देती हैं, जो शैवाल और काई के विकास को सहारा देती हैं, जिससे हवा शुद्ध होती है, कार्बन अवशोषित होता है और शहरों को ठंडा रखने में मदद मिलती है।

बायो-क्लैड एक नवाचारी आर्किटेक्चरल प्रोजेक्ट है, जो शहरी वास्तुकला में जैविक प्रणालियों को एकीकृत करता है, एक सेल्फ-इरिगेटिंग बायो-रिसेप्टिव क्लैडिंग सिस्टम के माध्यम से। यह प्रोजेक्ट हल्के वजन की टाइल्स विकसित करने पर केंद्रित है, जो तीन मुख्य घटकों को जोड़ती हैं: टाइल की ज्योमेट्री और सतह डिज़ाइन, जल भंडारण की कार्यक्षमता, और ड्रेनेज डिज़ाइन।

बायो-क्लैड का उद्देश्य शैवाल और काई को नियंत्रित तरीके से उगाना है, ताकि हवा को शुद्ध किया जा सके, कार्बन को सोखा जा सके और शहरी गर्मी को कम किया जा सके — और यह सब उन्नत सामग्रियों और प्राकृतिक जल प्रबंधन प्रक्रियाओं की नकल के माध्यम से संभव होता है।

वर्तमान निर्माण प्रथाओं के कारण, कंस्ट्रक्शन इंडस्ट्री कई गंभीर पर्यावरणीय समस्याओं का सामना कर रही है, जैसे शहरी हीट आइलैंड इफेक्ट और खराब वायु गुणवत्ता। मेरा उद्देश्य इमारतों की बाहरी सतहों को आत्मनिर्भर इकोसिस्टम में बदलना है, ताकि शहरी हरियाली को बढ़ावा मिल सके।

अप्रैल 2026 तक, मेरा लक्ष्य है कि मैं सेल्फ-इरिगेटिंग टाइल्स को वॉल पैनल्स पर क्लैड करके फील्ड टेस्टिंग करूं, विशेषज्ञों के साथ सहयोग करूं और इस प्रणाली को शहरी सेटिंग्स में बड़े स्तर पर अपनाने के लिए तैयार करूं।

स्वारोवस्की फाउंडेशन क्रिएटिव्स फॉर अवर फ्यूचर ग्रांट आपके लिए क्या मायने रखती है? आपने इस ग्रांट के लिए आवेदन क्यों किया?

मंगेश कुरुंद: स्वारोवस्की फाउंडेशन क्रिएटिव्स फॉर अवर फ्यूचर ग्रांट प्राप्त करना मेरे लिए एक परिवर्तनकारी अवसर है। यह उन वर्षों की मेहनत, शोध और नवाचार को मान्यता देता है, जो मैंने आर्किटेक्चर, जीवविज्ञान और मटीरियल साइंस के मिलने पर किए हैं। यह ग्रांट केवल आर्थिक सहायता नहीं है, बल्कि यह एक ऐसा मंच है जहाँ मैं अपने विचारों को प्रोटोटाइप, परीक्षण और व्यावहारिक रूप देने का मौका पा रहा हूँ — वह विचार जिसे मैं वर्षों से जुनून के साथ विकसित कर रहा हूं।

मैंने इस ग्रांट के लिए आवेदन इसलिए किया क्योंकि मेरा मानना है कि मेरा प्रोजेक्ट — एक सेल्फ-इरिगेटिंग बायो-रिसेप्टिव क्लैडिंग सिस्टम — शहरी स्थिरता (urban sustainability) के लिए एक गेम-चेंजिंग इनोवेशन है। शहरी क्षेत्रों में जहां वायु प्रदूषण, बढ़ते तापमान और जैव विविधता में गिरावट जैसी चुनौतियाँ बढ़ रही हैं, वहां मेरा प्रोजेक्ट इमारतों की दीवारों को स्थिरता में सक्रिय भागीदारों में बदलने का समाधान प्रस्तुत करता है। हालांकि, इस विचार को साकार रूप देने के लिए उन्नत संसाधनों और वैश्विक नेटवर्क की आवश्यकता होती है, जो स्वारोवस्की फाउंडेशन प्रदान करता है।

