मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू की मुश्किलें बढ़ने वाली हैं। मालदीव में मुख्य विपक्षी दल ने राष्ट्रपति मुइज्जू के खिलाफ महाभियोग लाने की योजना बनाई है। मुख्य विपक्षी दल मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी के पास संसद में बहुमत है और महाभियोग दाखिल करने के लिए सांसदों के हस्ताक्षर लेना शुरू कर दिया है। एक चीनी जासूसी जहाज को सरकार द्वारा माले में डॉक करने की अनुमति दिए जाने के बाद विपक्षी दलों ने राष्ट्रपति मुइज्जू पर उनके चीन समर्थक रुख के लिए हमला बोला है।
रविवार को मालदीव की संसद में जमकर हंगामा हुआ, जिसके बाद विपक्ष ने महाभियोग को लाने का फैसला किया। मुइज्जू सरकार के लिए संसदीय मंजूरी पर महत्वपूर्ण वोटिंग होने वाली थी और सांसदों (पीपीएम/पीएनसी पार्टी) ने कार्यवाही में व्यवधान डाला तो हिंसा शुरू हो गई।
राष्ट्रपति मुइज्जू ने मांग की थी भारत मार्च तक देश में तैनात अपने सैनिकों को वापस ले ले। मालदीव ने अपनी पालिसी में अचानक बदलाव किया है, जिसका समर्थन वहां का विपक्ष भी नहीं कर रहा है। मालदीवियन डेमोक्रेटिक पार्टी या एमडीपी और डेमोक्रेट्स ने सरकार पर ‘कट्टर’ भारत विरोधी होने का आरोप लगाया और एक प्रेस रिलीज़ जारी किया। इसमें नीतिगत बदलाव को देश के दीर्घकालिक विकास के लिए ‘बेहद खतरनाक’ बताया गया।
बता दें कि मालदीव और भारत ने सैनिकों की वापसी पर बातचीत के लिए एक उच्च स्तरीय कोर ग्रुप का गठन किया। इसके बाद माले में विदेश मंत्रालय मुख्यालय में अपनी पहली बैठक की। मालदीव की मीडिया रिपोर्टों के अनुसार बैठक में भारतीय उच्चायुक्त मुनु महावर भी शामिल हुए थे। मालदीव में भारतीय सैनिकों की कोई बड़ी टुकड़ी मौजूद नहीं है। सरकारी आंकड़ों के अनुसार मालदीव में मात्र 88 भारतीय सैन्यकर्मी हैं।
मालदीव की सेना को प्रशिक्षण देने के लिए भारतीय सैनिकों को विभिन्न बिंदुओं पर मालदीव भेजा गया है। फिर भी, राजनेताओं सहित मालदीव के कुछ नागरिक ऐसे हैं, जिन्होंने देश में किसी भी क्षमता में अपनी उपस्थिति का विरोध किया है। मालदीव और भारत के विश्लेषकों का कहना है कि ‘इंडिया आउट’ अभियान ने मालदीव में इन सैनिकों की भूमिका को बढ़ा-चढ़ाकर पेश किया है और उनकी उपस्थिति को देश की राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए खतरे के रूप में चित्रित किया है।