यह ग्रांट मुझे अपने प्रोजेक्ट को और बेहतर बनाने और इसे निम्नलिखित सतत विकास लक्ष्यों (SDGs) के अनुरूप लाने में मदद करेगा:

SDG 9 (उद्योग, नवाचार और आधारभूत संरचना): पर्यावरण के अनुकूल सामग्री और डिज़ाइन रणनीतियों को बढ़ावा देकर, स्थायी शहरी अवसंरचना को मजबूती देने के लिए।

SDG 11 (सस्टेनेबल शहर और समुदाय): शहरी हरियाली को बढ़ावा देकर, वायु प्रदूषण को कम करके और जैव विविधता को बढ़ावा देकर।

SDG 13 (जलवायु कार्रवाई): ऐसा समाधान प्रदान करके जो कार्बन निगेटिव हो, वायु गुणवत्ता को सुधार सके और हीट आइलैंड प्रभाव को कम कर सके।

यह ग्रांट मेरी दीर्घकालिक दृष्टि को भी साकार करने में सहायक होगी — एक ऐसी वास्तुकला बनाना जो सतत, स्केलेबल और प्रभावशाली हो।

स्वारोवस्की फाउंडेशन क्रिएटिव्स फॉर अवर फ्यूचर की कोहोर्ट के सदस्य के रूप में आपका लक्ष्य क्या है?

मंगेश कुरुंद: स्वारोवस्की फाउंडेशन क्रिएटिव्स फॉर अवर फ्यूचर की कोहोर्ट के एक सदस्य के रूप में मेरा लक्ष्य है कि मैं अपने कॉन्सेप्ट को एक ऐसा प्रोडक्ट बनाऊँ जो स्केलेबल हो, प्रभावशाली हो और व्यावसायिक रूप से सफल भी हो। आने वाले एक वर्ष में, मैं बायो-रिसेप्टिव क्लैडिंग सिस्टम के फंक्शनल प्रोटोटाइप्स विकसित करने और उन्हें वास्तविक परिस्थितियों में परखने की योजना बना रहा हूँ।

सिर्फ उत्पाद विकास तक सीमित न रहकर, मैं वास्तुकला में सतत विकास (सस्टेनेबल डिवेलपमेंट) पर एक व्यापक संवाद में भी योगदान देना चाहता हूँ। इस प्रोग्राम के तहत मिलने वाली मेंटरशिप, फंडिंग और वैश्विक पहचान का लाभ उठाकर, मैं आर्किटेक्ट्स, डेवेलपर्स और सिटी प्लानर्स को प्रेरित करना चाहता हूँ कि वे शहरी इकोसिस्टम में इमारतों की भूमिका को नए सिरे से सोचें।

दीर्घकालिक रूप से, मैं एक स्टार्टअप शुरू करने की योजना बना रहा हूँ जो इस नवाचार को बाजार तक पहुंचा सके। इस सिस्टम की सरलता, किफायती संरचना और पारिस्थितिक लाभ इसे आर्किटेक्ट्स और प्लानर्स के लिए एक व्यावहारिक समाधान बनाते हैं — विशेष रूप से उनके लिए जो सौंदर्यशास्त्र से समझौता किए बिना सततता के लक्ष्यों को हासिल करना चाहते हैं।

इस प्रोग्राम के माध्यम से, मेरा उद्देश्य शहरी हरियाली और स्थायी वास्तुकला के प्रति हमारी सोच में एक दीर्घकालिक बदलाव लाना है।

इस प्रोजेक्ट को विकसित करने की प्रेरणा आपको कहां से मिली?

मंगेश कुरुंद: इस प्रोजेक्ट की प्रेरणा मेरे दोहरे अनुभवों से आती है — एक किसान के बेटे के रूप में और एक आर्किटेक्ट के रूप में। बचपन में मैंने प्रकृति के विभिन्न इकोसिस्टम्स के बीच के आपसी संबंध को करीब से देखा, और यह भी महसूस किया कि अक्सर इमारतें प्राकृतिक वातावरण के पूरक बनने के बजाय उसे बाधित कर देती हैं। इसी अनुभव ने मुझे पारंपरिक निर्माण सामग्रियों की नीरसता पर प्रश्न उठाने और वास्तुकला को पारिस्थितिकी के लिए एक मेज़बान के रूप में कल्पना करने के लिए प्रेरित किया।

मेरी व्यक्तिगत विचारधारा, “आज इमारत पौधे को आश्रय देती है, कल पौधा इमारत को” इसी दृष्टिकोण को दर्शाती है। यह मेरा यह विश्वास व्यक्त करती है कि हमें ऐसी इमारतें बनानी चाहिए जो केवल प्रकृति के साथ सह-अस्तित्व न रखें, बल्कि उसमें सक्रिय योगदान भी दें।

उस मेंटरशिप से आप क्या सीखना चाहेंगे जो इस प्रोजेक्ट फंडिंग के साथ प्रदान की जाती है?

मंगेश कुरुंद: मैं विभिन्न क्षेत्रों के अनुभवी विशेषज्ञों से मार्गदर्शन प्राप्त करने की आशा करता हूं ताकि अपने प्रोजेक्ट को और परिष्कृत कर सकूं और इसके प्रभाव को अधिकतम कर सकूं। यह मेंटरशिप मुझे डिज़ाइन, मटीरियल सिलेक्शन और स्केलेबिलिटी जैसी चुनौतियों से निपटने में मदद करेगी, जिससे यह क्लैडिंग सिस्टम केवल कार्यात्मक ही नहीं बल्कि व्यावसायिक रूप से भी सफल बन सके।

साथ ही, मैं यह भी सीखना चाहता हूं कि अपने नवाचार के पारिस्थितिकीय और आर्थिक लाभों को आर्किटेक्ट्स, डेवेलपर्स और नीति निर्माताओं जैसे हितधारकों के सामने प्रभावी रूप से कैसे प्रस्तुत किया जाए। यह मार्गदर्शन प्रोजेक्ट को बड़े स्तर पर लागू करने और इसे वैश्विक सतत विकास लक्ष्यों के अनुरूप बनाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाएगा।

आपके लिए सतत विकास का क्या अर्थ है और यह क्यों महत्वपूर्ण है?

मंगेश कुरुंद: मेरे लिए सस्टेनेबल डिवेलपमेंट (सतत विकास) का अर्थ है ऐसे सिस्टम्स बनाना जो आर्थिक विकास, पर्यावरणीय संरक्षण और सामाजिक समानता के बीच संतुलन बनाए रखें। यह आज की ज़रूरतों को इस तरह पूरा करने की सोच है, जिससे भविष्य की पीढ़ियां भी अपनी आवश्यकताओं को पूरा कर सकें — बिना किसी समझौते के।

आपका प्रोजेक्ट लंबे समय में सततता को कैसे सुधार सकता है?

मंगेश कुरुंद: मेरा प्रोजेक्ट दीर्घकालिक सततता (लॉन्ग-टर्म सस्टेनेबिलिटी) में योगदान देता है, क्योंकि यह शहरी इमारतों की बाहरी सतहों को सक्रिय पारिस्थितिक तंत्रों (एक्टिव इकोलॉजिकल सिस्टम्स) में बदल देता है। शहरी हरियाली को बढ़ावा देकर, वायु प्रदूषण को कम करके और हीट आइलैंड प्रभाव को कम करके, यह क्लैडिंग सिस्टम महत्वपूर्ण पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान करता है।

आपके अनुसार, व्यापार और संस्थाओं के लिए सतत विकास में निवेश क्यों ज़रूरी है?

मंगेश कुरुंद: बिजनेस और संस्थाओं के पास बड़े स्तर पर बदलाव लाने की क्षमता और संसाधन होते हैं। स्थायित्व में निवेश न सिर्फ़ हमारे ग्रह के लिए लाभकारी है, बल्कि ब्रांड वैल्यू को बढ़ाता है और दीर्घकालिक आर्थिक विकास को भी प्रोत्साहित करता है। आज की दुनिया में, स्थायित्व कोई विकल्प नहीं, बल्कि एक आवश्यकता बन गया है।  

इस प्रोजेक्ट से आप किस प्रकार का सकारात्मक प्रभाव उत्पन्न करना चाहते हैं? इस प्रोजेक्ट से कौन लाभान्वित होगा?

मंगेश कुरुंद: इस नवाचार का सबसे बड़ा लाभ शहरी निवासियों को मिलेगा, जो बेहतर वायु गुणवत्ता, कम तापमान और सौंदर्यपूर्ण रूप से समृद्ध परिवेश का अनुभव कर सकेंगे। साथ ही, आर्किटेक्ट्स और शहरी योजनाकारों को एक व्यावहारिक और स्केलेबल समाधान प्राप्त होगा, जिससे शहरी डिजाइन में स्थायित्व और प्रकृति के साथ सहजीवन को बढ़ावा मिलेगा।

क्या इस प्रोजेक्ट का कोई व्यापक सामाजिक या आर्थिक लाभ भी होगा?

मंगेश कुरुंद: इस प्रोजेक्ट का प्रभाव केवल पर्यावरणीय सीमाओं तक सीमित नहीं रहेगा। मंगेश बताते हैं कि डिजाइन, निर्माण और इंस्टॉलेशन की प्रक्रियाओं के माध्यम से यह परियोजना नए रोज़गार के अवसर पैदा करेगी। इसके साथ ही यह सतत विकास लक्ष्यों (SDGs)—जैसे सतत शहरी विकास, जलवायु कार्रवाई और नवाचार—की दिशा में भी ठोस योगदान देगा। साथ ही, यह आम जन में सतत प्रथाओं के प्रति जागरूकता को भी बढ़ावा देगा।    

कौन हैं मंगेश कुरुंद?

मंगेश कुरुंद एक आर्किटेक्ट और क्रिएटिव टेक्नोलॉजिस्ट हैं, जिन्होंने यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन (UCL) के बार्टलेट स्कूल ऑफ आर्किटेक्चर से बायो-इंटीग्रेटेड डिज़ाइन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। मार्कोस क्रूज़ और ब्रेंडा पार्कर के मार्गदर्शन में, उन्होंने निर्मित पर्यावरण में जीवित प्रणालियों को एकीकृत करने में विशेषज्ञता हासिल की।

वर्तमान में मंगेश का कार्य बायो-रिसेप्टिव क्लैडिंग सिस्टम्स पर केंद्रित है। उनके इनोवेटिव प्रोजेक्ट बायो-क्लैड्स में ऐसी स्व-सींचन वाली टाइलें शामिल हैं, जो मॉस और शैवाल जैसे प्रकाश-संश्लेषण करने वाले जीवों को विकसित कर सकती हैं। ये टाइलें भवनों की दीवारों को जीवित पारिस्थितिकी तंत्रों में बदल देती हैं, जिससे कार्बन अवशोषण, प्राकृतिक शीतलन और शहरी हरियाली को बढ़ावा मिलता है।

मंगेश का विजन आर्किटेक्चर और प्रकृति के संबंध को पुनर्परिभाषित करने का है। वह प्रकाश-संश्लेषण और पुनरुत्पादक डिज़ाइन सिद्धांतों से प्रेरणा लेकर, वैश्विक पर्यावरणीय संकटों का समाधान तलाश रहे हैं। आज वे स्वारोवस्की फाउंडेशन के ‘क्रिएटिव्स फॉर आवर फ्यूचर’ कार्यक्रम के भागीदार हैं, जहां वे अपने नवाचारों के प्रोटोटाइप और स्केलिंग पर कार्यरत हैं—एक ऐसे टिकाऊ और जैव विविधता-समर्थक शहरी भविष्य की कल्पना के साथ, जो जलवायु परिवर्तन से प्रभावी ढंग से लड़ सके।